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नेपाल से आने वाले रुद्राक्ष की कीमतें सीमा हैदर की वजह से बढ़ीं, जानिए - रुद्राक्ष की कीमतें

काशी में इन दिनों रुद्राक्ष की कीमतें बढ़ गईं हैं. इसकी वजह सीमा हैदर बताई जा रही है. आप सोच रहे होंगे आखिर यह कैसे संभव है. चलिए बताते हैं इस खास रिपोर्ट के जरिए.

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Published : Aug 18, 2023, 1:37 PM IST

काशी में बढ़ी रुद्राक्ष की कीमतें.

वाराणसी: पाकिस्तान से भारत आई सीमा हैदर तो आपको याद ही होगी. नेपाल के रास्ते सीमा हैदर के भारत में एंट्री लेने की वजह से नेपाल बॉर्डर पर इतनी सख्ती हो गई कि आए दिन कोई ना कोई विदेशी नागरिक गलत डॉक्यूमेंट के सहारे भारत में घुसने की कोशिश करते हुए पकड़ा जा रहा है. शायद यही वजह है कि नेपाल बॉर्डर पर हो रही सख्ती का असर अब भारत में नेपाल के रास्ते आने-वाले सामानों की कीमतों में इजाफे के रूप में देखने को मिल रहा है. सबसे बड़ा असर तो नेपाल से भारत आने वाले रुद्राक्ष पर पड़ा है. धर्म नगरी वाराणसी में रुद्राक्ष की सबसे ज्यादा खपत मानी जाती है. व्यापारियों की मानें तो हर महीने नेपाल के रास्ते बनारस में कई टन रुद्राक्ष आता है, लेकिन सीमा हैदर के कारण नेपाल बॉर्डर पर हुई सख्ती ने रुद्राक्ष की कीमतों में 40% प्रति बढ़ोतरी कर दी है. हालत यह है जो रुद्राक्ष का एक सिंगल दाना 20 रुपये में मिलता था, उसकी कीमत 45 से 50 रुपये पर पहुंच गई है.

काशी में 40 फीसदी तक हुआ रुद्राक्ष की कीमतों में इजाफा.
दरअसल, पाकिस्तान की रहने वाली सीमा हैदर मई के महीने में पाकिस्तान से भाग कर अपने बच्चों के साथ भारत आई थी. भारत में उसने एंट्री लेने के साथ ही नोएडा के सचिन से संपर्क किया और सचिन ने ही उसे पनह दी थी और दोनों एक साथ रहने भी लगे. इसके बाद खुफिया एजेंट के सतर्क होते ही सीमा की गिरफ्तारी भी बिना वीजा के भारत में प्रवेश करने को लेकर की गई.
तुलनात्मक कीमतें.
नेपाल के रास्ते सीमा हैदर के बिना वीजा के भारत में आने के मामले के बाद नेपाल बॉर्डर पर जबरदस्त सिक्योरिटी हो गई और इतनी जबरदस्त सख्ती के बीच नेपाल से भारत में होने वाले कारोबार से लेकर आने वाले लोगों की विशेष निगरानी भी शुरू हो गई. यही वजह है कि इस कड़ाई के कारण नेपाल और भारत के बीच होने वाले व्यापार पर भी इसका बड़ा असर पड़ रहा है. वाराणसी में प्रतिदिन कई टन रुद्राक्ष की माला दाने और रुद्राक्ष के बने अन्य प्रोडक्ट बेचे जाते हैं. छोटी बड़ी दुकानों के अलावा फुटपाथ पर भी छोटी-छोटी दुकान लगाकर अपनी जीविका चलाने वाले लोग रुद्राक्ष की वजह से अच्छी कमाई कर लेते हैं, लेकिन इन दोनों रुद्राक्ष की बढ़ रही कीमतों ने व्यापारियों को परेशान किया हुआ है. रुद्राक्ष की माला और रुद्राक्ष से जुड़े अन्य चीजों का कारोबार करने वाले बृजेश कुमार का कहना है की सीमा हैदर का नेपाल के रास्ते भारत आना और फिर पकड़े जाना व्यापारियों के लिए सर दर्द बन गया है क्योंकि नेपाल से ही रुद्राक्ष बड़ी मात्रा में भारत आता है लेकिन वहां पर इतनी ज्यादा कस्टम और अन्य पुलिस बल्कि तैनाती कर दी गई है कि एक झोला भी लेकर आना मुश्किल हो गया है. चीजों को जो पहले व्यापारी बिना जांच के ले आते थे वह अब आना मुश्किल हो रहा है. तमाम खर्च बढ़ाने के कारण वहां से आने वाले प्रोडक्ट की कीमतों में भी 20 से 25% का इजाफा हुआ है. वहां से भारत आने के बाद बिहार, महाराजगंज, गोरखपुर होते हुए अलग-अलग रास्तों से बनारस तक आने वाले प्रोडक्ट के ट्रांसपोर्टेशन व अन्य खर्च मिलकर रुद्राक्ष के प्रोडक्ट में 40% से ज्यादा का इजाफा हो गया है जो रुद्राक्ष की एक नॉर्मल माला 110- 120 रुपए में मिल जाती थी वह अब व्यापारी को ही डेढ़ सौ से 130 में पड़ रही है, जबकि एक मुखी, पांच मुखी, सात मुखी रुद्राक्ष के दाने भी महंगे हो गए हैं. रुद्राक्ष की बनी अलग-अलग चीज महंगी होने की वजह से व्यापारियों को भी इसकी कीमतें बढ़ानी पड़ी है और पब्लिक भी परेशान होती है. फिलहाल सीमा हैदर के करण रुद्राक्ष की कीमतों में इजाफा तेजी से हो रहा है और यह कब तक जारी रहेगा यह नहीं पता लेकिन महंगाई के बीच इस नेपाल बॉर्डर पर इस सख्ती ने व्यापारियों को जबरदस्त चोट जरूर दी है.

नेपाली में ही क्यों मिलता है रुद्राक्ष
दरअसल नेपाल के तमाम हिस्सों में रुद्राक्ष के पेड़ पाए जाते हैं. मान्यता है कि जब माता सती ने खुद के शरीर को त्याग किया था तब भगवान शंकर उनके जलते हुए पार्थिव शरीर को लेकर पृथ्वी का भ्रमण कर रहे थे और रोते-रोते भगवान शिव के आंखों के आंसू नेपाल के ही जंगलों में गिरे थे. इसकी वजह से वहां रुद्राक्ष के पेड़ होने लगे इसी अनुसार रुद्राक्ष की असली और बेहतर माला और दाने यहां से ही आते हैं और आम पहाड़ी इलाकों से सस्ते भी माने जाते हैं.




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