चंडीगढ़ : याचिकाकर्ता युवक की उम्र 20 वर्ष 2 महीने और याचिकाकर्ता लड़की की उम्र 14 वर्ष 8 महीने है. जिन्होंने हाईकोर्ट में दावा किया था कि वे दोनों प्यार करते हैं लेकिन लड़की के माता-पिता उनके रिश्ते का विरोध कर रहे हैं. कोर्ट को यह बताया गया कि 1 जून 2021 को दोनों ने अपना घर छोड़ा और क्योंकि वह विवाह योग्य नहीं है ऐसे में उन्होंने लिव इन में रहना शुरू कर दिया.
उन्होंने याचिका में कहा कि उन्हें डर है कि उनके माता-पिता उन्हें मार देंगे. ऐसे में मुझे सुरक्षा प्रदान की जाए. इससे पहले उन्होंने एसपी तृषा को एक मांग पत्र दिया था लेकिन वहां से उन्हें कोई सुरक्षा नहीं दी गई. जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट का रुख किया. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने जोर देकर कहा कि लड़की मात्र 14 साल और 8 महीने की है. इस समय नाबालिक है. कोर्ट ने 2017 के सुप्रीम कोर्ट की केस का हवाला देकर कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस विषय पर बाल विवाह के प्रतिकूल प्रभावों का गहराई से विश्लेषण किया था.
कोर्ट ने कहा था कि वास्तव में बाल विवाह की प्रथा भले ही परंपरा और रीति-रिवाज के अनुसार पवित्र हो लेकिन इसके हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाना जरूरी है. क्या ऐसी पारंपारिक प्रथा भी जारी रहनी चाहिए. कोर्ट ने युवक के बारे में कहा कि वह लड़की का प्रतिनिधित्व कर रहा है और उसकी याचिका में नाबालिक लड़की के अभिभावकों पर पूरा दोष लगा दिया है. ताकि यह जताया जा सके कि परिस्थितियों से मजबूर होकर लड़की ने अपने माता-पिता का घर छोड़ा और लिव इन रिलेशनशिप में रहने लगी.