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राष्ट्रपति मुर्मू भुवनेश्वर में अपने स्कूल जाकर भावुक हुईं, सहपाठियों से मिलीं

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Droupadi Murmu) ओडिशा की दो दिवसीय यात्रा पर हैं. संक्षिप्त दौरे के दौरान राष्ट्रपति गवर्नमेंट गर्ल्स हाई स्कूल यूनिट-2 और कुंतला कुमारी सबत आदिवासी गर्ल्स हॉस्टल यूनिट-2 पहुंचीं. अपने पुराने दिन याद कर राष्ट्रपति भावुक हो गईं.

President Droupadi Murmu
स्कूल जाकर भावुक हुईं राष्ट्रपति मुर्मू

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Published : Nov 11, 2022, 9:07 PM IST

भुवनेश्वर : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Droupadi Murmu) शुक्रवार को यहां यूनिट-2 गवर्नमेंट गर्ल्स हाई स्कूल (Unit-2 Capital Girls High School) में जब अपनी चारपाई पर बैठीं तो भावुक हो गईं. वह स्कूल में अपने छात्र जीवन के दौरान इसी चारपाई पर सोया करती थीं.

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ओडिशा दौरे के दूसरे दिन मुर्मू अपने स्कूल तथा कुंतला कुमारी साबत आदिवासी हॉस्टल (Kuntalakumari Sabat Adivasi Girls Hostel) गईं, जहां अपने स्कूली दिनों के दौरान वह रहती थीं. उन्होंने 13 सहपाठियों से भी मुलाकात की और उनके, अपने स्कूल के छात्रों तथा शिक्षकों के बीच होने को लेकर खुशी जताई. राष्ट्रपति ने शहर में खांडगिरी में तपबन हाई स्कूल का दौरा कर दिन की शुरुआत की. अपने स्कूली दिनों को याद करते हुए मुर्मू ने कहा, 'मैंने अपने उपरबेड़ा गांव से पढ़ाई शुरू की थी. गांव में कोई स्कूली इमारत नहीं थी बल्कि फूस की एक झोंपड़ी थी जहां हम पढ़ाई करते थे.'

मौजूदा दौर के बच्चों को 'खुशनसीब' बताते हुए राष्ट्रपति ने कहा, 'हम कक्षाओं में झाडू लगाते थे, स्कूल परिसर को गाय के गोबर से लीपते थे. हमारे वक्त में छात्र खुले दिमाग से पढ़ते थे. मैं आपसे कड़ी मेहनत करने तथा अपनी पढ़ाई पर ध्यान लगाने की अपील करती हूं.'

छात्राओं से बातचीत के दौरान मुर्मू ने कहा, 'हमारे वक्त में इंटरनेट, टेलीविजन जैसी सुविधाएं और बाहरी दुनिया के बारे में जानने का कोई अन्य साधन नहीं था. चूंकि बाहरी दुनिया से कोई मेरा आदर्श नहीं था तो मेरी दादी/नानी मेरी आदर्श थीं. मैंने देखा कि वह कैसे लोगों, खासतौर से हमारे इलाकों की महिलाओं की मदद करती थीं. मेरी दादी/नानी मानसिक रूप से बहुत मजबूत थीं और मैंने उनके जीवन से काफी कुछ सीखा.'

मुर्मू जैसे ही अपने स्कूल पहुंचीं तो बच्चों ने उनका स्वागत किया. वह आठवीं से 11वीं तक इस स्कूल में पढ़ी थीं. उन्होंने परिसर के बाहर उनकी झलक पाने के लिए सुबह से खड़े लोगों का हाथ हिलाकर अभिवादन करते हुए अपने स्कूल में प्रवेश किया. वह कुंतला कुमारी साबत हॉस्टल भी गईं जहां सरकारी स्कूल में पढ़ाई के दौरान वह रहती थीं.

एक शिक्षिका ने कहा, 'जब हमने राष्ट्रपति को उनका कमरा तथा वह चारपाई दिखाई जिस पर वह अपने छात्र दिनों के दौरान सोया करती थीं तो वह भावुक हो गईं तथा कुछ वक्त के लिए उसी बिस्तर पर बैठ गईं.'

राष्ट्रपति ने हॉस्टल परिसर में लगाया पौधा

हॉस्टल में लगाया पौधा :राष्ट्रपति ने हॉस्टल के परिसर में एक पौधा भी लगाया. वह 1970 से 1974 तक इस हॉस्टल में रही थीं. बाद में मुर्मू ने अपने सहपाठियों से मुलाकात की जिन्हें स्कूल में आमंत्रित किया गया था.

सहपाठी बोलीं, यह हमारी जिंदगी का अलग क्षण था :कॉलेज की एक सेवानिवृत्त शिक्षिका तथा मुर्मू की सहपाठी चिन्मयी मोहंती ने कहा, 'यह हमारी जिंदगी का अलग क्षण था कि भारत की राष्ट्रपति ने हमें मिलने के लिए बुलाया. हम भावनाओं को बयां नहीं कर सकते और हम देश की प्रथम नागरिक से मुलाकात करके बहुत खुश हैं जो स्कूली दिनों में हमारी सहपाठी थीं.'

मुर्मू ने उनसे हॉस्टल के कमरे में रहने वाली अन्य छात्राओं के बारे में पूछा. उन्होंने पूछा, 'चुन्नी कहां हैं? संयोग से मुर्मू की दोस्त चुन्नी इस मौके पर उपस्थित नहीं थीं.'

मोहंती ने कहा, 'हमें इतनी अच्छी मित्र मिलने पर बहुत गर्व है. हालांकि, हम ज्यादा बातचीत नहीं कर पाए. उन्होंने हमारे साथ तस्वीर खिंचाई.' राष्ट्रपति ने ट्वीट किया, 'भुवनेश्वर में अपने गवर्नमेंट गर्ल्स हाई स्कूल तथा कुंतला कुमारी साबत आदिवासी गर्ल्स हॉस्टल जाकर आज गुजरा वक्त आया. इस दौरे ने मेरे छात्र जीवन की कई यादें ताजा कर दी.' मुर्मू ने अपने स्कूल परिसर में बनाई रेत की एक कलाकृति दिखने पर भी खुशी जताई.

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(इनपुट पीटीआई-भाषा)

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