लुधियाना : पंजाब पुलिस की एएसआई सुनीता रानी इन दिनों चर्चा में हैं और हो भी क्यों न, वह अपने कार्यों से समाज में मानवता की मिसाल पेश कर रही हैं. माना जाता है कि इंसान का मुत्यु के बाद अंतिम संस्कार न हो तो उसकी आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती है. ऐसे में कुछ लावारिस लाशों की पहचान नहीं हो पाने की सूरत में उनका अंतिम संस्कार नहीं हो पाता है. ऐसे लावारिस लाशों को मुक्ति मिले, इसलिए लुधियाना की एएसआई सुनीता रानी चार सालों से लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार कर रही हैं. उन्होंने अब तक 2200 पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया है. इतना ही नहीं, पूरे विधि-विधान के साथ उनकी अस्थियों को ब्यास नदी में विसर्जित भी कर चुकी हैं.
लुधियाना में कम ही पुलिस अधिकारी जानते हैं कि सुनीता रानी यह सेवा कर रही हैं. लुधियाना के किसी भी अस्पताल में जब भी कोई लावारिस शव पहुंचता है तो सबसे पहले अंतिम संस्कार के लिए सुनीता रानी को याद किया जाता है. सुनीता रानी बताती हैं कि लावारिस शवों का सारा खर्च वह अपनी तनख्वाह से करती हैं. जब उन्होंने इस कार्य को शुरू किया तो कुछ लोगों ने उनका सहयोग भी किया. बाद में वे सभी पीछे हट गए, लेकिन सुनीता ने इस कार्य को जारी रखा और अकेले ही शवों का अंतिम संस्कार करती रहीं. उन्होंने बताया कि वह साल 2025 में अपनी नौकरी से सेवानिवृत्त होने वाली हैं, लेकिन इसका असर उनके इस सामाजिक कार्य पर नहीं पड़ेगा. वह इस कार्य को आगे भी जारी रखेंगी.