रायपुर: अगले महीने देश को नया राष्ट्रपति मिल (presidential election 2022 ) जाएगा. राष्ट्रपति चुनाव को लेकर विपक्ष से लेकर सत्तापक्ष की तरफ से उम्मीदवारों पर मंथन हो रहा है. कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बार बीजेपी की तरफ (India may get first tribal president) से आदिवासी वर्ग से राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार की घोषणा हो सकती है. ऐसे इसलिए क्योंकि बीते कई महीनों में बीजेपी नेताओं ने आदिवासी वर्ग से जुड़े कई कार्यक्रमों में आदिवासी वर्ग से सीधा संवाद ( bjp may announce candidate from tribal class) किया है.
देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी के कई बड़े नेताओं ने पिछले कुछ महीनों में आदिवासियों के बड़े कार्यक्रमों में शिरकत की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 नवंबर 2021 को भोपाल में आयोजित "जनजाति गौरव दिवस" महासम्मेलन में शामिल हुए. प्रधानमंत्री के इस कार्यक्रम के 5 महीने बाद 22 अप्रैल 2022 को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भोपाल में ही वन समितियों के सम्मेलन में आदिवासी वर्ग के लोगों को संबोधित किया. 20 अप्रैल 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के दाहोद में आयोजित आदिवासी महासम्मेलन में शामिल. 10 जून 2022 को गुजरात के नवसारी जिले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाखों आदिवासियों को संबोधित किया. बीजेपी के लिए आदिवासी वर्ग काफी अहम है. राजनीति के जानकार यह भी मानते हैं कि "देश के राष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी आदिवासी वर्ग से उम्मीदवार चुने तब भी कोई अचरज नहीं होगा"
आदिवासी चेहरे पर दांव लगा सकती है बीजेपी राजनीतिक जानकार की राय : राजनीतिक विशेषज्ञ शशांक शर्मा ने बताया कि "राष्ट्रपति के लिए अनुसुइया उइके का नाम एक प्रबल दावेदार के रूप में शामिल होना कोई आश्चर्य की बात नहीं है. पिछले एक दशक से यह बात चल रही है कि जनजाति समूह से किसी को राष्ट्रपति या उप राष्ट्रपति बनाया जाए. यह अच्छा मौका है की एक अनुसूचित जाति वर्ग के व्यक्ति को राष्ट्रपति बनाया गया तो संभव है इस बार जनजाति वर्ग के किसी व्यक्ति को राष्ट्रपति बनाया जाए और अगर वह व्यक्ति महिला हो तो राजनीतिक दृष्टि से एक तीर से दो निशाना कहा जा सकता है. अनुसुइया उइके एक प्रबल दावेदार हो सकती हैं और पार्टी स्तर पर भी इनका नाम गंभीरता से विचार किया जा रहा होगा"
राष्ट्रपति उम्मीदवार की रेस में अनुसुईया उइके का नाम: राजनीतिक विशेषज्ञ शशांक शर्मा ने बताया कि "राज्यपाल अनुसुईया उइके राजनीति में 1990 से है. राज्यपाल अनुसुइया विधायक भी रही है. छत्तीसगढ़ के राज्यपाल के रूप में अनुसुईया उइके दो ढाई साल हुए होंगे. एक राजनीतिक और राजभवन में काम करने का अनुभव उन्हें बखूबी है. अनुसुईया उइके के साथ कोई राजनीतिक विवाद नहीं जुड़ा हुआ है. सबको साथ लेकर चलने वाली और आम आदमी के राज्यपाल के रूप में अनुसुईया उइके की पहचान है"
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आदिवासी वर्ग के लिए अनुसुईया उइके ने किया काम: राजनीतिक विशेषज्ञ शशांक शर्मा बताया कि " छत्तीसगढ़ की राज्यपाल बनते ही अनुसुइया उइके ने राजभवन के दरवाजे खोल दिया और कहा कि जनजाति समुदाय का कोई व्यक्ति कभी भी आकर उनसे मिल सकता है. जैसे प्रधानमंत्री कहते हैं कि वह प्रधानमंत्री नहीं प्रधानसेवक है तो अनुसुईया उइके जैसे व्यक्ति का राष्ट्रपति के तौर पर चुना जाना जनता के लिए ज्यादा बेहतर और उपयोगी हो सकता है"
राष्ट्रपति चुनाव के लिए यह नाम भी आगे: राजनीतिक विशेषज्ञ शशांक शर्मा ने बताया कि "भारतीय जनता पार्टी के संबंध में कोई कैंडिडेट के ऊपर बात करना बहुत मुश्किल है , क्योंकि भारतीय जनता पार्टी का हमेशा बहुत अचरज भरा निर्णय होता है. राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदावार के तौर पर ओडिशा की द्रौपदी मुर्मू हो सकती हैं. आनंदीबेन पटेल भी एक अच्छी कैंडिडेट हो सकती हैं. लेकिन गुजरात से किसी कैंडिडेट को लेने से बचेंगे ऐसा मुझे लगता है. कोई नया कैंडिडेट भी हो सकता है और यह भी जरूरी नहीं कि जनजाति समुदाय से ही हो "
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वेंकैया नायडू पर भी हो सकता है फैसला: राजनीतिक विश्लेषक शशांक शर्मा ने बताया कि " वेंकैया नायडू एक अच्छे कैंडिडेट हो सकते हैं अगर भाजपा को दक्षिण भारत कवर करना है. भारतीय जनता पार्टी अभी दक्षिण भारत को टारगेट कर रही है. अपने राजनीतिक विस्तार के लिए तो दक्षिण भारत से कोई अच्छा नाम निकल के आ सकता है. नाम तो बहुत हैं लेकिन नरेंद्र मोदी और अमित शाह जब कोई नाम की घोषणा करते हैं तब आश्चर्य होता है और मुझे लगता है इस बार भी आश्चर्य ही होगा."