लखनऊ :वरिष्ठ आईएएस अधिकारी और यूपी में पर्यटन व संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव (principal secretary tourism and culture) मुकेश मेश्राम का नाम उत्तर प्रदेश के उन आईएएस (IAS) अधिकारियों में शुमार है, जो अपनी ईमानदारी, सादगी और अच्छे व्यवहार के कारण जाने जाते हैं.
1995 बैच के आईएएस मेश्राम कई जिलों में डीएम व मंडलायुक्त रहे हैं. राजधानी में तैनात रहकर एलडीए उपाध्यक्ष व आयुक्त वाणिज्य कर जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके हैं. मध्य प्रदेश के बहुत ही पिछड़े बालाघाट जिले से अभावों के बीच हिंदी साहित्य की पढ़ाई कर सिविल सर्विस तक पहुंचे मुकेश मेश्राम से उनकी पढ़ाई, नौकरी में आने और अब तक के उनके काम पर चर्चा. हमने उनसे पूछा कि वह जिन सपनों के लेकर आए थे, क्या वह पूरे हो पाए?
प्रश्न- आपको एक ईमानदार अफसर के रूप में लोग जानते हैं. सादगी और विनम्रता के लिए लोग जानते हैं. मैं आपसे जानना चाहता हूं कि बालक मुकेश से आईएएस अधिकारी मुकेश मेश्राम तक की यात्रा कैसे संभव हो सकी?
उत्तर-आईएएस में आना तो संयोग ही रहा. मेरा बचपन तो अभावों और ग्रामीण परिवेश में बीता है. यह जंगल से चालू होता है. हम लोग पेड़ों पर चढ़कर वानरों की तरह उत्पात किया करते थे. मैं मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले से हूं, जहां आज भी पचास प्रतिशत से अधिक जंगल है.
एक गांव से दूसरे गांव की दूरी आठ किलो मीटर तक होती है. बीच में जंगल होते हैं. उन्हीं जंगलों में छोटे-छोटे खेत होते हैं, जिनकी वर्षा पर ही निर्भरता होती है. एक ही फसल हो पाती है वहां. बाकी महुआ बीनकर लोग अपना जीवन यापन करते हैं. जब हम छोटे थे, तब वहां मूलभूत सुविधाएं और सड़कें नहीं थीं. हमें नदी पार कर स्कूल जाना पड़ता था. नंगे पांव घूमते रहते थे. जो कपड़ा मिला पहन लेते थे.
प्रश्न- आज के युवाओं के लिए आप एक प्रेरणा हैं. अभावों से निकलकर देश की सबसे बड़ी परीक्षा पास की आपने. पढ़ाई और नौकरी के बीच के संघर्ष के विषय में भी बताएं.
उत्तर-अमूमन यह होता है कि हममें बहुत सारे लोग यह समझ कर कि उनसे संभव नहीं है, प्रयास ही नहीं करते. आशा के बीच से निकलकर महत्वाकांक्षा की डोर थामे रहनी पड़ती है. सबसे बड़ी चीज है आपके अंदर की जीवटता और आत्मविश्वास. यह सबके अंदर है.
यह जिजीविषा सबके अंदर ईश्वर प्रदत्त है. हमारे पास दिमाग है, जो बहुत दूर तक सोच सकता है. विचारों को ब्रह्मांड से निकालकर मूर्त रूप दे सकता है. जहां हम यह सोच लेते हैं कि यह हमसे संभव नहीं है, वहीं पर हम आधा हार जाते हैं. यह नहीं करना है. बहुत सारे लोग भाषा की समस्या में उलझ जाते हैं. कोई समस्या नहीं है.
बस आपको यह ठान लेना है. जब आप कोई निश्चय कर लेते हैं, तो सारे ब्रह्मांड की शक्तियां आपके साथ आ जाती हैं. जब मैंने सोचा इसमें विविधता है. कार्यों के लिए आपके पास अवसर हैं. समाज सेवा और देश सेवा के लिए यह एक बेहतरीन सर्विस मानी जाती है.