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पंजाब : आप की बंपर जीत, सीएम हारे, पूर्व सीएम भी हारे

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Published : Mar 10, 2022, 9:09 PM IST

Updated : Mar 10, 2022, 10:19 PM IST

पंजाब के परिणाम को लेकर सबसे अधिक चर्चा की जा रही है. यहां पर जिस तरीके से स्थापित पार्टियों का हाल हुआ है, उससे हर कोई हैरान है. कांग्रेस, अकाली दल, भाजपा, किसी की दाल नहीं गली. यहां तक कि मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी भी चुनाव हार गए, जबकि वे दो सीटों से चुनाव लड़ रहे थे. नवजोत सिंह सिद्धू भी चुनाव हार गए. पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी जीत हासिल नहीं कर सके. यहां आम आदमी पार्टी ने कमाल कर दिया. आप ने ऐतिहासिक जीत हासिल की. अपनी जीत के बाद केजरीवाल ने पंजाब की जनता का धन्यवाद किया.

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डिजाइन फोटो

हैदराबाद : पंजाब में राजनीतिक बदलाव के कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन आज के चुनाव नतीजों ने बदलाव की नई परिभाषा तय कर दी है. यहां आम आदमी पार्टी ने न सिर्फ बहुमत के आंकड़े को पीछे छोड़ा, बल्कि जीत की सीटों का ऐसा पहाड़ भी खड़ा किया कि कांग्रेस, अकाली दल और बीजेपी समेत उसके सहयोगी देखते रहे. पंजाब की 112 सीटों के नतीजे घोषित हो गए हैं. AAP ने अब तक 92 सीटें जीती हैं, कांग्रेस को 18 सीटें मिली हैं और अकाली दल को सिर्फ 4 सीटों से संतोष करना पड़ा है जबकि एक सीट अन्य को मिली है.

आप के सीएम उम्मीदवार भगवंत मान ने रिकॉर्ड 45,000 वोटों से जीत दर्ज की है. मौजूदा सीएम चरणजीत चन्नी आप उम्मीदवार से अपनी दोनों सीटें हार गए। वहीं नवजोत सिंह सिद्धू, कैप्टन अमरिंदर सिंह, सुखबीर सिंह बादल को भी आप के हाथों हार का सामना करना पड़ा. 30 साल में पहली बार बादल परिवार के किसी सदस्य ने विधानसभा चुनाव नहीं जीता.

जानिए कौन है सीएम चन्नी को हराने वाले लाभ सिंह उगोके
अगर हम आपको बता दें कि पंजाब के मुख्यमंत्री को मोबाइल रिपेयर की दुकान में काम करने वाले एक शख्स ने हरा दिया है, तो यकीन करना थोड़ा मुश्किल होगा. लेकिन ये सच है. दरअसल आम आदमी पार्टी के इस उम्मीदवार का नाम लाभ सिंह उगोके है, जिन्होंने चरणजीत सिंह चन्नी को 37,558 वोटों के भारी अंतर से हराया था. उनकी मां एक सरकारी स्कूल में सफाई कर्मचारी का काम करती हैं. जबकि पिता खेतों में काम करता है. आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने जीत के बाद यही जानकारी देते हुए कहा कि, आम आदमी सोचता है कि वह क्या कर सकता है, लेकिन आम आदमी चाहे तो कुछ भी कर सकता है. अपने चुनावी हलफनामे में लाभ सिंह उगाके ने अपनी संपत्ति के रूप में एक हीरो होंडा मोटरसाइकिल का उल्लेख किया है, जिसे उन्होंने लगभग 8 साल पहले खरीदा था । टिकट मिलने के बाद लाभ सिंह उगाके ने दावा किया था कि वह मुख्यमंत्री चन्नी को हराकर इतिहास रचेंगे.

गारंटी कार्ड लेकर घर-घर पहुंची 'आप' :

पंजाब में आम आदमी पार्टी (आप) की जीत उसकी चुनावी रणनीति की कामयाबी है. चुनाव नजदीक आते ही आप ने मुद्दों को लेकर प्रचार शुरू कर दिया. अच्छे सरकारी स्कूलों और बेहतर अस्पतालों की बात की. फिर 18 साल से ऊपर की हर महिला को 400 यूनिट मुफ्त बिजली और एक हजार रुपये प्रतिमाह देने की घोषणा की साथ ही घर-घर जाकर गारंटी कार्ड भरवाएं. अपनी इस रणनीति से चुनाव की घोषणा से पहले ही आप पार्टी पंजाब में गरीब उत्थान और दलित भाईचारे की भावनाएं घर-घर पहुंचा चुकी थी.

