शिमला: हिमाचल प्रदेश के पूर्ण राज्यत्व के 50 वर्ष पूर्ण होने पर विधानसभा का विशेष सत्र का आयोजन किया गया. जिसमें पूर्व व वर्तमान विधायक, सांसद मौजूद रहे. विधानसभा के विशेष सत्र को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संबोधित किया. इस मौके पर हिमाचल प्रदेश विधानसभा के स्पीकर, राज्यपाल, सीएम, नेता प्रतिपक्ष और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर मौजूद रहे.
हिमाचल विधानसभा को देश की पहली ई-विधानसभा होने का गौरव हासिल है. इसी ई-विधानसभा के काउंसिल चैंबर में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संबोधित किया. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि यह 'काउंसिल चेंबर भवन' तथा परिसर, आधुनिक भारत की अनेक महत्वपूर्ण घटनाओं के साक्षी रहे हैं. इसी भवन में विट्ठल भाई पटेल ने सन् 1925 में ब्रिटिश प्रत्याशी को हराकर. सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली के अध्यक्ष का चुनाव जीता था. अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने संसदीय मर्यादा और निष्पक्षता का ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया, जो आज भी हमारी संसद और विधान सभाओं के लिए एक आदर्श है.
हिमाचल प्रदेश विधान सभा में जसवंत राम से लेकर ठाकुर सेन नेगी सहित अध्यक्षों एवं प्रभावशाली विधायकों की समृद्ध परंपरा रही है. इस सत्र में प्रतिपक्ष के नेता का संबोधन होना आपकी परिपक्व लोकतांत्रिक संस्कृति का अनुकरणीय उदाहरण है. इस स्वस्थ परंपरा के बीज आप के पूर्ववर्ती जन-नायकों द्वारा संचालित आजादी की लड़ाई और उसके बाद पूर्ण राज्यत्व के लिए सर्वथा संवैधानिक तरीके से संचालित आंदोलन में निहित थे.
'पहाड़ी गांधी' के नाम से विख्यात कांगड़ा के बाबा कांशीराम जैसे स्वाधीनता सेनानियों ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ शांतिपूर्ण सत्याग्रह किया और अपने जीवन के अनेक वर्ष कारावास में बिताए. संविधान-सम्मत मार्ग पर चलते हुए डॉक्टर यशवंत सिंह परमार, पंडित पदम देव, शिवानंद रामौल तथा अन्य जन-सेवकों ने पहाड़ी क्षेत्रों के एकीकरण और हिमाचल प्रदेश की स्थापना के संघर्ष को आगे बढ़ाया था.
हिमाचल प्रदेश में स्वस्थ लोकतांत्रिक परंपरा का निर्माण करने वाले विगत विधानसभाओं के सदस्यों तथा उसको मजबूत बनाने वाले आप सभी विधायकों को मैं साधुवाद देता हूं. उनमें से बहुत से लोग आज हमारे बीच नहीं हैं. लोकतन्त्र के उन सेवकों की स्मृति को मैं सभी देशवासियों की ओर से नमन करता हूं. इस क्षेत्र के जन-जन में व्याप्त लोकतांत्रिक चेतना के कारण ही शायद यह ऐतिहासिक संयोग बना कि स्वतंत्र भारत के पहले चुनाव का पहला वोटर होने का श्रेय हिमाचल प्रदेश के ही श्याम सरन नेगी जी को जाता है. उन्हें भारतीय निर्वाचन आयोग ने 2014 के लोकसभा चुनाव में ब्रांड एम्बेसडर बनाया था. मुझे बताया गया है कि सौ वर्ष से अधिक आयु के श्री नेगी जी आज भी सक्रिय हैं और एक सजग मतदाता के रूप में उनका उदाहरण राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा भी प्रस्तुत किया जाता है.
जनवरी, 1971 में हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाना, डॉक्टर यशवंत सिंह परमार जैसे लोकतंत्र में आस्था रखने वाले जन-नायकों के नेतृत्व में यहां की जनता के संघर्ष की सफल परिणति थी. हिमाचल प्रदेश के लोगों ने विगत 50 वर्षों में विकास की जो गाथा लिखी है, उस पर सभी देशवासियों को गर्व है. इसके लिए सभी पूर्ववर्ती सरकारों ने अहम भूमिका निभाई है. मैं पूर्व मुख्यमंत्रियों के योगदान की सराहना करता हूं.
हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश की विकास-यात्रा को जन-मानस तक पहुंचाने की पहल अत्यंत सराहनीय है. हिमाचल प्रदेश ने विभिन्न क्षेत्रों में विकास के नए आयाम स्थापित किए हैं. नीति आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार 'सतत विकास लक्ष्य- इंडिया इंडेक्स 2020-21' में हिमाचल प्रदेश देश में दूसरे नंबर पर है. हिमाचल प्रदेश कई मापदंडों पर देश में अग्रणी राज्य है. इसके लिए मैं राज्यपाल, मुख्यमंत्री एवं हिमाचल प्रदेश सरकार की पूरी टीम को साधुवाद देता हूं.