श्रीनगर : जम्मू कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) दिलबाग सिंह ने मंगलवार को कहा कि ड्रोन ने आतंकी समूहों से सुरक्षा खतरों में एक नया आयाम जोड़ा है और पिछले महीने जम्मू वायु सेना स्टेशन पर हमले की जांच में पाकिस्तान के आयुध कारखाने जैसे सरकार समर्थित तत्वों और सरकार से इतर तत्वों की संलिप्तता दिखाई देती है.
उन्होंने कहा, ड्रोन पाकिस्तान से नकदी के साथ-साथ हथियार और गोला-बारूद गिराते थे.
उन्होंने बताया कि अतीत में सीमा पार से ड्रोन का इस्तेमाल भारतीय क्षेत्र के अंदर मुद्रा, हथियार और गोला-बारूद गिराने के लिए किया गया तथा आतंकी गतिविधियों में मानव रहित विमानों (यूएवी) की शुरुआत के साथ इस नए और उभरते खतरे को असरदार तरीके से निष्प्रभावी करने के प्रयासों की आवश्यकता है. वर्ष 1987 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी सिंह ने विभिन्न मुद्दों पर बात की. इनमें आतंकवाद के मोर्चे पर वर्तमान स्थिति और प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) जैसे आतंकी संगठनों द्वारा ड्रोन के उपयोग से सामने आए नए खतरे जैसे विषय शामिल हैं.
डीजीपी ने कहा, ड्रोन हाल में आए हैं, कह सकते हैं कि पिछले साल सितंबर में। पहले हैरानी हुई, लेकिन हम उस खतरे का मुकाबला करने के लिए अपने संसाधनों को तैयार करने में सक्षम हैं. मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हथियारों और नशीले पदार्थों और अन्य विस्फोटकों को ले जाने वाले ड्रोन के उपयोग के मामलों में...हमारी सुरक्षा ग्रिड, पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की खुफिया ग्रिड, जवाबी कार्रवाई करने में बहुत प्रभावी है. सिंह ने कहा, हम करीब 40 उड़ानों में से 32 उड़ानों को रोकने में कामयाब रहे.
उन्होंने कहा कि हालांकि, जम्मू भारतीय वायु सेना (आईएएफ) स्टेशन पर 26 और 27 जून की रात जो हुआ वह बहुत ही निंदनीय घटना थी और सरकार समर्थित तत्वों (पाकिस्तान सेना या खुफिया एजेंसी आईएसआई) की मदद के जरिए सरकार से इतर तत्वों (आतंकी समूहों) ने इस घटना को अंजाम दिया. जम्मू वायु सेना स्टेशन पर ड्रोन का इस्तेमाल इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) गिराने के लिए किया गया था.
सिंह ने कहा, इस प्रकार के लक्ष्य को चुनने से आतंकवादियों से हमारे सुरक्षा खतरों में एक नया आयाम जुड़ गया है. हमने जवाबी उपाय किए हैं. सीमा पर कुछ अतिरिक्त उपकरणों को तैनात किया गया है. हम महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों के संबंध में अतिरिक्त सावधानी बरतने की कोशिश कर रहे हैं.
जम्मू में भारतीय वायुसेना स्टेशन पर ड्रोन हमले की जांच का ब्योरा देने के लिए पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि जांच से कुछ चीजों के संकेत मिले हैं. जैसे ड्रोन के उड़ान पथ से पता चलता है कि वे पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र से आए थे, अंतरराष्ट्रीय सीमा से भारतीय वायु सेना स्टेशन की दूरी 14 किलोमीटर है. सिंह ने कहा कि दूसरा और सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा जो जांच के दौरान सामने आया, वह यह था कि विशेषज्ञ की राय ने सुझाव दिया कि आईईडी आयुध फैक्टरी जैसी अच्छी तरह से संगठित इकाई में शायद तैयार हुई. इस पर एक आयुध फैक्टरी के कुछ निशान मिले.
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