दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

फैशन नहीं, पैशन है : इस शख्स ने टैटू के लिए दर्जनों बार कराई सर्जरी

टैटूग्राफर करण के शौक देखकर लोग दंग रह जाते हैं. उनके शरीर में ऐसा कोई हिस्सा नहीं है, जहां पर टैटू ना बना हो. वह मोडिफाई बॉडी बिल्डर हैं.

टैटूग्राफर करण
टैटूग्राफर करण

By

Published : Aug 1, 2021, 9:36 AM IST

नई दिल्ली : कल्पना से परे जो कोई कार्य कर जाता है, तो वह अजूबा हो जाता है. दिल्ली के एक नौजवान ने कुछ ऐसा ही किया है. वह इस कायनात का पहला मोडिफाई बॉडी बिल्डर (modify body builder) है. उसके शरीर का कोई ऐसा हिस्सा नहीं है, जहां टैटू ना बना हो. उसे लोग टैटूग्राफर करण (Tattoographer Karan) के नाम से जानती है. वह पंजाबी बाग में परिवार के साथ रहते हैं.

टैटूग्राफर करण सिद्धू को टैटू बनवाने का शौक नहीं, जुनून है. शरीर के स्किन के अलावा आंखों में भी टैटू है. टैटू से कान को भी मॉडिफाई कराया है. इन्होंने सारे दांत हटाकर मेटल के साथ लगवाया है. इन्होंने जीभ की भी सर्जरी कराई है. ऐसा लगता है कि इनकी जीभ इंसान की नहीं, बल्कि सांप की हो. टैटूग्राफर करण ने सबसे पहला टैटू 16 साल की उम्र में बनवाया था. इसके बाद, इन्होंने टैटू आर्टिस्ट का काम शुरू किया. सबसे पहला टैटू खुद से शरीर पर बनाया. यह सिलसिला लगातार बढ़ने लगा. करण ने बीते कई सालों में पूरे शरीर पर टैटू बनवाया. इसके साथ ही, वह बॉडी बिल्डर भी हैं.

फैशन नहीं, पैशन है

बॉडी बिल्डिंग करना और टैटू बनवाना दोनों बहुत मुश्किल है. टैटू बनवाते वक्त शरीर से खून निकलता है और आराम की जरूरत होती है. वहीं, बॉडी बिल्डिंग के लिए भी शारीरिक मेहनत की जरूरत होती है. ऐसे में दोनों शौक पूरा करना काफी मुश्किल है.

पढ़ें :9 घंटे तक चली भारत और चीन के बीच 12वें दौर की कोर कमांडर वार्ता, गोगरा-हॉट स्प्रिंग पर चर्चा

करण ने बताया कि कई बार टैटू बनवाते वक्त बेहोशी की हालत में चले गए थे. मोडिफाई बॉडी बिल्डर और शरीर में टैटू के लिए दर्जनों बार सर्जरी भी करवाई. कई बार जान जाने की भी नौबत आ गई थी, लेकिन सपनों को पूरा करने के लिए हर परेशानी को पार किया. करण ने आंखों के अंदर टैटू बनवाने के लिए ऑस्ट्रेलियन डिजाइनर का सहारा लिया था. इसके लिए न्यूयॉर्क जाना पड़ा. करण एक प्रोफेशनल फोटोग्राफर भी हैं.

करण के शौक के लिए परिवार का काफी सपोर्ट है. उनके पिता का कहना है, जब करण के आंखों में टैटू बन रहे थे, तो रोशनी जाने का डर था. बेटे के आंखों की रोशनी चले जाती तो, करण को अपनी आंख दे देता.

करण की मां का कहना है कि टैटू बनाते वक्त, जो दर्द और तकलीफ बेटा झेलता है. इसके देखकर हमेशा डर जाती हैं. बेटे की लगन को देखकर उनका भी कहना है कि बच्चे ने जो सपना देखा था, वह पूरा हो गया.

ABOUT THE AUTHOR

...view details