चंडीगढ़ : पंजाब में बाढ़ से हुए नुकसान के लिए मुआवजे की मांग को लेकर 16 किसान संगठनों द्वारा आहूत प्रदर्शन के लिए एकत्रित हो रहे किसानों को पुलिस हिरासत में लेने लगी है. पुलिस की तरफ से पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ की अंतरराज्यीय सीमाओं पर मंगलवार को सुरक्षा कड़ी कर दी गई. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. चंडीगढ़ में किसानों को रोकने के लिए पुलिस-प्रशासन ने शहर को ट्राइसिटी से जोड़ने वाले 27 प्वाइंट्स पर करीब 4200 फोर्स तैनात की है और लगभग सभी प्रवेश एवं निकास बिंदुओं पर सुरक्षा कर्मी तैनात किए गए हैं, ताकि किसानों को प्रवेश करने से रोका जा सके.
अधिकारियों ने बताया कि अंबाला में शंभू बार्डर पर बड़ी संख्या में बलों को तैनात किया गया है. यह हरियाणा और पंजाब की सीमा है. पंजाब पुलिस ने राजपुरा में अवरोधक लगाए गए हैं तथा दंगा-रोधी वाहनों और एक सीसीटीवी वाहन को भी तैनात किया गया है. प्रत्येक थाना प्रभारी को मौखिक तौर पर प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए 6 टिपर बुलाने को कहा गया है. इधर, पुलिस की कार्रवाई को देखते हुए किसान संगठनों ने भी पंजाब के लगभग सभी टोल प्लाजा बंद कर दिये और सड़कें जाम कर दी हैं.
किसानों ने सोमवार को चंडीगढ़ की ओर मार्च किया था, जिसके कारण पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हो गई. संगरूर जिले में किसानों के साथ हुई झड़प दौरान में ट्रैक्टर-ट्रॉली से कुचलकर एक व्यक्ति की मौत हो गई और कम से कम पांच पुलिसकर्मी घायल हो गए. किसानों ने दावा किया था कि उनके कई नेताओं को पंजाब के विभिन्न हिस्सों से सोमवार को हिरासत में लिया गया और कुछ किसानों को उनके प्रस्तावित प्रदर्शनों से पहले हरियाणा के अंबाला और कुरुक्षेत्र में भी हिरासत में लिया गया.
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गौरतलब है कि किसान मजदूर संघर्ष समिति, भारती किसान यूनियन (क्रांतिकारी), बीकेयू (एकता आजाद), आजाद किसान समिति, दोआबा, बीकेयू (बेहरामके) और भूमि बचाओ मुहिम सहित 16 किसान संगठनों ने यहां प्रदर्शन करने का आह्वान किया है. किसान नेता पंजाब समेत पूरे उत्तर क्षेत्र में बाढ़ से हुए नुकसान के लिए केंद्र से 50,000 करोड़ रुपये के पैकेज की मांग कर रहे हैं. वे फसल के नुकसान के लिए 50,000 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा, क्षतिग्रस्त घर के लिए पांच लाख रुपये और बाढ़ में मारे गए व्यक्तियों के परिवार के लिए 10- 10 लाख रुपये मुआवजे की भी मांग कर रहे हैं.