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PM Modi 'Pariksha Pe Charcha' : परीक्षा पे चर्चा पर मोदी बोले- कभी ‘शॉटकर्ट’ ना अपनाएं, नकल से होगा दीर्घकालिक नुकसान - नरेंद्र मोदी आज करेंगे परीक्षा पे चर्चा

इस साल परीक्षा पे चर्चा 2023 के लिए लगभग 38.8 लाख छात्रों ने रजिस्ट्रेशन कराया है, जो पिछले साल पंजीकृत छात्रों की संख्या (15.73 लाख) से दोगुना है. परीक्षा पर चर्चा के दौरान पीएम मोदी टाइम मैनेजमेंट, नकल से बचने और आलोचना से निपटने के तरीकों के बारे में बता रहे हैं.

PM Will Do Pariksha Pe Charcha Today
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

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Published : Jan 27, 2023, 6:59 AM IST

Updated : Jan 27, 2023, 4:08 PM IST

नई दिल्ली:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज 'परीक्षा पे चर्चा' कर रहे हैं. इसमें शामिल होने के लिए 38 लाख विद्यार्थियों ने पंजीकरण कराकर एक रिकॉर्ड बनाया है. चर्चा शुरू करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि 'परीक्षा पर चर्चा' मेरी भी परीक्षा है और देश के कोटि-कोटि विद्यार्थी मेरी परीक्षा ले रहे हैं... मुझे ये परीक्षा देने में आनंद आता है. इस कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि सोशल स्‍टेटस का दवाब बच्‍चों पर न डालें. दूसरी ओर उन्होंने बच्चों से कहा कि दबाव पर ध्यान ना दें. उन्होंने कहा कि क्रिकेट में स्‍टेडियम में लोग चौका, छक्‍का चिल्‍लाते रहते हैं, तो क्‍या खिलाड़ी पब्लिक की डिमांड पर चौके छक्‍के लगाता है? खिलाड़ी केवल गेंद पर ध्‍यान देता है.

टाइम मैनेजमेंट को लेकर पीएम ने कहा कि मां से सीखें टाइम मैनेजमेंट सीखें. परीक्षा में नकल से बचने का मंत्र देते हुए कहा कि एक दो एग्‍जाम में नकल कर जिंदगी नहीं बन सकती है. पीएम ने बच्‍चों से कहा कि भले ही कोई नकल कर आपसे कुछ नंबर ज्‍यादा ले आए, मगर वह जिंदगी में आपके लिए रुकावट नहीं बन सकता. आप अपने भीतर की शक्ति पर भरोसा करें. पीएम मोदी ने कहा कि मैं सिद्धांत: मानता हूं कि समद्ध लोकतंत्र के लिए आलोचना एक शुद्यियज्ञ है. उन्होंने कहा कि लेकिन आरोप और आलोचना में फर्क होता है. आलोचना बहुत मुश्किल काम है. ऐसे में लोग शॉर्टकट अपनाते हैं और आरोप लगाते हैं. दोनो में बहुत फर्क है. हम आरोपों पर ध्‍यान न दें मगर आलोचना को अपने लिए जरूरी समझें.

सोशल मीडिया से भटके बिना पढ़ाई करने के सवाल पर पीएम मोदी ने कहा कि आप स्‍मार्ट हैं या गैजेट स्‍मार्ट है? अगर आप खुद को गैजेट से ज्‍यादा स्‍मार्ट मानेंगे तो गैजेट का सही इस्‍तेमाल कर सकेंगे. पीएम मोदी ने कहा कि हमें यह खुद समझना चाहिए कि हमें गैजेट्स का गुलाम नहीं बनना है. हमें टेक्‍नोलॉजी या गैजेट्स से भागना नहीं है, उसे अपनी जरूरत के अनुसार इस्‍तेमाल करना है. पीएम मोदी ने बच्‍चों से कहा कि हमारे आरोग्‍य शास्‍त्र में फास्टिंग का मंत्र है.

