नई दिल्ली : म्यांमार में लोकतंत्र समर्थक आंदोलन के लिए कमेटी रिप्रेसेनटिंग पाइयिंगुंग्सु ह्लुटाव (CRPH) के नेतृत्व में 'ततमादव' (म्यांमार सेना) को रोकने के लिए संघीय सेना का गठन किया है. इसके लिए समिति ने देश भर के प्रत्येक गांव से 10-20 सक्षम पुरुषों की सैन्य सेवाएं मांगी हैं.
मिजोरम से राज्यसभा सांसद के वनलालवेना ने ईटीवी भारत को फोन पर बताया कि संघीय सेना बनाने के लिए 10-20 युवाओं को तैयार करने के लिए हर गांव में एक संदेश भेजा गया है. म्यांमार निश्चित रूप से गृह युद्ध जैसी स्थिति का सामना कर रहा है.
उन्होंने कहा कि गुरुवार की रात CRPH द्वारा लोगों को एकत्रित करने लिए लोगों तक यह संदेश भेजा गया.
मिजो सांसद ने म्यांमार में CRPH के शीर्ष राजनीतिक नेताओं से बात करने के बाद कहा कि म्यांमार में लोकतंत्र-समर्थक आंदोलन में मदद करने के लिए दुनिया भर से धन सहित सभी प्रकार के समर्थन मिल रहे हैं. ततमादव संघीय सेना का एक महीने से अधिक मुकाबला नहीं कर पाएगा.
उल्लेखनीय है कि मिजोरम और मणिपुर के कुछ हिस्सों में म्यांमार के लोकतंत्र समर्थक आंदोलन को बहुत सहानुभूति और समर्थन मिल रहा है.
मिजोरम और दक्षिण मणिपुर के कई समुदायों के वंशज म्यांमार के चिन राज्य में मौजूद हैं. चिन में भारत और म्यांमार सीमा साझा करते हैं. नतीजन यहां के लोगों में मेल-जोल अंतरराष्ट्रीय सीमा द्वारा बंट गया है.म्यांमार के स्प्रिंग रिवोल्यूशन का मुख्य चेहरा डॉ सासा भी चिन समुदाय से हैं.
एक फरवरी को म्यांमार सेना द्वारा तख्तापलट के बाद उत्पीड़न के डर से सरकारी अधिकारियों सहित म्यांमार के सैकड़ों नागरिक सीमा पार कर भारत में आ गए हैं.
मीडिया ने कई ततमादव के सैनिकों, पुलिसकर्मियों, अग्निशमन कर्मियों और अन्य सरकारी अधिकारियों के बारे में बताया, जिन्होंने अपने ड्यूटी करने से इनकार कर दिया है और CRPH के सिविल डिसोबीडीअन्स को रेस्पोंस कर रहे हैं.
लोकप्रिय धारणा के विपरीत एक संघीय सेना को जल्दी से संगठित करना मुश्किल काम नहीं हो सकता है, क्योंकि म्यांमार पिछले सात दशकों से कई विद्रोहियों के लिए उपजाऊ जमीन रहा है. इन्हें आधिकारिक तौर पर एथनिक आर्म्ड ऑर्गेनाइजेशन (EAOs) कहा जाता है.
इन संगठनों को स्व-निर्धारण और पूर्ण स्वतंत्रता से लेकर स्वायत्तता तक की अपनी मांगों को लेकर जातीय लाइनों के साथ आयोजित किया जाता है.