नई दिल्ली : गणतंत्र दिवस के दो दिन बाद सेवानिवृत्त हुए राजसी घोड़े विक्रांत और विराट (retiring majestic horses Vikrant and Viraat) को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने अपने अंगरक्षक बेड़े में शामिल करने की इच्छा व्यक्त की. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की इस करुणा को देखते हुए दोनों सेवानिवृत्त घोड़े विक्रांत और विराट को राष्ट्रपति के अंगरक्षक बेड़े में रखा (elite horse of President's Bodyguard) जाएगा. विक्रांत और विराट को बेड़े में शामिल करने का फैसला, भारत में जानवरों के साथ मानवीय व्यवहार की उच्च परंपराओं के अनुरूप लिया गया है. साथ ही राष्ट्रपति कोविंद की उनके प्रति करुणा को भी ध्यान में रखा गया है.
राष्ट्रपति के अंगरक्षक बेड़े में रहेंगे सेवानिवृत्त विराट, विक्रांत - President's Bodyguard to retain retiring horses Vikrant, Viraat
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के अंगरक्षक बेड़े में शामिल घोड़ा 'विराट' बुधवार को 73वें गणतंत्र दिवस पर आयोजित परेड के बाद सेवानिवृत्त हो गया. यह घोड़ा 13 से अधिक गणतंत्र दिवस परेडों का हिस्सा रह चुका है. इससे पहले 15 जनवरी को सेना दिवस की पूर्व संध्या पर हनोवेरियन नस्ल के विराट नामक इस घोड़े को चीफ ऑफ द आर्मी स्टाफ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उसे उसकी असाधारण सेवा और क्षमताओं के लिए थल सेना प्रमुख प्रशस्ति से सम्मानित किया गया.
हालांकि, सेना के जानवरों से संबंधित सभी फैसले सेना मुख्यालय द्वारा लिया जाता है. इसलिए राष्ट्रपति के अंगरक्षक जानवर भी रक्षा मंत्रालय के नियमों का पालन करते हैं. गौरतलब है कि राष्ट्रपति भवन ने विराट के सेवानिवृत्त जीवन के दौरान भी उसे रेजिमेंट में रहने देने इजाजत सेना मुख्यालय से मांगी थी. वहीं, विक्रांत, जिसे पीबीजी को सौंपा गया था, विराट के साथ ही सेवानिवृत्त हो गया है.
बता दें कि राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के अंगरक्षक बेड़े में शामिल घोड़ा 'विराट' बुधवार को 73वें गणतंत्र दिवस पर आयोजित परेड के बाद सेवानिवृत्त हो गया. यह घोड़ा 13 से अधिक गणतंत्र दिवस परेडों का हिस्सा रह चुका है. इससे पहले 15 जनवरी को सेना दिवस की पूर्व संध्या पर हनोवेरियन नस्ल के विराट नामक इस घोड़े को चीफ ऑफ द आर्मी स्टाफ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उसे उसकी असाधारण सेवा और क्षमताओं के लिए थल सेना प्रमुख प्रशस्ति से सम्मानित किया गया.
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