बदलते समय में अब हमें डिजिटल फास्टिंग की जरूरत है. अब हम देख रहे हैं कि एक ही घर में मां, बाप, बेटा सब अपने अपने मोबाइल में व्‍यस्‍त रहते हैं. पहले लोग यात्रा करते समय गप्‍पे मारते थे, मगर अब मोबाइल में लग जाते हैं. आपको अपने घर में भी एक एरिया तय करना चाहिए जिसे नो टेक्‍नोलॉजी जोन कहा जाए.

मदुरै से अश्विनी ने अपना सवाल पीएम मोदी के समने रखा. पीएम मोदी ने कहा कि पैरेंट्स अपने बच्‍चों के बारे में बाहर जाकर बड़ी बड़ी बातें कर देते हैं, और फिर बच्‍चों से वैसी ही उम्‍मीद करते हैं. ऐसे में क्‍या हमें इन दवाबों से दबना चाहिए क्‍या? दिनभर जो कहा जाता है, उसी को सुनते रहेंगे या अपने अंदर झांकेंगे? क्रिकेट में स्‍टेडियम में लोग चौका, छक्‍का चिल्‍लाते रहते है, तो क्‍या खिलाड़ी पब्लिक की डिमांड पर चौके छक्‍के लगाता है? खिलाड़ी केवल गेंद पर ध्‍यान देता है.

मां से सीखें टाइम मैनेजमेंट:प्रधानमंत्री ने कहा कि हम अपने पसंद की चीज में ही अपना सबसे ज्‍यादा समय बिताते हैं. फिर जो विषय छूट जाते हैं उनका भार बढ़ता जाता है. ऐसे में सबसे कठिन विषय को सबसे पहले और उसके ठीक बाद सबसे पसंद का विषय. ऐसे ही एक के बाद एक पसंद और नापसंद के विषयों को समय दें. उन्होंने कहा कि केवल परीक्षा के लिए ही नहीं हमें अपने जीवन में हर स्तर पर टाइम मैनेजमेंट को लेकर जागरूक रहना चाहिए. आप ऐसा स्लैब बनाइए कि जो आपको कम पसंद विषय है उसको पहले समय दीजिए... उसके बाद उस विषय को समय दीजिए जो आपको पसंद है. पीएम ने कहा, क्‍या आपने आपने कभी अपनी मां के काम को ऑब्‍जर्व किया है? मां दिन के हर काम का टाइम मैनेजमेंट सबसे अच्‍छी तरह से करती है. मां के पास सबसे ज्‍यादा काम होता है, मगर उसका टाइम मैनेजमेंट इतना अच्‍छा होता है कि हर काम समय पर होता है.

परीक्षा में नकल से बचने के लिए पीएम का मंत्र : पीएम ने कहा कि ऐसे कुछ टीचर्स होते हैं जो ट्यूशन पढ़ाते हैं. वे चाहते हैं कि उन्‍हे स्‍टूडेंट्स अच्‍छे नंबर लाएं इसलिए वे ही नकल को बढ़ावा देते हैं. पीएम ने कहा कि छात्र नकल के लिए जितनी क्रिएटिविटी दिखाते हैं, उतनी पढ़ाई के लिए दिखाएं तो नकल की जरूरत नहीं पड़ेगी. प्रधानमंत्री ने कहा, समय पर ऐसा आ गया है कि हर कदम पर एग्‍जाम देना होगा. एक दो एग्‍जाम में नकल कर जिंदगी नहीं बन सकती है.

इसलिए ये वातावरण बनाना जरूरी है कि नकल कर आगे बढ़ भी गए लेकिन आगे चलकर जिंदगी में फंसे रहोगे. पीएम ने बच्‍चों से कहा कि भले ही कोई नकल कर आपसे कुछ नंबर ज्‍यादा ले आए, मगर वह जिंदगी में आपके लिए रुकावट नहीं बन सकता. आप अपने भीतर की शक्ति पर भरोसा करें. पीएम ने बच्‍चों से कहा कि भले ही कोई नकल कर आपसे कुछ नंबर ज्‍यादा ले आए, मगर वह जिंदगी में आपके लिए रुकावट नहीं बन सकता. आप अपने भीतर की शक्ति पर भरोसा करें.

