स्वीडन में कुरान जलाने को लेकर एएमयू छात्रों का प्रदर्शन अलीगढ़: स्वीडन में कुरान शरीफ को जलाने को लेकर एएमयू के छात्रों ने शुक्रवार को प्रोटेस्ट मार्च निकाला. इस दौरान छात्रों ने हाथों में कुरान लेकर प्रदर्शन किया. छात्रों ने कहा कि स्वीडन सरकार की शह पर कुरान जलाई गई. अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर रिलीजन के खिलाफ इस तरह की हरकतें हो रही हैं. छात्रों ने कहा कि जब से कुरान धरती पर आया है, कोई मिटा नहीं पाया है. इस दौरान AMU कैंपस में धार्मिक नारे भी लगाए गए. वहीं, प्रधानमंत्री मोदी से स्वीडन सरकार पर कार्रवाई के लिए दबाव बनाने की मांग की.
छात्र नेता फरहान जुबैरी ने कहा कि इस्लाम को मिटाने और बदलने के लिए बहुत सी ताकतें आईं. लेकिन, वह ऐसा नहीं कर पाईं. इस्लाम और कुरान के खिलाफ जिसने भी साजिश करने की कोशिश की है, उसका बुरा हुआ है. छात्रनेता फरहान ने कहा कि सिर्फ हिंदुस्तान ही नहीं दुनिया के अंदर कलमा पढ़ने वाला शख्स स्वीडन में हुई हरकत बर्दाश्त नहीं करेगा. फरहान ने कहा कि हम उस कौम से ताल्लुक रखते हैं, जब तक खामोश है तो खामोश है और हमें छेड़ा गया तो उसका नतीजा अच्छा नहीं है. इस्लाम को निशाना बनाने की कोशिश की जा रही है.
एएमयू छात्र नेता आरिफ त्यागी ने कहा कि स्वीडन में कुरान शरीफ जलाए जाने की निंदा करते हैं. AMU छात्र कुरान शरीफ से मोहब्बत करते हैं. हम इसके लिए जान भी कुर्बान करते हैं और इसके ईमान को लेकर बाबे सैयद गेट पर खड़े हैं. आरिफ ने कहा कि जो लोग मुसलमान के नाम पर वोट बैंक की राजनीति करते हैं, वह इस मुद्दे पर खामोश हैं. ऐसे लोगों को इस्लाम से खारिज कर देना चाहिए. आरिफ ने कहा कि आज सिख और हिंदू कम्युनिटी पर कोई आंच आती है तो वह एकजुट हो जाते हैं. आरिफ ने कहा कि हमारी कुरान पर जब कोई बात आती है तो हम एकजुट नजर नहीं आते. आरिफ ने कहा कि हमारे हुक्मरान मोदी मिस्र की मस्जिद में गए थे. उनको बहुत सुकून मिला होगा. लेकिन, स्वीडन में कुरान शरीफ जलाने से उन्हें भी तकलीफ हुई होगी. उन्हें आगे आकर इसका विरोध जताना चाहिए.
वहीं, एएमयू शोध छात्र जैद शेरवानी ने कहा कि जिसने भी यह घटना को अंजाम दिया, वह इंसानी शक्ल में जानवर है. मुसलमानों की तौहीन की गई है. इस देश में 100 से ज्यादा मुसलमान विधायक हैं. 27 एमपी हैं. ये आवाज नहीं उठा रहे हैं. वहीं, मोदी सरकार से अपील की कि इस मुल्क में मुसलमान दूसरी सबसे बड़ी आबादी है और मोदी उनके भी प्रधानमंत्री हैं. मोदी सरकार को भी इस मुद्दे पर बोलना चाहिए. प्रधानमंत्री इस समय दुनिया के पावरफुल प्राइम मिनिस्टर में गिने जाते हैं और स्वीडन सरकार पर कार्रवाई के लिए बोल सकते हैं.
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