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भड़काऊ बयान देने का मामला : पुणे पुलिस को बृहस्पतिवार तक कालीचरण महाराज की हिरासत मिली - Pune court

पुणे पुलिस ने बुधवार को कहा कि उसने संत कालीचरण महाराज को रायपुर पुलिस से अपनी हिरासत में लिया है. महाराष्ट्र में कालीचरण और पांच अन्य के खिलाफ कथित भड़काऊ भाषण के मामले दर्ज हैं.

sant Kalicharan Maharaj
संत कालीचरण महाराज (फाइल फोटो)

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Published : Jan 5, 2022, 8:41 PM IST

पुणे (महाराष्ट्र) : पुणे पुलिस ने बुधवार को कहा कि उसने संत कालीचरण महाराज को रायपुर पुलिस से अपनी हिरासत में लिया है. महाराष्ट्र में कालीचरण और पांच अन्य के खिलाफ दर्ज कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित एक मामले में उन्हें हिरासत में लिया गया है.

अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ के रायपुर में एक अदालत द्वारा दी गई 'ट्रांजिट रिमांड' के बाद कालीचरण को पुणे लाया गया, जहां उसे बाद में न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी) एम ए शेख की अदालत में पेश किया गया, जिन्होंने आरोपी को एक दिन के लिए पुणे पुलिस की हिरासत में भेज दिया. खड़क थाने के एक अधिकारी ने बताया, 'हमने छत्तीसगढ़ पुलिस से कालीचरण को हिरासत में ले लिया है और उन्हें पुणे लाया गया.' पुणे पुलिस ने कालीचरण, दक्षिणपंथी नेता मिलिंद एकबोटे, कैप्टन दिगेंद्र कुमार (सेवानिवृत्त) और अन्य के खिलाफ यहां एक कार्यक्रम के दौरान भड़काऊ भाषण देने और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में मामला दर्ज किया था.

छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा मुगल सेनापति अफजल खान को मारे जाने की घटना की याद में 19 दिसंबर 2021 को एकबोटे के नेतृत्व वाले हिंदू आघाड़ी संगठन द्वारा 'शिव प्रताप दिन' कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. बाद में, खड़क थाने में कालीचरण और अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 295 (ए) (किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण इरादे से ठेस पहुंचाना), 298 (किसी व्यक्ति की धार्मिक भावना को जानबूझकर ठेस पहुंचाने की मंशा) और 505 (2) (शत्रुता, घृणा या द्वेष पैदा करने के इरादे से झूठी बयानबाजी, धार्मिक स्थान पर अफवाह फैलाने से संबंधित) के तहत मामला दर्ज किया गया था.

प्राथमिकी के अनुसार, सभी आरोपियों ने मुसलमानों और ईसाइयों की धार्मिक भावनाओं को कथित तौर पर आहत करने और लोगों के बीच सांप्रदायिक द्वेष पैदा करने के इरादे से भड़काऊ भाषण दिए. अभियोजन पक्ष ने कालीचरण की सात दिनों की पुलिस हिरासत का अनुरोध करते हुए कहा कि उसके खिलाफ दर्ज अपराध गंभीर प्रकृति का है जिसकी गहन जांच की जरूरत है. अदालत को बताया गया कि पुलिस इस बात की जांच करना चाहती है कि कालीचरण को पुणे में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने के लिए किसने आमंत्रित किया था और वह फरार रहने के दौरान कहां रुका था. अभियोजन पक्ष ने आरोपियों के आवाज के नमूने लेने की भी बात कही.

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बचाव पक्ष के वकील अमोल दांगे ने कहा कि कालीचरण के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी राजनीति से प्रेरित है क्योंकि मामले 10 दिन बाद दर्ज किया गया था. उन्होंने पुलिस हिरासत के खिलाफ तर्क देते हुए कहा कि यह अपराध सात साल से कम कारावास के साथ दंडनीय है. दलीलें सुनने के बाद, न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी) एम ए शेख ने कालीचरण को एक दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया.

रायपुर में एक कार्यक्रम के दौरान महात्मा गांधी के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी के लिए कालीचरण के खिलाफ छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में भी मामले दर्ज किए गए हैं. कालीचरण को पिछले हफ्ते छत्तीसगढ़ पुलिस ने उस मामले में मध्य प्रदेश से गिरफ्तार किया था.

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