दावणगेरे: कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई बृहस्पतिवार को एसोसिएशन द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजकर लगाये गये भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच का आदेश दिया था.
इस बीच, कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल थावरचंद गहलोत से भेंट की तथा 'संवैधानिक मशीनरी के विफल' हो जाने का आरोप लगाते हुए उनसे राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करने की अपील की.
जुलाई में प्रधानमंत्री को भेजे पत्र में कर्नाटक राज्य निविदाकर्ता एसोसिएशन ने मंत्रियों, निर्वाचित प्रतिनिधियों एवं अन्य द्वारा परेशान किये जाने का दावा किया था. उसने उनपर अनुबंध मंजूर करने के लिए निविदा राशि में 30 फीसद तक तथा लंबित बिलों के लिए 'साख पत्र' (भुगतान संबंधी पत्र) जारी करने के सिलसिले में 5-6 फीसद राशि की मांग करने का आरोप लगाया था.
बोम्मई ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डी के शिवकुमार के बारे में एम ए सलीम और वी एस उगरप्पा के बीच हुई बातचीत के सोशल मीडिया पर फैलने का जिक्र करते हुए कहा, 'उसकी (कांग्रेस की) अपील हास्यस्पद है.
निविदाकर्ताओं ने अपने पत्र में कांग्रेस के शासनकाल के दौरान के अपने फीसद अनुभव के बारे में लिखा है. कांग्रेस फीसद संस्कृति की जननी है, आप (मीडिया) ने दो कांग्रेस नेताओं के बीच की फुसफुसाहट रिकार्ड किया कि केसे हर बार फीसद बढ़ गयी.'
उन्होंने कहा, '(प्रधानमंत्री को निविदाकर्ताओं द्वारा लिखे गये) पत्र में स्पष्टता नहीं है. उसमें किसी खास परियोजना या विभाग का स्पष्ट जिक्र नहीं है. उसके बाद भी मैंने समग्र जांच का आदेश दिया है. कांग्रेस के दोस्तों ने बहुत रूचि दिखायी है तो मैं मुख्य सचिव को कांग्रेस के काल में निविदा से गुजरी परियोजनाओं को भी जांच में शामिल करने को कहूंगा.'
कांग्रेस ने इस पत्र का हवाला देते हुए राज्यपाल से उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश से न्यायिक जांच कराने का आदेश देने का अनुरोध किया. उसने उनसे यह भी गुजारिश की है कि वह कर्नाटक पुलिस को इसका संज्ञान लेकर मामले से संबंधित व्यक्तियों के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दे.
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