मुंबई : मराठा आरक्षण की मांग को लेकर अनशन पर बैठे सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने मंगलवार को कहा कि वह अपनी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल वापस लेने के लिये तैयार हैं, लेकिन वह धरना स्थल से तब तक नहीं हटेंगे, जब तक कि राज्य सरकार मराठवाड़ा क्षेत्र से मराठा समुदाय को कुनबी जाति प्रमाण पत्र जारी करना शुरू नहीं कर देती है. उन्होंने कहा कि वह राज्य सरकार को एक महीने का समय दे रहे हैं ताकि राज्य द्वारा नियुक्त समिति मराठा आरक्षण पर अपनी रिपोर्ट तैयार कर सके.
मराठा समुदाय के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की मांग को लेकर करीब 40 वर्षीय जरांगे मध्य महाराष्ट्र के जालना जिले के अंतरवाली सराती गांव में 29 अगस्त से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर हैं.
राज्य सरकार ने निजाम-युग के दस्तावेजों में कुनबी (अब ओबीसी का हिस्सा) कहे जाने वाले मराठा समुदाय के सदस्यों को जाति प्रमाण पत्र देने के लिए कानूनी और प्रशासनिक ढांचे सहित मानक संचालन प्रक्रियाओं को निर्धारित करने के लिए न्यायाधीश संदीप शिंदे (सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति का गठन किया है. इससे मराठवाड़ा क्षेत्र के मराठों को ओबीसी श्रेणी के तहत आरक्षण प्राप्त करने की अनुमति मिल जाएगी. मराठवाड़ा क्षेत्र में आठ जिले औरंगाबाद, बीड, हिंगोली, जालना, लातूर, नांदेड़, उस्मानाबाद और परभणी शामिल हैं.
जरांगे ने मंगलवार को एक सभा को संबोधित करते हुए कहा, "मैं राज्य सरकार को एक महीने का समय देने के लिए तैयार हूं ताकि समिति एक रिपोर्ट तैयार करे. मैंने राज्य सरकार को स्पष्ट कर दिया है कि उसकी रिपोर्ट सकारात्मक हो या नकारात्मक, इसे मराठा समुदाय को कुनबी जाति प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया शुरू करनी होगी." उन्होंने कहा, "मैं दो कदम पीछे हट रहा हूं ताकि मेरे समुदाय की बदनामी बंद हो। मैं अपना अनशन वापस लेने को तैयार हूं, लेकिन मैं यह जगह खाली नहीं करूंगा."