नई दिल्ली :कोरोना महामारी के चलते पिछले एक साल से ज्यादा समय से स्कूल और शिक्षण संस्थान बंद हैं. स्कूल बंद होने के कारण न केवल बच्चों को सामान्य पढ़ाई की सभी सुविधाएं मिल सकी हैं बल्कि स्कूलों के खर्च में भी भारी कमी आई लेकिन इसके बावजूद प्राइवेट स्कूल अभिभावकों से पूरी फीस वसूलने को आमादा हैं.
कुछ स्कूलों पर तो फीस जमा न करने पर बच्चों के नाम काटने की धमकी देने के आरोप भी लग रहे हैं. इस बारे में ईटीवी भारत ने दिल्ली में एक प्राइवेट स्कूल के बाहर परेशान खड़े कुछ पैरेंट्स से बातचीत की. इस पर उन्होंने बताया कि किस तरह उन पर पूरी फीस जमा करने का दबाव बनाया जा रहा है.
शिक्षा निदेशालय और दिल्ली हाई कोर्ट का आदेश बेअसर
बता दें कि दिल्ली में शिक्षा निदेशालय ने 1 जुलाई को एक आदेश जारी कर दिल्ली हाई कोर्ट के 31 मई 2021 और 7 जून 2021 को जारी आदेशों का हवाला देते हुए कहा है कि स्कूल केवल ट्यूशन फीस, एनुअल चार्ज और डेवलपमेंट फीस की कुल राशि में 15 फीसद की कटौती कर पैरेंट्स से फीस वसूल सकते हैं. वहीं पैरेंट्स को एक साथ पूरी फीस जमा कराने के लिए भी बाध्य नहीं किया जा सकता बल्कि 6 बराबर मासिक किश्तों में फीस जमा कराने का विकल्प मौजूद रहेगा.
इसके अलावा स्कूल फीस में 15 फीसद की राहत न केवल वर्ष 2021-22 सत्र के लिए बल्कि पिछले सत्र (2020-21) के लिए भी दी गई है. यदि पैरेंट्स ने पहले ही पूरी फीस जमा करवा दी है, उस परिस्थिति में दिल्ली के प्राइवेट स्कूल या तो अतिरिक्त राशि रिफंड करेंगे या मौजूदा सत्र की फीस में समायोजित करेंगे. दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली शिक्षा निदेशालय ने भी अपनी तरफ से स्पष्ट आदेश जारी किये लेकिन जमीन पर इन आदेशों का पालन होता हुआ नहीं दिखता.
एनुअल चार्ज और डेवलपमेंट फीस पर कटौती की बात नहीं करते : पैरेंट्स
इसीक्रम में दिल्ली के पीतमपुरा में एक स्कूल केवल मौजूदा सत्र में एनुअल चार्ज और डेवलपमेंट फीस पर 15 फीसद कटौती की बात करता है तो कुछ स्कूल किसी भी छूट की बात से इनकार करते हैं. आदेशानुसार पिछले सत्र की फीस में भी 15 फीसद की छूट देनी है लेकिन पैरेंट्स बताते हैं कि स्कूल उसके बारे में बात करने से भी मना करते हैं.