नारायणपुर: अबूझमाड़ के घोर नक्सल प्रभावित तोयमेटा में घने जंगलों के बीच 8 ग्राम पंचायत के सैकड़ों ग्रामीण 4 नवंबर से पारंपरिक हथियार के साथ नये पेसा कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. ग्रामीण वन संरक्षण अधिनियम 2022 और नवीन पुलिस कैंप खोले जाने का भी ग्रामीण विरोध कर रहे हैं. बीते चार नवंबर से यह सभी यहां धरने पर बैठे हैं. Narayanpur latest news
नए पेसा कानून के खिलाफ अबूझमाड़ में धरना
पेसा कानून,वन संरक्षण अधिनियम 2022 और नए पुलिस कैंप का प्रस्ताव रद्द हो:ग्रामीणों का कहना है कि "नवीन पेसा कानून में किए गए संशोधन,वन संरक्षण अधिनियम 2022 के नियम और नवीन पुलिस कैंप के खुलने से हमारी आजादी हमसे छिन जायेगी.हम खुलकर अपने जंगलों में घूमकर वनोपज एकत्र करने , घर के लिए लकड़ी नहीं ला पाएंगे.वहीं जंगल जाने पर पुलिस पकड़कर फर्जी नक्सली बनाकर जेल भेज देती है. इसलिए हम अपना विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.जब तक सरकार हमारी मांग पूरी नहीं करेगी हमारा धरना चालू रहेगा". अबूझमाड़ के ग्रामीण अपनी पारंपरिक वेशभूषा और पारंपरिक हथियारों के साथ नए कानूनों से होने वाले नुकसान के बारे में सभी ग्रामीणों को बता रहे है.
नए पुलिस कैंप और नए पेसा कानून से नुकसान: ग्रामीणों का कहना है कि "1996 में बने पेसा कानून में संशोधन करके बनाए गए पेसा कानून, वन संरक्षण अधिनियम 2022 के नियम और अबूझमाड़ इलाके में खोले जा रहे पुलिस कैंप से अबूझमाड़ की जनता को सिर्फ नुकसान ही नुकसान होगा. इसलिए हम सभी ग्रामीण विरोध कर रहें हैं".अबूझमाड़ के ग्रामीणों ने अस्पताल स्कूल को लाना है पुलिस कैंप को हटाना है.गुरुजी डाक्टर को गांव में आना है पुलिस को भगाना है जैसे नारे जमकर लगाकर अबूझमाड़ की वादियों में अपनी हुंकार भरी.वहीं ग्रामीणों ने बताया कि "ग्रामीण अपना आवेदन लेकर जिला मुख्यालय गए थे. जहां बताया गया कि ओरछा के एसडीएम ओरछा में रहते है वहां जाकर ज्ञापन देना होगा. फिर ओरछा गए तो एसडीएम साहब ऑनलाइन मीटिंग में नारायणपुर गए है बताया गया. जिससे गांववालों में गुस्सा है".
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ग्रामीणों का कहना है कि "1996 में बने पेसा कानून में संशोधन करके बनाए गए नए पेसा कानून, वन संरक्षण अधिनियम 2022 के नियम और अबूझमाड़ इलाके में खोले जा रहे पुलिस कैंप से अबूझमाड़ की जनता को नुकसान होगा इसलिए वह इसका विरोध कर रहे हैं".