Punjab Politics : पंजाब सीएम का गवर्नर पर पलटवार, कहा-पंजाबियों के धैर्य की परीक्षा न लें - Politics of Punjab
पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने कल पंजाब सरकार को चेतावनी दी थी कि वह राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की अनुशंसा कर सकते हैं. अब मुख्यमंत्री भगवंत मान ने मीडिया के सामने इस धमकी पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. पढ़ें पूरी खबर...
चंडीगढ़: पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने मुख्यमंत्री भगवंत मान को पत्र लिखकर उनके पत्रों का जवाब देने या राज्य में राष्ट्रपति शासन की संभावना का सामना करने के लिए कहने के एक दिन बाद, आम आदमी पार्टी नेता ने शनिवार को उन पर पलटवार करते हुए कहा कि वह ऐसी धमकियां देकर पंजाबियों के धैर्य की परीक्षा न लें. फरवरी 2022 में पंजाब विधानसभा चुनाव में भारी मतों से जीत हासिल करने वाले एक जुझारू व्यक्ति ने चंडीगढ़ में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि राज्यपाल को पंजाबियों के धैर्य की परीक्षा लेने की कोशिश नहीं करनी चाहिए.
सीएम मान ने कहा कि राज्यपाल जानबूझकर पंजाबियों को यह कहकर डरा रहे हैं कि वह राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करेंगे. वह पंजाब के लोगों के दिए गए जनादेश का मजाक उड़ाने की कोशिश कर रहे हैं. पुरोहित ने शुक्रवार को मान को पत्र लिखकर धमकी दी थी कि अगर उन्होंने उनके पत्रों का जवाब नहीं दिया तो आप नेता के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू की जाएगी.
राज्यपाल ने कहा था कि यह मानने का कारण है कि राज्य में संवैधानिक तंत्र विफल हो गया है. राज्यपाल ने लिखा था इससे पहले कि मैं संवैधानिक तंत्र की विफलता के बारे में अनुच्छेद 356 (राज्य में संवैधानिक मशीनरी की विफलता के मामले में प्रावधान) के तहत भारत के राष्ट्रपति को एक रिपोर्ट भेज दूं और धारा 124 के तहत आपराधिक कार्यवाही शुरू करने के बारे में निर्णय लूं. मैं आपसे मेरे पत्रों में मांगी गई अपेक्षित जानकारी मुझे भेजने के लिए कहता हूं.
मान ने कहा कि राज्यपाल की ओर से लिखे गए पत्रों से सत्ता की भूख की बू आती है क्योंकि वह अब राजनीतिक रूप से अप्रासंगिक महसूस कर रहे हैं. उन्होंने दावा किया कि पंजाब कानून व्यवस्था के मामले में सबसे अच्छे राज्यों में से एक है और इसने 50,871 करोड़ रुपये का निवेश हासिल किया है. मान और पुरोहित लगभग एक साल से कई मुद्दों पर आमने-सामने हैं, जिनमें नशीली दवाओं की समस्या को लेकर उठाए गए कदम, कुलपतियों की नियुक्ति और विशेष विधानसभा सत्र बुलाना शामिल है.