जानिए पंजाब की हॉट सीटों का हाल :

पंजाब विधानसभा चुनाव में इस बार सभी बड़े चेहरों की हार हुई है. आम आदमी पार्टी की सुनामी में 94 वर्षीय प्रकाश सिंह बादल को अपने राजनीतिक जीवन की दूसरी हार का सामना करना पड़ा. वहीं 80 वर्षीय कैप्टन अमरिंदर सिंह भी अपने राजनीतिक करियर में दूसरी बार विधानसभा चुनाव में हार गए. आज तक एक भी चुनाव नहीं हारने वाले चरणजीत सिंह चन्नी, नवजोत सिद्धू और बिक्रम सिंह मजीठिया का रिकॉर्ड भी टूट गया है. चन्नी जहां दोनों सीटों से हार गए, वहीं उनके 80% मंत्री भी नहीं जीत सके. शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल भी जलालाबाद से हार गए. लोगों ने बॉलीवुड स्टार सोनू सूद को भी खारिज कर दिया, जो बहन मालविका सूद को बढ़ावा देकर राजनीति में आने की कोशिश कर रहे थे। चन्नी की हार के साथ ही पंजाब में कांग्रेस की दलित राजनीति भी विफल हो गई.

अमृतसर सीट का हाल :
अमृतसर पूर्व सीट से आम आदमी पार्टी की जीवनजोत कौर ने शुरूआती दौर से बढ़त बना ली है, जो अंत तक चली. जीवनजोत कौर को 39520 वोट मिले। यहां नवजोत सिद्धू 32807 मतों के साथ दूसरे और अकाली दल के बिक्रम मजीठिया 23112 मतों के साथ तीसरे स्थान पर रहे. यह कांग्रेस की पारंपरिक सीट थी.

भादुर - चन्नी न तो खुद जीत पाए और न ही मालवा में पार्टी जीत सके
भदौर सीट से आप के लाभ सिंह उगोके ने एकतरफा जीत दर्ज की. लाभ सिंह उगोके ने पहले ही दौर से जो बढ़त बनाई वह केवल समय के साथ बढ़ती गई। यूगोके को यहां कुल 63514 वोट मिले और 37,558 वोटों से जीत हासिल की. यहां चरणजीत सिंह चन्नी को 26294 और अकाली दल के सतनाम सिंह राही को 21065 वोट मिले.

हॉट सीट 3: धूरी - भगवंत रिकॉर्ड मतों से जीते
आम आदमी पार्टी के सीएम चेहरे भगवंत मान ने धुरी सीट पर रिकॉर्ड अंतर से जीत दर्ज की. यहां मान को कुल 82023 वोट मिले। कांग्रेस के दलवीर गोल्डी 24306 मतों के साथ दूसरे और अकाली दल के प्रकाश चंद गर्ग 6959 मतों के साथ तीसरे स्थान पर रहे.

हॉट सीट 4: पटियाला - कप्तान की राजनीति का अंत!
कैप्टन अमरिंदर सिंह पटियाला अर्बन सीट से चुनाव हार गए. उन्हें आम आदमी पार्टी के अजीत पाल सिंह कोहली ने 19699 मतों से हराया था। कोहली को कुल 47706 वोट मिले जबकि कप्तान को 28007 वोट मिले.

हॉट सीट 5: मोगा में सोनू सूद की लॉन्चिंग नाकाम - राजनीति
मोगा विधानसभा क्षेत्र में आम आदमी पार्टी की डॉ. अमनदीप कौर 58813 मतों के साथ पहले स्थान पर रहीं और उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार मालविका सूद को 20668 मतों से हराया. बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद की बहन मालविका सूद को 38125 वोट मिले. अकाली दल के बरजिंदर सिंह माखन बराड़ 28213 मतों के साथ तीसरे स्थान पर रहे.

परिणामों को डेरा फैक्टर के नजरिए से समझें
डेरा सच्चा सौदा ने दावा किया कि उनके पास हर सीट पर 5 से 20 हजार वोट हैं. उन्होंने अकाली दल और भाजपा का समर्थन किया. डेरे के प्रभुत्व का दावा करने वाले मालवा में दोनों की बुरी तरह हार हुई. अब इस बात पर बहस शुरू हो गई है कि भक्तों ने डेरे की नहीं सुनी या फिर डेरा फैक्टर जैसी कोई बात नहीं है. ऐसा इसलिए है क्योंकि 2017 में डेरा का समर्थन मिलने के बावजूद अकाली दल को सिर्फ 15 सीटें मिली थीं.

