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फर्जी डेथ सर्टिफिकेट बनाकर 15 साल तक पुलिस की आंखों में धूल झोंकता रहा कैदी, एक फोटो ने छीनी 'आजादी' - IG Praveen Kumar

उत्तर प्रदेश के मेरठ में एक कैदी फर्जी डेथ सर्टिफिकेट के आधार पर 15 साल तक पुलिस से बचता रहा. कैदी के परिजनों ने 10 अप्रैल 2006 में हुए विक्टोरिया पार्क अग्निकांड में उसकी मौत बताकर डेथ सर्टिफिकेट जमा कराया था. अब पुलिस ने कैदी को एक फोटो के आधार पर गिरफ्तार किया है.

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Published : Mar 21, 2021, 5:42 PM IST

मेरठ :जिले में 10 अप्रैल 2006 में हुए विक्टोरिया पार्क अग्निकांड में 67 लोग जिंदा जल गए थे, जबकि सैकड़ों लोग झुलस गए थे. इसी अग्निकांड में पुलिस को एक उम्रकैद की सजा काट रहे कैदी के मरने की भी खबर मिली थी. पुलिस को दौराला निवासी कैदी का डेथ सर्टिफिकेट भी प्राप्त हुआ था, जिसके बाद पुलिस ने उसकी तलाश बंद कर दी थी. 15 साल के बाद अचानक वही व्यक्ति सामने आ गया, तो पुलिस के होश उड़ गए.

सुप्रीम कोर्ट ने दी थी उम्रकैद की सजा
पुलिस के मुताबिक कैदी का जो डेथ सर्टिफिकेट मिला था, उसमें लिखा था कि दौराला निवासी अनिराज सिंह की मौत हो चुकी है. लेकिन गुरुवार को बुलंदशहर पुलिस ने अनिराज को जिंदा दबोच लिया. जब पुलिस ने कड़ाई से पूछताछ की तो पूरे मामले का खुलासा हुआ. अनिराज ने बताया कि हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट से उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. सजा से बचने के लिए उसने फर्जी डेथ सर्टिफिकेट लगाकर खुद को मृतक दिखा दिया था.

विक्टोरिया पार्क अग्निकांड में दिखाया था मृतक
पुलिस के मुताबिक, विक्टोरिया पार्क अग्निकांड में खुद को मृतक दिखाकर आरोपी 15 साल तक भागता रहा. अनिराज के परिजनों ने 2006 में पुलिस को उसकी मौत का डेथ सर्टिफिकेट दे दिया था. बताया था कि अनिराज की मौत विक्टोरिया पार्क अग्निकांड में हो गई. इसके बाद पुलिस ने रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को भेज दी थी. 2020 में ग्रामीणों ने सूचना दी कि अनिराज जीवित है.

पुलिस ने घोषित किया था 20 हजार का इनाम
आरोप की पुष्टि होने पर सरधना थाने में आरोपी पर फर्जी कागजात तैयार कराने के मामले में मुकदमा दर्ज कर लिया गया. साथ ही पुलिस ने अनिराज पर 20 हजार रुपये का इनाम घोषित किया था. बुलंदशहर पुलिस की टीम ने अनिराज को गुरुवार को कस्बा स्याना से गिरफ्तार कर लिया. उसके पास से एक तमंचा, जिंदा कारतूस बरामद हुआ है.

आरोपी परिवार के साथ उत्तराखंड में रह रहा था
पूछताछ में पता चला कि उम्र कैद और पुलिस से बचने के लिए अनिराज सिंह ने अपना नाम और हुलिया बदल लिया था. 16 साल फरारी के दौरान वह गुरुग्राम, नोएडा, मेरठ, रुद्रपुर आदि स्थानों पर रहने के लिए इंडस्ट्रियल एरिया चुनता था, ताकि उससे कोई तलाश न पाए. आरोपी ने ज्यादातर जगहों पर सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी की. फिलहाल पत्नी और बच्चों सहित उत्तराखंड के रुद्रपुर में रहकर सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी कर रहा था.

पैरोल के बाद नहीं गया जेल
वर्ष 2004 में अनिराज कुछ दिनों की पैरोल पर जेल से बाहर आया था. निर्धारित दिन बीतने के बावजूद जब वह जेल नहीं पहुंचा, तो पुलिस ने तलाश शुरू की. लेकिन अनिराज नहीं मिला. अनिराज के परिजनों ने उसका डेथ सर्टिफिकेट अधिवक्ता के जरिए कोर्ट में लगाया. इस आधार पर पुलिस ने अनिराज की तलाशी बंद कर दी.

एक फोटो से पकड़ा गया कैदी
आईजी प्रवीण कुमार ने बताया कि अनिराज सिंह एक फोटो से पकड़ में आ गया. 2 साल पहले वह एक पारिवारिक कार्यक्रम में गढ़मुक्तेश्वर क्षेत्र के एक गांव में गया. वहां खींची गई एक फोटो को कुछ लोगों ने वाट्सएप पर शेयर किया. महावीरपुर गांव के कुछ लोगों ने उसकी फोटो देखी, तो उसे पहचान लिया. इसके बाद उसकी तलाश शुरू हुई.

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