स्‍मार्ट वर्क और हार्ड वर्क में से क्‍या चुनें?: इस सवाल के जवाब में पीएम मोदी ने कहा, आप सभी ने प्‍यासे कौवे की कहानी सुनी होगी, जिसमें कौवा मटके में कंकड डालकर पानी पीता है. क्‍या ये उसका हार्डवर्क था या स्‍मार्टवर्क? कुछ लोग हार्डली स्‍मार्टवर्क करते हैं जबकि कुछ लोक स्‍मार्टली हार्डवर्क करते हैं. कौवे से हमें यही सीखना है. प्रधानमंत्री ने कहा कि एक बार एक व्‍यक्ति की गाड़ी खराब हो गई. वह घंटो धक्‍का लगाता रहा मगर गाड़ी स्‍टार्ट नहीं हुई. उसने एक मैकेनिक को बुलाया जिसने 2 मिनट में गाड़ी ठीक कर दी और 200 रुपये का बिल बना दिया. व्‍यक्ति ने कहा कि 2 मिनट के काम के 200 रुपये कैसे. मै‍केनिक ने कहा कि 200 रुपये 2 मिनट के नहीं, 20 साल के अनुभव के हैं.

सामान्‍य लोग ही असामान्‍य काम करते हैं : पीएम ने कहा, दुनिया में देखिये, जो लोग बहुत सफल हुए हैं, वे भी सामान्‍य ही हुआ करते थे. इस समय पूरे विश्‍व में देशों की आर्थिक स्थिति की चर्चा हो रही है. ऐसा नहीं है कि दुनिया में अर्थशास्त्रियों की कमी नहीं है. आज दुनिया आर्थिक मोर्चे पर भारत की तरफ देख रही है. अभी तक ऐसा ही कहा जाता था कि भारत में अर्थशास्त्रियों की कमी है, प्रधानमंत्री को भी कोई ज्ञान नहीं है. मगर अब ये सामान्‍य ही असामान्‍य हो गया है.

विपक्ष और मीडिया की आलोचना से कैसे निपटते हैं? : पीएम मोदी ने कहा कि मैं सिद्धांत: मानता हूं कि समद्ध लोकतंत्र के लिए आलोचना एक शुद्धि यज्ञ है. आलोचना करने वाले आदतन ऐसा करते हैं. उन्‍हें एक बक्‍से में डाल दीजिये. घर में आलोचना नहीं होती, ये दुर्भाग्‍य का विषय है. घर में आलोचना के लिए आपके शिक्षकों से मिलना होता है, आपको ऑब्‍जर्व करना होता है. ऐसी आलोचना काम आती है. पीएम ने कहा कि माता-पिता को भी टोका-टोकी से बचना चाहिए. यह बुरा असर डालता है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि विपक्ष के लोग साइकोलॉजी जानते हैं, इसलिए जानबूझकर ऐसी बात छेड़ देते हैं कि हम अपना विषय छोड़कर उसका जवाब देने में लग जाते हैं. हमें बस अपने लक्ष्‍य पर फोकस रखना चाहिए. आलोचना बहुत मुश्किल काम है. ऐसे में लोग शॉर्टकट अपनाते हैं और आरोप लगाते हैं. दोनो में बहुत फर्क है. हम आरोपों पर ध्‍यान न दें मगर आलोचना को अपने लिए जरूरी समझें.

गैजेट के गुलाम नहीं बनें : सोशल मीडिया से भटके बिना पढ़ाई करने के सवाल पर पीएम मोदी ने कहा कि आप स्‍मार्ट हैं या गैजेट स्‍मार्ट है? अगर आप खुद को गैजेट से ज्‍यादा स्‍मार्ट मानेंगे तो गैजेट का सही इस्‍तेमाल कर सकेंगे. पीएम मोदी ने कहा कि हमें यह खुद समझना चाहिए कि हमें गैजेट्स का गुलाम नहीं बनना है. हमें टेक्‍नोलॉजी या गैजेट्स से भागना नहीं है, उसे अपनी जरूरत के अनुसार इस्‍तेमाल करना है.

