चंडीगढ़ : पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के मुख्य प्रधान सचिव सुरेश कुमार की नियुक्ति को चुनौती देने के मामले में पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में बुधवार को आखिरी बहस पूरी हुई. अंतिम बहस के बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया.
दरअसल, सुरेश कुमार सीएम अमरिंदर सिंह के सबसे विश्वासपात्र अधिकारी माने जाते हैं. साल 2018 में पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने उनकी नियुक्ति को रद्द कर दिया था. इसके बाद पंजाब सरकार ने सिंगल बेंच के फैसले को हाई कोर्ट की डबल बेंच में चुनौती दे थी.
हालांकि, सुरेश कुमार बीच में नाराज भी हुए थे. कैप्टन अमरिंदर सिंह खुद सुरेश कुमार को मनाने के लिए दो बार उनके आवास पर गए थे.
साल 2019 में हाई कोर्ट ने पंजाब मुख्य सचिव से एक हफ्ते में हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा था कि आखिर सुरेश कुमार कौन सी पावर एक्सरसाइज करते हैं और उनकी क्या कार्यभार है.
मामले में पंजाब सरकार की पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील पी चिदंबरम ने कोर्ट को बताया था कि सरकार ने अपने चुनावी घोषणापत्र में जो वादे किए थे उसकी प्लैनिंग और एग्जीक्यूशन के लिए जिम्मेदार अफसर की जरूरत थी, इसलिए मुख्यमंत्री ने सुरेश कुमार को मुख्य प्रधान सचिव पद पर नियुक्त किया.
हालांकि याचिकाकर्ता का कहना था कि सुरेश कुमार की नियुक्ति में कानूनी प्रक्रिया का सही तरीके से नहीं किया गया. साथ ही सुरेश कुमार की पावर एक्सरसाइज पर सवाल उठाए गए थे.
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साल 2018 में मोहाली निवासी वकील रमनदीप सिंह ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर सुरेश कुमार को पंजाब सीएम का चीफ प्रिंसिपल सेक्रेट्री नियुक्त करने के आदेश को खारिज करने की मांग की थी. उन्होंने याचिका में कहा था कि पंजाब सरकार ने सुरेश कुमार को आईएएस कैडर की पोस्ट पर नियुक्ति देकर द रूल्स ऑफ बिजनेस गवर्मेंट ऑफ पंजाब 1992 के एक्ट की अनदेखी की है.