बेंगलुरु:कर्नाटक उच्च न्यायालय (Karnataka High Court) ने साइको किलर उमेश रेड्डी (Umesh Reddy) की मौत की सजा बरकरार रखी है. रेड्डी को 2006 में सत्र न्यायालय ने मौत की सजा सुनाई थी. उस पर बेंगलुरु के पीन्या (peenya in Bangalore) में 1998 में एक महिला का रेप और हत्या करने का आरोप साबित हुआ था.
उमेश रेड्डी ने अपने वकील बीएन जगदीश के माध्यम से मौत की सजा को आजीवन कारावास में तब्दील कराने की अपील की थी. हाई कोर्ट के जज अरविंद कुमार और प्रदीप सिंह येरू की बेंच ने उसकी सजा बरकरार रखी है. उमेश रेड्डी को इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के लिए 6 हफ्ते का समय दिया गया है.
2013 में राष्ट्रपति ने खारिज की थी दया याचिका
2013 में राष्ट्रपति ने उमेश रेड्डी की मां की दया याचिका खारिज कर दी थी. 1997 में बेल्लारी जेल में शिफ्ट होने के दौरान उसने भागने की कोशिश की थी. रेड्डी को 1998 में बेंगलुरु में एक विधवा से दुष्कर्म और हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया था. रेड्डी का कर्नाटक में कई वर्षों तक आतंक रहा. वह महिलाओं से दुष्कर्म करने के बाद उनकी हत्या कर देता था. रेड्डी ने 18 महिलाओं की हत्या करना कबूल किया है. उसे नौ मामलों में दोषी ठहराया जा चुका है. हालांकि ऐसा शक है कि उसने कम से कम 21 महिलाओं के साथ दुष्कर्म करने के बाद हत्या की है.
शिकार ऐसे बनाता था कि रूह कांप जाए
रेड्डी के अपराध करने का तरीका भी ऐसा था कि सुनकर किसी की भी रूह कांप जाए. वह आमतौर पर सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे के बीच घर में अकेली रहने वाली महिलाओं को निशाना बनाता था. वह पानी मांगने या पता पूछने के बहाने घर में घुस जाता था. फिर चाकू दिखाकर उन्हें कपड़े उतारने के लिए मजबूर करता था. उन्हें बांधकर दुष्कर्म करता था फिर उनका गला घोंटता था. वह अक्सर अपने शिकार का गला दबाता था और जब वे बेहोश हो जातीं तो उनके साथ दुष्कर्म करता था. हत्या करने के बाद डकैती दिखाने के लिए वह उनके गहने भी निकाल लेता था. इसके बाद वह पीड़िता के अंडरगारमेंट्स लेकर फरार हो जाता था. एक बार गिरफ्तारी के दौरान उसे महिलाओं की पेंटी पहने हुए पाया गया था.