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Published : Feb 22, 2022, 3:05 PM IST

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त्रिशंकु विधानसभा बनी तो पंजाब में फिर होगा बीजेपी-अकाली दल गठबंधन !

पंजाब विधानसभा में जिस तरह वोटिंग हुई, उससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार त्रिशंकु विधानसभा हो सकती है. यदि ऐसा हुआ तो शिरोमणि अकाली दल अपने पुराने गठबंधन के साथी बीजेपी के समर्थन से सरकार बना सकती है. इस बार अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल के सामने पार्टी को एकजुट रखने और विद्रोह से बचाने की दोहरी चुनौती है. चुनाव प्रचार के दौरान अकाली दल और बीजेपी ने एक-दूसरे के खिलाफ नरम रवैया अपनाया था, इसलिए चुनाव नतीजों के बाद दोनों के साथ आने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है.

akali dal bjp alliance
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चंडीगढ़: पंजाब में त्रिशंकु विधानसभा की संभावना के कारण राजनीतिक दलों को फिर से सरकार बनाने के लिए नए सहयोगियों की तलाश शुरू कर दी है. इस बीच 24 साल से सहयोगी रहे शिरोमणि अकाली दल और भाजपा ने भी एक बार फिर से एक-दूसरे के लिए अपनी द्वार खोल दिए हैं. हालांकि शिरोमणि अकाली दल के संरक्षक प्रकाश सिंह बादल नतीजों के बाद भाजपा गठबंधन की संभावना पर कोई टिप्पणी नहीं कर रहे हैं. फिलहाल दोनों पार्टियों के नेता चुनाव नतीजों का इंतजार कर रहे हैं. नतीजों में सीटों की संख्या को देखते हुए गठबंधन की अगली रणनीति तय की जाएगी.
20 फरवरी को जब वोटिंग हो रही थी, तब शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता विक्रम सिंह मजीठिया ने अकाली दल और भाजपा के बीच गठबंधन की संभावना के बारे में एक बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि चुनाव के नतीजों के बाद ही इस पर कोई विचार हो सकता है. हालांकि मजीठिया ने बाद में अपना बयान बदल लिया. मजीठिया के बयान के जवाब में बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुग ने भी कहा था कि 10 मार्च को जनादेश आने के बाद ही इस पर विचार किया जाएगा. चुग ने यह भी कहा कि वह ऐसी किसी संभावना पर हां या ना नहीं कह रहे हैं.

इससे पहले, शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल ने कहा कि पंजाब में शिरोमणि अकाली दल और बसपा गठबंधन चुनाव में जीत हासिल करेगा, इसलिए भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में फिर से शामिल होने का सवाल ही नहीं उठता है. इस मुद्दे पर अकाली दल के संरक्षक प्रकाश सिंह बादल ने स्पष्ट बयान नहीं दिया. बता दें कि शिरोमणि अकाली दल ने कृषि कानूनों के खिलाफ भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन से नाता तोड़ लिया था.

दिलचस्प बात यह है कि चुनाव से एक हफ्ते पहले पंजाब में ताबड़तोड़ रैली करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बादल परिवार पर नरम रहे. उन्होंने अकाली दल से ज्यादा गांधी फैमिली, कांग्रेस, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी पर जबर्दस्त निशाना साधा था. इसी तरह बादल भी ज्यादातर AAP और कांग्रेस पर ही फोकस किया था. उन्होंने भाजपा के प्रति थोड़ी नरमदिली दिखाई. प्रधानमंत्री मोदी ने प्रकाश सिंह बादल के कोरोना पॉजिटिव के दौरान फोन किया था और उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की थी. इससे पहले भी प्रकाश सिंह बादल के जन्मदिन पर प्रधानमंत्री ने उन्हें बधाई संदेश भेजा था.
चुनाव से एक दिन पहले पंजाब के दो जाने-माने और प्रभावशाली डेरों ने बीजेपी गठबंधन और अकाली दल के उम्मीदवारों को समर्थन देने का अनौपचारिक फैसला किया था, जिससे लगता है कि रातों-रात चुनाव का समीकरण बदल गया.

चंडीगढ़ के एक वरिष्ठ पंजाबी पत्रकार हरीश चंद्रा का कहना है कि अगर भाजपा दो अंकों में सीटें हासिल करती है और अकाली दल का प्रदर्शन बेहतर होता है तो बीजेपी पंजाब में किंग मेकर की भूमिका निभा सकती है. नतीजों के बाद शिरोमणि अकाली दल और बीजेपी का गठबंधन हो सकता है. बीजेपी की नजर 2024 में लोकसभा चुनाव पर है. पंजाब में लोकसभा की 13 सीटें हैं. शायद यही कारण है कि अकाली दल और भाजपा दोनों चुनाव प्रचार के दौरान भी एक-दूसरे पर गंभीर आरोप लगाने से बचते रहे. हरीश चंद्रा ने कहा कि अकाली दल की अन्य मांगों को मानने में बीजेपी को कोई दिक्कत नहीं होगी.

पंजाब की राजनीति पर करीब से नजर रखने वाले जगतार सिंह ने कहा कि अकाली दल के लिए इस बार सत्ता में आना जरूरी है. अगर बादल फैमिली अकाली दल का नेतृत्व बनाए रखना चाहती है तो उसे सत्ता में आना होगा. यह अकाली दल की जिम्मेदारी भी है कि त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में वह बीजेपी की मदद से सरकार बनाए. अगर वह भाजपा के साथ गठबंधन नहीं करेंगे तो पार्टी में विद्रोह भी हो सकता है.

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