भगत सिंह के गांव में होगा शपथ समारोह

जीत के बाद भगवंत मान ने पंजाब की जनता को संबोधित किया। वह कल शपथ ले सकते हैं. शपथ समारोह राजभवन की जगह शहीद आजम भगत सिंह के पैतृक गांव खटकर कलां में भी होगा. इससे पहले सीएम की शपथ राजभवन में हो रही है. शपथ लेने से पहले मान शहीद स्मारक पर श्रद्धांजलि देने भी जाएंगे.

भगवंत मान ने मंच पर मां को गले लगाया

पंजाब चुनाव में आम आदमी पार्टी की प्रचंड जीत के बाद भगवंत मान ने संगरूर में लोगों से बातचीत की. लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने मां को गले से लगा लिया. इस समय उनकी मां हरपाल कौर इमोशनल हो गईं. उन्होंने कहा, 'पूरे पंजाब का शुक्रिया, जिन्होंने हमें इतना सम्मान दिया.' इसके बाद इमोशनल होकर माइक से चली गईं. मान ने कहा, 'तुम लोगों ने अपनी जिम्मेदारी पूरी कर दी, अब मेरी बारी है।' भगवंत की बहन और मां ने संगरूर में अपने घर की छत पर बने मंच से लोगों का आभार जताया. मान की बहन मनप्रीत ने कहा, 'यह पूरे पंजाबियों की जीत है.

जालंधर में 67 अभ्यर्थियों की जमा राशि जब्त
जालंधर की 9 विधानसभाओं में 94 उम्मीदवारों ने किस्मत आजमाई थी, जिनमें से 67 उम्मीदवारों की जमानत चली गई है. सबसे बुरा हाल बीजेपी और अकाली दल के उम्मीदवारों का हुआ है.

चुनाव में बादल परिवार को लगा तगड़ा झटका

पंजाब विधानसभा चुनाव के परिणाम से बादल परिवार को तगड़ा झटका लगा है और आम आदमी पार्टी (आप) के कम जाने-पहचाने चेहरों ने भी उन्हें भारी अंतर से हरा दिया है. तीन दशकों में यह पहली बार होगा कि 117 सदस्यीय पंजाब विधानसभा में बादल परिवार का कोई प्रतिनिधित्व नहीं होगा. शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल मुक्तसर जिले की अपनी पारंपरिक लंबी सीट से आप के गुरमीत सिंह खुदियां से हार गए. 94 वर्षीय प्रकाश सिंह बादल चुनावों में सबसे उम्रदराज उम्मीदवार थे. खुदियां ने प्रकाश बादल को 11,396 मतों के अंतर से हराया.

प्रकाश सिंह बादल बेटे और फिरोजपुर संसदीय क्षेत्र के सांसद सुखबीर सिंह बादल फजिल्का जिले की जलालाबाद सीट से मैदान में उतरे थे. हालांकि, वह आप के जगदीप कंबोज से 30,930 मतों के अंतर से हार गए. प्रकाश बादल के भतीजे मनप्रीत सिंह बादल को बठिंडा शहरी सीट से आप के जगरूप सिंह गिल के हाथों 63,581 मतों के अंतर से करारी हार का सामना करना पड़ा. मनप्रीत सिंह बादल कांग्रेस के नेता और राज्य के मंत्री हैं.

सुखबीर बादल के साले और शिअद के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया अमृतसर पूर्व से तीसरे स्थान पर रहे. इस सीट पर आप की जीवनज्योत कौर ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को हरा दिया. मजीठिया ने सिद्धू को टक्कर देने के लिए अमृतसर में अपनी मजीठा सीट छोड़ दी थी. सिद्धू अमृतसर पूर्व से विधायक थे. प्रकाश बादल के दामाद आदिश प्रताप सिंह कैरों को पट्टी से आप के लालजीत सिंह भुल्लर ने 10,999 मतों के अंतर से हराया. हालांकि, मजीठिया की पत्नी गनीवे कौर मजीठिया को मजीठा सीट से जीत हासिल हुई है. उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी आप के सुखजिंदर राज सिंह को 26,062 मतों के अंतर से हराया.

