अयोध्या जाने के लिए बेताब हैं प्रो. पुष्पिता अवस्थी आगरा: अयोध्या के भव्य और नव्य मंदिर में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी. इसके बाद 500 साल के संघर्ष और इंतजार के बाद प्रभु श्रीराम का दरबार सजेगा. राम के नाम और राम दरबार की धूम भारत के साथ ही विश्व के तमाम देशों में हैं. वहां पर स्थापित किए गए मंदिरों में प्रभु श्रीराम का गान और धुन गूंज रही हैं. नीदरलैंड से आगरा के डाॅ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के केएमआई में हुए इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में शामिल होने आईं हिंदी यूनिवर्स फाउंडेशन की अध्यक्ष प्रो. पुष्पिता अवस्थी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि, नीदरलैंड में उन्होंने चर्च खरीदकर दो राम मंदिर बनवाए हैं.
नीदरलैंड में दो चर्च खरीद कर राम मंदिर बनवाए गये उन्होंने कहा कि ये दोनों राम मंदिर नीदरलैंड के अमस्टर्डम शहर के हाईवे और ख्रोनिंग शहर में हैं. प्रभु श्रीराम मेरे आराध्य हैं. मैं कानपुर में जन्मी थी और काशी में पढ़ाई की. जब काशी में पढ़ाई कर रही थी, तो राम मंदिर का आंदोलन चल रहा था. बाबरी मजिस्द ढहाने के बारे में मैंने काशी में पढ़ा और कार सेवकों से सुना था. 22 जनवरी को प्रभु श्रीराम सालों के इंतजार के बाद अपने मंदिर में पहुंचें. मैं भी अयोध्या जाउंगी. मैं अयोध्या की रज अपने साथ नीदरलैंड लेकर जाउंगी.
नीदरलैंड से आए पुजारी कर रहे अयोध्या की परिक्रमा: प्रो. पुष्पिता अवस्थी बताती हैं कि, नीदरलैंडस ही नहीं, पूरे यूरोप में जो भारतवंशी समुदाय हैं. उनके भगवान राम आराध्य और भारतीय संस्कृति के प्रतीक हैं. जो उनके जीवन का आधार हैं. राम मंदिर में लोग तन्मय होकर आराधना करते हैं. क्योंकि, विदेश में गया हुआ भारतवंशी और प्रवासी भारतवंशी कभी भी विदेशी नहीं हो सकता है. वो भारत भूमि छोडने की पीडा के उनके अंदर रहती है. उसे लगता है कि, प्रभु राम के स्मरण से, हनुमान की भक्ति से, शिव की भक्ति से मातृभूमि के विछोह को भूल सकते हैं. उन्होंने कहा कि, अयोध्या में बन रहे राम मंदिर का प्रभाव विदेशों में भी है.
मेरे साथ मेरे बनवाए गए दोनों ही राममंदिर के पुजारी भी मेरे साथ भारत आए हैं. दोनों ही पुजारी अयोध्या हैं. वे अयोध्या की परिक्रमा कर रहे हैं. उन्हें पता है कि, 22 जनवरी के बाद वहां पर भीड अधिक होगी. इसलिए, अभी वहां पर परिक्रमा कर रहे हैं. प्रो. पुष्पिता अवस्थी बताती हैं कि, नीदरलैंड में भारतवंशी आपस में जिस भाषा में संवाद करते हैं. वो अवधी हैं. इसी अवधी भाषा में रामचरित मानस है.
दो चर्च खरीद कर बनवाए राममंदिर: प्रो. पुष्पिता अवस्थी बताती हैं कि, नीदरलैंड में चर्च बिक रहे हैं. मैंने वहां पर दो चर्च खरीदे हैं. जिन पर राम मंदिर बनाए गए हैं. जिनमें राम दरबार, शिव परिवार, दुर्गा माता और हनुमान की मूर्तियां हैं. सबसे पहले मैंने नीदरलैंड के अमस्टर्डम शहर के हाईवे के बगलगीर अपगाउडो स्थान पर 12 साल पहले चर्च खरीद कर राम मंदिर बनवाया था. जिसमें तभी से राम नाम धुन की गूंज रही है. इसके बाद 6 साल पहले ख्रोनिंग शहर में एक चर्च खरीद कर श्रीराम मंदिर की स्थापना की. जिसमें श्रीराम दरबार, शिवलिंग, मां दुर्गा की मूर्ति की स्थापना कराई है. दोनों ही मंदिर में शनिवार और रविवार को अच्छी भीड रहती है. भारतवंशी और प्रवासी भारतीय दोनों ही मंदिर में पूजा, अर्चना और दर्शन करने आते हैं.
