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पंजाब चुनाव में डेरा की भूमिका, मोदी-शाह बढ़ा रहे नजदीकियां - amit shah gyani harpreet singh punjab election

पंजाब चुनाव में डेरा की बहुत ही अहम भूमिका होती है. अलग-अलग डेरा से उनके लाखों समर्थक जुड़े होते हैं. राजनीतिक पार्टियों के लिए यह बहुत बड़ा वोट बैंक है. सभी राजनीतिक पार्टियां उसे हासिल करना चाहती हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद डेरा राधा स्वामी ब्यास के प्रमुख गुरिंदर सिंह ढिल्लन से भेंट की. उसके बाद अमित शाह ने श्रीअकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह से मुलाकात की. सिरसा डेरा प्रमुख राम रहीम परोल पर हैं. हालांकि, अभी तक किसी भी बड़े डेरा प्रमुख ने किसी एक राजनीतिक पार्टी को समर्थन देने की बात नहीं कही है.

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पीएम मोदी राधा स्वामी ब्यास के प्रमुख से मुलाकात करते हुए

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Published : Feb 16, 2022, 5:39 PM IST

चंडीगढ़ : पंजाब की बड़ी आबादी पर डेरा और सिख धर्म से जुड़े संस्थाओं का अच्छा-खासा प्रभाव है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के 'चाणक्य' माने जाने वाले अमित शाह इसका बखूबी इस्तेमाल भी कर रहे हैं. उन्होंने जत्थेदार श्रीअकाल तख्त और बड़े डेरा प्रमुखों से व्यक्तिगत रूप से भी मुलाकात की है.

पंजाब विधानसभा चुनाव में इस बार चतुष्कोणीय मुकाबला है. और भाजपा भी अपने सहयोगी दलों के साथ पूरे दमखम से मैदान में उतरी है. उनके स्टार प्रचारकों की सूची में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह खुद शामिल हैं. मोदी और शाह पंजाब में बड़ी-बड़ी रैलियों को संबोधित कर रहे हैं. पीएम मोदी ने पंजाब के सबसे बड़े डेरा राधा स्वामी ब्यास के प्रमुख गुरिंदर सिंह ढिल्लन से भेंट कर राज्य की राजनीति में एक तरीके की सरगर्मी पैदा कर दी है. वहीं अमित शाह ने श्रीअकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह से मुलाकात कर सिखों को लुभाने का पूरा प्रयास किया है.

इसी कड़ी में सिरसा डेरा प्रमुख राम रहीम को मिली 21 दिनों की रियायत को भी जोड़कर देखा जा रहा है. वह परोल पर हैं. विपक्षी पार्टियों ने भाजपा सरकार पर सिरसा डेरा प्रमुख के इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है. हालांकि, भाजपा ने परोल को रूटिन एक्सरसाइज बताया है. डेरा ब्यास के फॉलोअर्स की संख्या मालवा क्षेत्र में अच्छा खासा है. वे राजनीतिक पार्टियों के लिए बड़े वोट बैंक हैं. करीब दो सप्ताह पहले कई राजनीतिक पार्टियों के नेताओं ने सलबटपुरा में बैठक की थी. यह सिरसा डेरा का एक हिस्सा है. सभी पार्टियों ने अपने-अपने पक्ष में वोट मांगे हैं.

डेरा सिरसा और डेरा ब्यास, दोनों की राजनीतिक शाखाएं हैं. हालांकि, उन्होंने खुलकर अभी किसी को भी समर्थन देने की बात नहीं कही है. लेकिन यह बात किसी से छिपी नहीं है कि जब पीएम मोदी ने डेरा राधा स्वामी के प्रमुख और अमित शाह ने ज्ञानी हरप्रीत सिंह से मुलाकात की, तो इनके राजनीतिक मायने क्या हैं. भाजपा इसका पूरा-पूरा फायदा उठाना चाहती है.

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि डेरा से सिर्फ भाजपा को जोड़ना सही नहीं होगा. यह कहना बेहतर होगा कि सभी राजनीतिक पार्टियां अपने आप को डेरा से जोड़ती हैं. भाजपा के वरिष्ठ नेता हरजीत सिंह ग्रेवाल ने कहा कि डेरा हमेशा से पंजाब में अपना प्रभाव रखते रहे हैं. इसलिए यह कहना कि पीएम मोदी ने मुलाकात कर उसका फायदा उठाया है, यह गलत है. उन्होंने कहा कि हरेक पार्टी के नेता डेरा प्रमुखों से मुलाकात करते हैं. भाजपा भी उन्हीं में से एक है. ग्रेवाल ने कहा कि अमित शाह की मुलाकात भी शिष्टाचार भेंट थी. शाह ने डेरा प्रमुख से प्रार्थना की कि सांप्रदायिक सौहार्द्र का माहौल बना रहे, इसके लिए सबको प्रयास करना चाहिए. ग्रेवाल के अनुसार इस मुलाकात का कोई भी राजनीतिक निहितार्थ नहीं है.

हालांकि, पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख गुरविंदर सिंह बाली ने कहा कि अमित शाह की ज्ञानी हरप्रीत सिंह से मुलाकात के बावजूद भाजपा को कोई फायदा नहीं पहुंचेगा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेता भी डेरा प्रमुखों से मिलते रहे हैं. उन्होंने कांग्रेस का समर्थन करने की अपील भी की है. बाली ने कहा कि पीएम ने दो-दो बार मुलाकात की है, लेकिन इसका राजनीतिक लाभ नहीं मिलेगा. उन्होंने कहा कि जो पार्टी प्रजातंत्र और विकास में यकीन करती है, लोग उसे ही पंसद करते हैं.

आम आदमी पार्टी के नेता ने कहा कि उनकी पार्टी धर्म की राजनीति नहीं करती है. आप प्रवक्ता नील गर्ग ने कहा कि वह धर्म को निजी विषय मानते हैं, इसलिए राजनीति में धर्म का इस्तेमाल नहीं करते हैं. सभी की अपनी-अपनी विचारधारा होती है. वह किसी के भी निजी मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहते हैं.

अकाली दल के प्रवक्ता अर्शदीप सिंह कालेर ने कहा कि भाजपा कुछ भी कर ले, उसे फायदा नहीं मिलने वाला है. उन्होंने कहा कि पार्टी को डेरा सिर्फ चुनाव के समय ही याद क्यों आते हैं. कालेर ने कहा कि भाजपा हारी हुई बाजी में अपना दम लगा रही है.

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