अमरिंदर सिंह की हार

अमरिंदर सिंह पंजाब विधानसभा चुनाव में बुरी तरह रूप से नाकाम रहे. उनकी नयी पार्टी अपना खाता नहीं खोल पाई, उनकी सहयोगी भाजपा भी परास्त हो गई और वह अपने स्वयं के निर्वाचन क्षेत्र में जीत हासिल करने में भी असफल रहे. हालांकि, पूर्व मुख्यमंत्री के लिए कुछ सांत्वना हो सकती है. कांग्रेस, जिससे कुछ महीने पहले ही उनका नाता खत्म हो गया था, ने आम आदमी पार्टी की लहर में राज्य में बहुत खराब प्रदर्शन किया है.

इस बार के पंजाब विधानसभा चुनाव दो बार के मुख्यमंत्री सिंह के लिए एक नयी चुनौती के रूप में आए, जिन्हें पिछले साल प्रदेश कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू के साथ सत्ता संघर्ष के बाद पद छोड़ना पड़ा था. सिंह (79) ने उस वक्त कहा कि उन्हें अपमानित किया गया और तब उन्होंने नतीजों की चेतावनी दी थी. जल्द ही, उन्होंने पंजाब लोक कांग्रेस का गठन कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने की घोषणा की जिसका राज्य में विस्तार लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी की लहर के बावजूद रुका हुआ था.

कभी गांधी परिवार के करीबी माने जाने वाले अमरिंदर सिंह ने पार्टी छोड़ते समय कांग्रेस नेताओं राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाद्रा को अनुभवहीन कहा. एक चुनावी रैली में प्रियंका गांधी ने पलटवार करते हुए कहा कि जब अमरिंदर मुख्यमंत्री थे तो भाजपा के साथ उनकी साठगांठ थी. पिछले विधानसभा चुनाव में अमरिंदर सिंह ने शिरोमणि अकाली दल (शिअद) को हराकर सत्ता हासिल की थी. उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी (आप) के दिल्ली से बाहर विस्तार करने के सपने को तोड़ दिया. कांग्रेस को विधानसभा चुनावों में शानदार जीत दिलाते हुए वह दूसरी बार मुख्यमंत्री बने. लेकिन सिद्धू से टकराव के बाद अमरिंदर अपना दूसरा कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। पिछले सितंबर में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. एक समय अकाली दल में रहे और पटियाला के दिवंगत महाराजा यादवेंद्र सिंह के पुत्र, अमरिंदर सिंह लॉरेंस स्कूल, सनावर और दून स्कूल देहरादून में पढ़ाई के बाद 1959 में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में शामिल हुए. वह 1963 में भारतीय सेना में भर्ती हुए और सिख रेजिमेंट की दूसरी बटालियन में शामिल हुए। सिंह के पिता और दादा ने भी बटालियन में सेवा दी थी.

राजीव गांधी के करीबी माने जाने वाले सिंह का राजनीतिक करियर जनवरी 1980 में शुरू हुआ जब वह सांसद चुने गए. लेकिन 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में सेना के प्रवेश के विरोध में उन्होंने कांग्रेस और लोकसभा से इस्तीफा दे दिया. अमरिंदर सिंह 1995 में अकाली दल (लोंगोवाल) के टिकट पर पंजाब विधानसभा के लिए चुने गए थे. मुख्यमंत्री के रूप में अपने पहले कार्यकाल के दौरान, 2004 में उनकी सरकार ने पड़ोसी राज्यों के साथ पंजाब के जल बंटवारे समझौते को समाप्त करने वाला कानून पारित किया.

अमरिंदर सिंह ने 2014 का लोकसभा चुनाव अमृतसर से लड़ा था और भाजपा के अरुण जेटली को एक लाख से अधिक मतों के अंतर से हराया था. उच्चतम न्यायालय द्वारा सतलुज-यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर समझौते को समाप्त करने वाले पंजाब के 2004 के कानून को असंवैधानिक करार दिए जाने के बाद उन्होंने नवंबर में सांसद पद से इस्तीफा दे दिया. कुछ दिनों बाद, चुनावों के लिए उन्हें कांग्रेस की पंजाब इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया गया. कई जगहों की यात्रा कर चुके सिंह ने 1965 के भारत-पाक युद्ध के अपने संस्मरणों सहित कई किताबें भी लिखी हैं.

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Last Updated : Mar 10, 2022, 10:19 PM IST

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