चंडीगढ़ : नए कृषि कानूनों के खिलाफ राष्ट्रव्यापी चक्का जाम के तहत किसानों ने गुरुवार को पंजाब और हरियाणा में कई स्थानों पर सड़कें अवरुद्ध करते हुए इन कानूनों को वापस लेने की मांग की. अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति ने गुरुवार को दोपहर 12 से शाम 4 बजे तक इस राष्ट्रव्यापी चक्का जाम का आह्वान किया था.
विभिन्न संगठनों से संबंध रखने वाले प्रदर्शनकारी किसानों ने कई जगहों पर राजकीय और राष्ट्रीय राजमार्गों को अवरुद्ध किया, जिसके चलते यात्रियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा. इस दौरान पुलिस ने कई जगहों पर यातायात का मार्ग बदल दिया, फिर भी यात्रियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा.
प्रदर्शनकारियों ने 'काले कानून' लाने के लिए भाजपा नीत केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए आशंका जताई कि इन कानूनों से कृषक समुदाय बर्बाद हो जाएगा और इनसे केवल बड़े कारोबारी घरानों को ही फायदा पहुंचेगा.
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति के आह्वान पर देश के अलग अलग राज्यों में किसानों ने तय समय पर विरोध प्रदर्शन किया और कई जगह हाईवे पर भी एकत्रित हुए. पंजाब और हरियाणा आज के प्रदर्शन का मुख्य केंद्र रहा, जहां सबसे ज्यादा जगहों पर किसान इकट्ठे हुए.
इसके अलावा उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, झाड़खंड, चेन्नई, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक आदि राज्यों में भी जगह जगह विरोध प्रदर्शन और किसानों द्वारा चक्का जाम करने की तस्वीरें सामने आई हैं.
मंगलवार को 100 से ज्यादा किसान संगठनों के सम्मिलित मंच राष्ट्रीय किसान महासंघ ने भी चक्का जाम में समर्थन की घोषणा कर दी थी. इस तरह से अब लगभग पांच सौ किसान संगठन एकजुट होकर मोदी सरकार के कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं.
पंजाब और हरियाणा में किसानों को संबोधित करते हुए किसान नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी पहले नोटबंदी लाए, फिर अचानक से देशबंदी की और अब किसानों की घेराबंदी कर रहे हैं. यह तीन कृषि कानून जिसे सरकार किसानों के लिए सौगात बता रही है. वह इस सवाल का जवाब क्यों नहीं देते कि यह सौगात उनसे मांगी किसने थी?
उन्होंने कहा कि आज देश में कोई भी किसान संगठन इस कानून के मुद्दे पर सरकार के समर्थन में खड़ा नहीं है. आरएसएस के किसान संगठन भारतीय किसान संघ ने भी खुलकर कहा है कि यह कानून किसानों के लिए नहीं, बल्कि व्यापारियों के लिए बनाए गए हैं. योगेंद्र यादव ने कहा है कि इन तीन कानूनों के जरिए मोदी सरकार छह ओर से किसानों पर घेराबंदी लगाने की तैयारी में है.
आज के देशव्यापी चक्का जाम के बाद अब किसान संगठन 26 और 27 नवंबर को दिल्ली कूच करेंगे. दिल्ली में दो दिवसीय धरना प्रदर्शन आगे भी जारी रह सकता है. इस बात के संकेत राष्ट्रीय किसान महासंघ ने पहले ही दे दिए हैं.
सात नवंबर को दिल्ली में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के वर्किंग ग्रुप और राष्ट्रीय किसान महासंघ की कमिटी की एक बैठक होगी जिसके बाद यह तय हो जाएगा कि दिल्ली चलो कार्यक्रम में राष्ट्रीय किसान महासंघ की भूमिका होगी या नहीं. इस तरह से एक बार फिर नवंबर के महीने में किसान देशभर से दिल्ली पहुंचेंगे.