क्रॉस की जगह पर अब त्रिशूल, शादियां हो रहीं:प्रो. पुष्पिता अवस्थी बताती हैं कि, नीदरलैंड में करीब दो मिलियन भारतीय हैं. काशी के पंडित शंकर उपाध्याय के साथ 2012 में श्रीराम मंदिर और सभाकक्ष की स्थापना करके नीदरलैंड में सनातन धर्म का प्रचार किया जा रहा है. दोनों ही राम मंदिर में गीता और रामचरितमानस का पाठ होता है. इसके साथ ही सूरीनाम में रामलीला का मंचन किया जाता है. मंदिर में भजन और संकीर्तन होता है. दोनों मंदिर में सभा कक्ष बनाया गया है. जिसमें सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं. नवरात्र में व्रत के साथ ही नौ दिन देवी के नौ रूपों की पूजा के साथ ही डांडिया और गरबा भी होता है. आज चर्च के क्रॉस की जगह पर त्रिशूल लगा हैं. मंदिरों में शादियां भी होती हैं. इसके साथ ही वहां पर गेस्ट हाउस भी बनाया है.
जानें कौन हैं प्रो. पुष्पिता अवस्थी: प्रो. पुष्पिता अवस्थी का कानपुर में 14 जनवरी 1960 को जन्म हुआ था. उनकी काशी में पढ़ाई हुई. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के वसंता कॉलेज में हिंदी विभाग की अध्यक्ष रही हैं. 25 साल से विदेशों में भारत और हिंदी के प्रचार प्रसार पर काम कर रही हैं. सन 2001 से 2005 तक सूरीनाम में भारतीय दूतावास में भारतीय संस्कृति केंद्र की पहली सचिव रहीं थीं. उन्होंने नीदरलैंड्स में सन 2006 में हिंदी यूनिवर्स फाउंडेशन स्थापित किया था. जिसकी वे अध्यक्ष हैं. इसके साथ ही वे गार्जियन ऑफ अर्थ एंड ग्लोबल कल्चर की अध्यक्ष भी हैं. वे नीरतलैंड में भारतीय साहित्य, परंपरा और भारतीयता को जिंदा रखने के लिए कैंप आयोजित करती हैं. मंदिरों में जाकर भारतवंशियों को हिंदी पढ़ाती हैं. उन्होंने हिंदी और अंग्रेजी के साथ ही डच भाषा में भी 77 पुस्तकें लिख चुकी हैं.
चर्च बिकने खरीदने का विरोध नहीं:प्रो. पुष्पिता अवस्थी बताती हैं कि, नीदरलैंड में चर्च बिक रहे हैं. क्योंकि, बीते 25 सालों में वहां पर ईसाई धर्म पर लोगों की आस्था खत्म हो रही है. जिसकी वजह से चर्च खाली हो रहे हैं. वहां पर चर्च का संचालन करना भी मुश्किल हो रहा है. इसलिए, चर्च के बिकने से किसी की धार्मिक भावनाएं आहत नहीं होती हैं. जिसकी वजह से ही कोई प्रोटेस्ट नहीं करता है. हमने भी सूरीनामी इंडियन कम्यूनिटी के सहयोग से चर्च खरीदे हैं.
राम चरित मानस का रोमन में ट्रांसलेट: प्रो. पुष्पिता अवस्थी बताती हैं कि, दोनों ही राम मंदिर में भारतीयों के साथ ही दूसरे लोग आते हैं. जिसमें डच भी शामिल हैं. इसलिए, रामचरितमानस को रोमन में ट्रांसलेट कराया है. श्लोकों के अर्थ को डच भाषा में ट्रांसलेट किया है. राम को जानने और रामचरित मानस के पाठ करने के लिए डचेज हिंदी भी सीख रहे हैं. मेरी इच्छा नीदरलैंड में चार धाम बनाने हैं. जिनमें से दो बन चुके हैं.
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