नई दिल्ली : देश भर के सांसदों और विधायकों ने सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) और विपक्षी दलों के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) में से किसी एक को भारत के 15वें राष्ट्रपति के तौर पर चुनने के लिए सोमवार को मतदान किया. संसद भवन में 98.90 प्रतिशत निर्वाचकों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. निर्वाचन अधिकारी पी सी मोदी ने यह जानकारी दी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी तथा पार्टी नेता राहुल गांधी ने संसद भवन में मतदान किया. साथ ही देशभर में राज्य विधानसभाओं में भी मतदान हुआ. विभिन्न राजनीतिक दलों के रुख को देखते हुए इस चुनाव में राजग की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू की विपक्ष के साझा उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के खिलाफ जीत तय मानी जा रही है.
निर्वाचन अधिकारी मोदी ने मतदान के बाद संवाददाताओं को जानकारी दी कि निर्वाचन आयोग ने 727 सांसदों और 9 विधायकों समेत कुल 736 निर्वाचकों को संसद भवन में मतदान की अनुमति दी थी, जिनमें से 719 सांसदों और 9 विधायकों समेत 728 ने मतदान किया. इससे पहले अधिकारी ने बताया था कि छह सांसदों ने अपने मताधिकार का उपयोग नहीं किया, लेकिन आंकड़ों में संशोधन करते हुए यह संख्या आठ बताई गई.
बता दें कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) के दबदबे और बीजू जनता दल (बीजद), बहुजन समाज पार्टी (बसपा), शिरोमणि अकाली दल, शिवसेना और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) जैसे क्षेत्रीय दलों के समर्थन के साथ मुर्मू की वोट हिस्सेदारी लगभग दो-तिहाई तक पहुंचने की संभावना है और वह सर्वोच्च संवैधानिक पद पर आसीन होने वाली आदिवासी समुदाय की पहली नेता और दूसरी महिला होंगी.
सांसदों ने संसद के कक्ष संख्या-63 में बनाए गए मतदान केंद्र में अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. वहीं, विधायकों ने राज्य विधानसभाओं में मतदान किया. लगभग 4,800 निर्वाचित सांसद और विधायक चुनाव में वोट देने के हकदार हैं, लेकिन मनोनीत सांसदों और विधायकों, और विधान परिषद के सदस्यों को यह अधिकार नहीं है. मतदान के रफ्तार पकड़ने और अंतिम परिणाम स्पष्ट प्रतीत होने के बीच सिन्हा (84) ने सांसदों और विधायकों से अपनी 'अंतरात्मा की आवाज' सुनने और उनका समर्थन करने की अपील की. सिन्हा ने संवाददाताओं से कहा, 'मैंने बार-बार कहा है कि यह चुनाव इस मायने में देश की दिशा तय करेगा कि भारत में लोकतंत्र रहेगा या फिर धीरे-धीरे खत्म हो जाएगा. अभी संकेत यही मिल रहे हैं कि हम लोकतंत्र के खत्म होने की दिशा में बढ़ रहे हैं.'
उन्होंने कहा, 'कोई व्हिप नहीं है. यह गुप्त मतदान है.' सिन्हा ने कहा कि उनकी सभी सांसदों और विधायकों से अपील है कि वे लोकतंत्र बचाने के लिए अपने अधिकार का इस्तेमाल करें और उन्हें निर्वाचित करें. सिन्हा ने यह भी कहा कि वह सिर्फ राजनीतिक लड़ाई नहीं लड़ रहे हैं, बल्कि सरकारी एजेंसियों के खिलाफ भी लड़ रहे हैं. सिन्हा ने कहा, 'सरकारी एजेंसियां बहुत सक्रिय हो गई हैं, वे राजनीतिक दलों में तोड़फोड़ की वजह बन रही हैं, वे लोगों को एक खास तरह से मतदान करने के लिए विवश कर रही हैं और इसमें पैसे का खेल भी शामिल है.'
मतगणना 21 जुलाई को होगी और अगले राष्ट्रपति 25 जुलाई को शपथ लेंगे. नतीजा पहले से ही स्पष्ट प्रतीत होता है लेकिन कुछ स्थानों पर पार्टी रुख से अलग मतदान की अटकलों के कारण मुकाबला रोचक बन गया है. पिछले महीने संपन्न राज्यसभा चुनाव में 'क्रॉस वोटिंग' करने वाले हरियाणा के कांग्रेस विधायक कुलदीप बिश्नोई ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में भी अपने विवेक के हिसाब से मतदान किया. सिन्हा के बजाय मुर्मू का समर्थन करने का संकेत देते हुए बिश्नोई ने संवाददाताओं से कहा, 'राज्यसभा चुनाव की तरह ही मैंने इस चुनाव में भी अपने विवेक के हिसाब से मतदान किया है.'
मुंबई में, भाजपा की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार के विश्वास मत के दौरान अनुपस्थित रहे कांग्रेस के कुछ विधायक अपने विवेक के अनुसार मुर्मू के पक्ष में मतदान करेंगे. उन्होंने कहा, 'मुझे भरोसा है कि विश्वास मत के दौरान अनुपस्थित रहे कांग्रेस के कुछ विधायक इस बार भी अपने विवेक का इस्तेमाल करेंगे.'
शिरोमणि अकाली दल के विधायक मनप्रीत सिंह अयाली ने राष्ट्रपति चुनाव का बहिष्कार करते हुए कहा कि पंजाब से जुड़े कई मुद्दे अभी भी अनसुलझे हैं और पार्टी नेतृत्व ने राजग उम्मीदवार मुर्मू को समर्थन देने का फैसला करने से पहले उनसे सलाह नहीं ली थी. दाखा से विधायक अयाली ने एक वीडियो संदेश में कहा कि वह अपनी इच्छा के मुताबिक ही राष्ट्रपति चुनाव का बहिष्कार कर रहे हैं और मुर्मू को समर्थन देने का फैसला करने से पहले पार्टी नेतृत्व ने उनसे या सिख समुदाय से सलाह नहीं ली थी.