नई दिल्ली :आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय जल्द ही नए संसद भवन और केंद्रीय विस्टा पुनर्विकास परियोजना के निर्माण का प्रस्ताव हेरिटेज संरक्षण समिति को सौंपेगा.
आवास मंत्रालय के सीनियर अधिकारी ने शनिवार को ईटीवी भारत को जानकारी दी कि प्रस्ताव तैयार है और जल्द ही हम इसे धरोहर संरक्षण समिति को सौंप देंगे. उन्होंने कहा कि प्रस्ताव तैयार करते समय हमने सभी मानदंडों का कड़ाई से पालन किया है.
बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में मेगा प्रोजेक्ट को इस शर्त पर आगे बढ़ाया है कि हेरिटेज संरक्षण समिति से आवश्यक अनुमति आवश्यक है. इस मामले को लेकर देश की सर्वोच्च अदालत में जनहित याचिका भी दाखिल की गई थी, जिसमें कहा गया था केंद्रीय विस्टा परियोजना के लिए कई ऐतिहासिक स्मारकों को नष्ट कर दिया जाएगा. वहीं, परियोजना का काम शुरू करने के बाद बिगड़ते पर्यावरण परिदृश्य पर अधिकारियों ने चिंता भी व्यक्त की है.
दो साल में पूरा होगा निर्माण कार्य
आवास मंत्रालय के सीनियर अधिकारी ने कहा कि परियोजना के लिए आगे बढ़ना वास्तव में अपेक्षित था और शीर्ष अदालत के आदेश ने हमें गति प्रदान भी की. उन्होंने बताया कि हेरिटेज संरक्षण समिति में 14 सदस्य हैं, जहां कामरान रिज़वी अतिरिक्त सचिव हैं. हेरिटेज संरक्षण समिति के अन्य सदस्यों में सीपीडब्ल्यूडी, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग ऑर्गनाइजेशन, एमसीडी, डीडीए, एनडीएमसी, एएसआई, हिंदू कॉलेज और नेशनल म्यूजियम ऑफ नेशनल हिस्ट्री शामिल हैं. ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि पूरी परियोजना का काम दो साल में पूरा हो जाएगा.
2022 में भारतीय स्वतंत्रता का होगा 75वां वर्ष
केंद्रीय विस्टा मास्टर प्लान में राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक के क्षेत्र को विकसित करने और पुनर्विकास करने की परिकल्पना की गई है. 2022 में भारतीय स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के उपलक्ष्य पर इसकी भव्यता को एक वास्तुशिल्प आइकन के रूप में पुनर्स्थापित करते हुए प्रशासन के कामकाज के लिए आधुनिक सुविधाओं और सांस्कृतिक संस्थानों को मजबूत करना है. मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि हम समय से सभी काम पूरे कर लेंगे.
अनुमानित लागत 13,450 करोड़
इस परियोजना का उद्देश्य दिल्ली में 86 एकड़ भूमि का नवीनीकरण और पुनर्विकास करना है. जिसमें संसद भवन, राष्ट्रपति भवन, इंडिया गेट, नॉर्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक, शास्त्री भवन और उद्योग भवन शामिल हैं. केंद्रीय लोक निर्माण विभाग को परियोजना को पूरा करने का जिम्मा सौंपा गया है. जिसकी अनुमानित लागत 13,450 करोड़ रुपये है. वहीं, सरकार ने सुझाव दिया है कि 53 मंत्रालयों के कार्यालय जो विभिन्न स्थानों में हैं, उनके सभी अधिकारियों को समायोजित करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं.
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परियोजना में 10 भवनों में सभी मंत्रालयों को रखने के लिए आम केंद्रीय सचिवालय बनाने का प्रस्ताव है. दिलचस्प बात यह है कि नए संसद भवन का निर्माण 900 करोड़ रुपये की लागत से किया जाएगा, जिसमें 150 प्रतिशत बैठने की क्षमता में वृद्धि होगी. यहां यह उल्लेख किया जा सकता है कि वर्तमान में लोकसभा में बैठने की क्षमता 552 है जो नए भवन में 888 तक बढ़ जाएगी. वहीं, दूसरी ओर राज्य सभा में वर्तमान में बैठने की क्षमता 245 है, और यह 384 तक की वृद्धि का गवाह बनेगा.