डिजिटल फास्टिंग और घर में नो टेक्‍नोलॉजी जोन की सलाह :पीएम मोदी ने बच्‍चों से कहा कि हमारे आरोग्‍य शास्‍त्र में फास्टिंग का मंत्र है. बदलते समय में अब हमें डिजिटल फास्टिंग की जरूरत है. अब हम देख रहे हैं कि एक ही घर में मां, बाप, बेटा सब अपने अपने मोबाइल में व्‍यस्‍त रहते हैं. पहले लोग यात्रा करते समय गप्‍पे मारते थे, मगर अब मोबाइल में लग जाते हैं. आपको अपने घर में भी एक एरिया तय करना चाहिए जिसे नो टेक्‍नोलॉजी जोन कहा जाए.

एक से अधिक भाषाएं सीखें:भारत विविधताओं से भरा देश है. हमारे पास सैंकड़ो भाषाएं हैं. ये हमारी समृद्धि है. कम्‍यूनिकेशन एक बहुत बड़ी शक्ति है. जैसे हम सोचते हैं प्‍यानो या तबला सीखूं, तो ऐसे ही अपने पड़ोस के किसी राज्‍य की भाषा भी सीखनी चाहिए. पीएम ने कहा, दुनिया की सबसे पुरातन भाषा जिस देश के पास हो, उसे गर्व होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए? क्‍या आपको पता है कि हमारी तमिल भाषा दुनिया की सबसे पुरानी भाषा है. इतनी बड़ी अमानत हमारे पास है. यह गर्व की बात है. बड़े आराम से उत्‍तर भारत का व्‍यक्ति डोसा खाता है. दक्षिण में पूड़ी सब्‍जी चाव से खाई जाती है. जितनी सहजता से बाकी चीजें आती है, उतनी ही सहजता से भाषा भी आनी चाहिए.

PM मोदी ने लगाई शिक्षकों की क्‍लास:पीएम ने कहा, हमारे शिक्षक बच्‍चों के साथ जितना अपनापन बनाएंगे, उतना बेहतर है. स्‍टूडेंट जब कोई सवाल पूछता है तो वह आपकी परीक्षा नहीं लेना चाहता, यह उसकी जिज्ञासा है. उसकी जिज्ञासा ही उसकी अमानत है. किसी भी जिज्ञासु बच्‍चे को टोकें नहीं. अगर जवाब नहीं भी आता है तो उसे प्रोत्‍साहित करें कि तुम्‍हारा प्रश्‍न बहुत अच्‍छा है. मैं अधूरा जवाब दूं तो यह अन्‍याय होगा. इसका जवाब मैं तुम्‍हें कल दूंगा और इस दौरान मैं खुद इसका जवाब ढ़ूंढूंगा. अगर शिक्षक ने कोई बात बच्‍चे को गलत बता दी, तो यह जीवनभर उसके मन में रजिस्‍टर हो जाएगा. इसलिए समय लेना गलत नहीं है, गलत बताना गलत है.

इससे पहले शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि परीक्षा पर चर्चा एक जन आंदोलन का रूप ले चुका है. बच्चों पर जो अभिभावक, शिक्षक और समाज का दवाब रहता है, उसको समझते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उस दुविधा को स्वयं हमारे बीच समाधान देने के लिए उपस्थित हुए हैं. प्रधान ने कहा कि परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम में भाग लेने के लिए इस साल 38 लाख से अधिक विद्यार्थियों ने पंजीकरण कराया है और यह संख्या पिछले साल के मुकाबले 15 लाख अधिक है. कुछ चयनित विद्यार्थियों को गणतंत्र दिवस परेड के लिए आमंत्रित किया जाएगा और उन्हें हमारी समृद्ध विरासत से अवगत कराने के लिए राष्ट्रीय महत्व के स्थानों जैसे कि राजघाट,सदैव अटल और प्रधानमंत्री संग्रहालय ले जाया जाएगा. यह एक सालाना कार्यक्रम है, जिसमें प्रधानमंत्री आगामी बोर्ड परीक्षा में बैठने वाले विद्यार्थियों से चर्चा करते हैं.

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Last Updated : Jan 27, 2023, 4:08 PM IST

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