नई दिल्ली :राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवार के चयन को लेकर टीएमसी नेता तथा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कमान संभाली है. वहीं, कांग्रेस राष्ट्रपति चुनाव के बहाने ही सही अंदर खाने ममता बनर्जी के राष्ट्रीय मुद्दों पर नेतृत्व से बहुत ज्यादा सहमत नहीं है, लेकिन उसे ऐसा लगता है कि यदि कांग्रेस नेतृत्व करती है तो शायद कुछ पार्टियां जो यूपीए के खेमे में आ सकती हैं, वह भी वापस लौट जाएंगी. अंततः 17 अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों की बैठक ममता बनर्जी के नेतृत्व में आधिकारिक तौर पर देश की राजधानी दिल्ली में हुई.
ऐसा नहीं है कि जुलाई में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव की तैयारी मात्र यूपीए की तरफ से ही की जा रही है, बल्कि एनडीए इससे पहले ही सजग हो चुका है और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को अन्य घटक दलों और एनडीए से बाहर के कुछ पार्टियों के साथ भी बातचीत करने के लिए अधिकृत किया गया है. देखा जाए तो राष्ट्रपति चुनाव में किंग मेकर की भूमिका में टीआरएस, वाईएसआर, बीजेडी और आम आदमी पार्टी की भूमिका होगी. लेकिन ये पार्टियां कांग्रेस के बुलाने पर या इस गठबंधन को कांग्रेस नेतृत्व करती है तो वह विपक्षी उम्मीदवार को अपना समर्थन नहीं देगी. इसलिए बुधवार को राजधानी दिल्ली में हुई राष्ट्रपति चुनाव की पहली आधिकारिक बैठक की अगुवाई ममता बनर्जी और शरद पवार ने की.
बीजेपी के रणनीतिकार और वरिष्ठ नेता राष्ट्रपति चुनाव को लेकर लगातार मंथन कर रहे हैं. इस बाबत संसदीय दल के नेताओं से अंदर खाने आपसी बातचीत भी की गई और सर्वसम्मति से उम्मीदवार के नाम तय करने पर भी मंथन चला. सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रपति चुनाव के बहाने एनडीए, या यूं कहें, बीजेपी 2024 के चुनाव को भी देख रही है, जिसमें जातिगत समीकरण बहुत अधिक मायने रख सकता है और यही वजह है कि अंदर खाने किसी जनजातिया उम्मीदवार के नाम को लेकर भी चर्चा गर्म है। वही एक बार अल्पसंख्यक उम्मीदवार के नाम को लेकर भी चर्चा की गई, लेकिन पार्टी अपने वोट बैंक को देखते हुए जनजातीय उम्मीदवार को लेकर ज्यादा गंभीर नजर आ रही है.
यह चार राजनीतिक पार्टियां जिनमें वाईएसआर, टीआरएस, बीजेडी और आम आदमी पार्टी हैं. इन पर भी अंदर खाने बीजेपी के नेताओं को मनाने का काम सौंपा गया है. पिछली बार इनमें से कई पार्टियों ने एनडीए का समर्थन दिया था. काफी हद तक एनडीए के खेमे में समर्थन इस बात पर भी निर्भर करेगा कि एनडीए अपना उम्मीदवार किसे उतारती है. बहरहाल, शुरुआती दौर की बातचीत शुरू हो गई है और राजनाथ सिंह ने अपने गठबंधन की पार्टियों समेत ऐसी पार्टियां जो किंग मेकर की भूमिका में नजर आ रही है, उनसे भी बातचीत शुरू कर दी है. पार्टी में राजनाथ सिंह का चेहरा हमेशा से एक ऐसा चेहरा माना जाता रहा है जिनके दूसरे दलों के साथ भी निजी संबंध सामान्य रहे हैं. यही वजह है कि पार्टी ने रक्षामंत्री को इसके लिए अधिकृत किया है.