शिमला: आजाद भारत में जन्मीं द्रौपदी मुर्मू अब विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की संवैधानिक प्रमुख हैं. सोमवार को द्रौपदी मुर्मू ने देश के 15वें राष्ट्रपित के तौर पर शपथ ली. भारत के इस बड़े लोकतांत्रिक घटनाक्रम के तार शिमला से भी जुड़ते हैं. शिमला में एक नहीं दो-दो इमारतें राष्ट्रपति भवन के तौर पर मौजूद हैं. इनमें से एक में अब भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान (Indian Institute of Advanced Study) चलता है और दूसरी इमारत रिट्रीट मौजूदा दौर में राष्ट्रपति का ग्रीष्मकालीन निवास (Presidents Summer Residence in Shimla) स्थान है. गर्मियों में देश के राष्ट्रपति जब-जब भी शिमला आए तो रायसीना हिल्स से जरूरी कामकाज की फाइलें भी शिमला पहुंच जाती हैं और राष्ट्रपति उन पर यहीं साइन करते हैं. आइए, जानते हैं शिमला और राष्ट्रपति निवास के दिलचस्प कनेक्शन के बारे में...
पहले राष्ट्रपति भवन और अब आईआईएएस: शिमला में ब्रिटिश हुकूमत के समय वायसराय का गर्मियों का आधिकारिक निवास वायसरीगल के रूप में जाना जाता था. वर्ष 1884 में वायसरीगल लॉज का निर्माण शुरू हुआ और चार साल बाद 1888 में पूरा हुआ. ब्रिटिश वायसराय यहां गर्मियों में आया करते थे और शिमला तब देश की ग्रीष्मकालीन राजधानी था. आजादी के बाद इस इमारत को राष्ट्रपति निवास का नाम दिया गया. वर्ष 1964 में देश के तत्कालीन राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन (Former President Sarvepalli Radhakrishnan) ने इसे उच्च अध्ययन संस्थान के तौर पर समर्पित कर दिया और इसे भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान का नाम दिया गया. दिलचस्प बात ये है कि डाक विभाग के कागजों में इसे अब भी राष्ट्रपति निवास कहा जाता है और संस्थान के परिसर में अग्निशमन केंद्र के पास अभी भी राष्ट्रपति निवास लिखा हुआ मौजूद है.
मिट्टी व लकड़ी की धज्जी दीवार वाला रिट्रीट: मौजूदा समय में शिमला में मशोबरा के पास ऐतिहासिक इमारत रिट्रीट मौजूद है. इसकी खासियत परंपरागत निर्माण शैली है. डेढ़ शताब्दी से भी अधिक पुरानी रिट्रीट इमारत की दीवारें धज्जी दीवार कहलाती हैं. लकड़ी व मिट्टी की परंपरागत निर्माण शैली से बनी धज्जी दीवारें भूकंपरोधी होती हैं. शिमला के समीप मशोबरा में इसी इमारत में राष्ट्रपति गर्मियों का अवकाश बिताने आते हैं. पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय प्रणब मुखर्जी (Former President Late Pranab Mukherjee) और पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का इस इमारत से खासा लगाव रहा है. जब राष्ट्रपति शिमला आते हैं तो इसी इमारत में ठहरते हैं. ये शहर के शोर-शराबे से दूर प्रकृति की गोद में स्थित है.
कोटी रियासत के शाही परिवार की थी इमारत: मूल रूप से ये इमारत कोटी रियासत के शाही परिवार (history of shimla retreat building) की थी. बाद में इसे अंग्रेज हुकूमत ने इसे रियासत के शासकों से लीज पर लिया था. यह इमारत प्राचीन समय की याद दिलाती है. इसके आसपास सुंदर फुलवारी और एक बागीचा भी है. रिट्रीट इमारत दस हजार वर्गफीट से भी अधिक क्षेत्र में फैली है. ये बात वर्ष 1850 की है. उसके बाद कोटी के शासक ने वर्ष 1886 में इसे वापस ले लिया था. ब्रिटिश हुकूमत को ये इमारत पसंद थी, लिहाजा 1895 में तत्कालीन वायसराय ने इसे फिर से ब्रिटिश शासन के अंतर्गत ले लिया.