मद्रास यूनिवर्सिटी में राष्ट्रपति मुर्मू बोलीं, शिक्षित महिलाएं अर्थव्यवस्था व समाज में कर सकती हैं बड़ा योगदान
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को कहा कि शिक्षित महिलाएं अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान दे सकती हैं, विभिन्न क्षेत्रों में नेतृत्व प्रदान कर सकती हैं और समाज पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं. तमिलनाडु में मद्रास विश्वविद्यालय के 165वें दीक्षांत समारोह में उन्होंने छात्रों को संबोधित किया.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू
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Published : Aug 6, 2023, 7:49 PM IST
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Updated : Aug 6, 2023, 8:03 PM IST
मद्रास यूनिवर्सिटी में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू
चेन्नई: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को कहा कि शिक्षित महिलाएं ना केवल अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान दे सकती हैं, बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में नेतृत्व प्रदान कर सकती हैं और समाज पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं. राष्ट्रपति ने यहां मद्रास विश्वविद्यालय के 165वें दीक्षांत समारोह को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने इस तथ्य पर प्रसन्नता जताई कि इस समय लगभग 1.85 लाख विद्यार्थी विश्वविद्यालय और उससे संबद्ध महाविद्यालयों में पढ़ रहे हैं और उनमें से 50 प्रतिशत से अधिक लड़कियां हैं.
उन्होंने कहा कि मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि आज स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले 105 विद्यार्थियों में से 70 प्रतिशत लड़कियां हैं. उन्होंने कहा कि मद्रास विश्वविद्यालय लैंगिक समानता का एक ज्वलंत उदाहरण है. राष्ट्रपति ने कहा कि हम लड़कियों की शिक्षा में निवेश करके अपने देश की प्रगति में निवेश कर रहे हैं.
मुर्मू ने कहा कि शिक्षित महिलाएं अर्थव्यवस्था में अधिक योगदान दे सकती हैं, विभिन्न क्षेत्रों का नेतृत्व कर सकती हैं और समाज पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं. राष्ट्रपति मुर्मू ने स्नातक की डिग्री प्राप्त करने वाले छात्रों को बधाई देते हुए कहा कि यह क्षेत्र सभ्यता और संस्कृति का उद्गम स्थल रहा है. राष्ट्रपति ने कहा कि 1857 में स्थापित यह विश्वविद्यालय देश के सर्वाधिक पुराने विश्वविद्यालयों में से एक है.
राष्ट्रपति ने कहा कि यह गर्व की बात है कि छह पूर्व राष्ट्रपति इस विश्वविद्यालय के विद्यार्थी रहे हैं, जिनमें एस राधाकृष्णन, वीवी गिरि, नीलम संजीव रेड्डी, आर वेंकटरमन, केआर नारायाणन और ए पी जे अब्दुल कलाम शामिल हैं. देश के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और देश के पहले भारतीय गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी, स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ीं प्रतिष्ठित महिलाएं सरोजिनी नायडू और दुर्गाबाई देशमुख, नोबेल पुरस्कार विजेता सर सी वी रमन और एस चंद्रशेखर, भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एम पतंजलि शास्त्री और न्यायमूर्ति के सुब्बाराव भी कभी मद्रास विश्वविद्यालय के छात्र थे.
उन्होंने कहा कि तिरुक्कुरूल सदियों से हम सभी का मार्गदर्शन कर रहा है. उन्होंने कहा कि भक्ति काव्य की महान परंपरा तमिलनाडु से शुरू हुई और भ्रमण करने वाले संत इसे देश के उत्तरी हिस्से में लेकर गए. उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के मंदिरों की वास्तुकला और उनकी मूर्तियां मानवीय उत्कृष्टता को दर्शाती हैं. इससे पहले मुर्मू को राजभवन में गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया.