INS Vindhyagiri : स्टील्थ फीचर्स से लेकर मिसाइल तक से लैस है 'विंध्यगिरि', समंदर में बढ़ेगी भारत की ताकत
समुद्र में भारत की ताकत और बढ़ गई है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट 17 अल्फा फ्रिगेट्स के छठे युद्धपोत 'विंध्यगिरि' को लॉन्च किया. जानिए क्या है इसकी खासियत.
जंगी जहाज विंध्यगिरि
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Published : Aug 17, 2023, 9:04 PM IST
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Updated : Aug 17, 2023, 10:25 PM IST
नई दिल्ली :राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट 17 अल्फा फ्रिगेट्स के छठे जहाज 'विंध्यगिरि' का शुभारंभ किया. नए विंध्यगिरि का अनावरण कोलकाता में गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (जीआरएसई) में किया गया. स्टेल्थ गाइडेड मिसाइल टेक्नोलॉजी वाला लॉन्ग रेंज युद्धपोत मिलने से भारतीय नौसेना की ताकत और बढ़ेगी.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने लॉन्च किया जंगी जहाज
राख, काले और लाल रंग में रंगे इस जहाज को अन्य P17A स्टील्थ फ्रिगेट्स की तरह भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो द्वारा इन-हाउस डिजाइन किया गया है. अत्याधुनिक जहाज को नवीनतम उपकरणों से सुसज्जित किया जाएगा और सेवा में शामिल करने के लिए भारतीय नौसेना को सौंपे जाने से पहले व्यापक परीक्षणों से गुजरना होगा.
जंगी जहाज विंध्यगिरि
नौसेना ने कहा कि तकनीकी रूप से उन्नत युद्धपोत विंध्यगिरि अपने पूर्ववर्ती लिएंडर क्लास एएसडब्ल्यू युद्धपोत आईएनएस विंध्यगिरि को उचित श्रद्धांजलि देता है. विंध्यगिरि ने जून 2012 तक 31 वर्षों तक देश की सेवा की. एक अधिकारी ने कहा, 'नया नाम दिया गया विंध्यगिरि अपनी समृद्ध नौसैनिक विरासत को अपनाने के साथ-साथ स्वदेशी रक्षा क्षमताओं के भविष्य की दिशा में आगे बढ़ने के भारत के दृढ़ संकल्प का प्रतीक है.'
कर्नाटक की पहाड़ी पर रखा गया है नाम :अपने पूर्ववर्तियों आईएनएस नीलगिरि, उदयगिरि, हिमगिरि, तारागिरि और दूनागिरि की तरह विंध्यगिरि का नाम कर्नाटक की एक पर्वत श्रृंखला के नाम पर रखा गया है. यह तकनीकी रूप से उन्नत है और अपने पूर्ववर्ती आईएनएस विंध्यगिरि, लिएंडर क्लास एएसडब्ल्यू फ्रिगेट की विशिष्ट सेवा को उचित श्रद्धांजलि देता है.
लगभग 31 वर्षों की अपनी सेवा में पुराने विंध्यगिरि ने विभिन्न चुनौतीपूर्ण ऑपरेशन और बहुराष्ट्रीय अभ्यास देखे. नव नामित विंध्यगिरि अपनी समृद्ध नौसैनिक विरासत को अपनाने और स्वदेशी रक्षा क्षमताओं के भविष्य की दिशा में खुद को आगे बढ़ाने के भारत के दृढ़ संकल्प का प्रतिनिधित्व करता है.
यह प्रोजेक्ट 17ए फ्रिगेट्स का छठा जहाज है. ये युद्धपोत प्रोजेक्ट 17 क्लास फ्रिगेट्स (शिवालिक क्लास) के फॉलो-ऑन हैं. यह बेहतर स्टील्थ सुविधाओं, उन्नत हथियारों और सेंसरों के साथ-साथ प्लेटफ़ॉर्म प्रबंधन प्रणालियों से सुसज्जित है.
प्रोजेक्ट 17ए जहाजों को भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो द्वारा इन-हाउस डिजाइन किया गया है, जो सभी युद्धपोत डिजाइन गतिविधियों के लिए अग्रणी संगठन है.
विशेष रूप से, प्रोजेक्ट 17ए जहाजों के उपकरण और प्रणालियों के 75% ऑर्डर स्वदेशी फर्मों से हैं. इसमें सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) शामिल हैं. इसके साथ, मंत्रालय ने प्रोजेक्ट 17ए जहाजों को देश की 'आत्मनिर्भरता' की दृढ़ प्रतिबद्धता के साथ जोड़ दिया. विंध्यगिरि का प्रक्षेपण 'आत्मनिर्भर नौसैनिक बल के निर्माण में हमारे राष्ट्र द्वारा की गई अविश्वसनीय प्रगति' का एक उपयुक्त प्रमाण है.
स्टेल्थ तकनीक वाला युद्धपोत : विंध्यगिरि और पांच अन्य युद्धपोत प्रोजेक्ट 17 क्लास फ्रिगेट्स शिवालिक क्लास के फॉलो-ऑन हैं. इनमें हाईटेक तकनीकी सुविधाओं, उन्नत हथियारों और सेंसरों और प्लेटफ़ॉर्म प्रबंधन प्रणालियों में सुधार किया गया है. P17A कार्यक्रम के तहत, गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) लिमिटेड के तीन जहाज और मझगांव डॉक्स शिपबिल्डर्स (एमडीएल) लिमिटेड के चार जहाज भारतीय नौसेना के लिए निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं. विंध्यगिरि जीआरएसई द्वारा बनाए जा रहे तीन जहाजों में से आखिरी है.
जीआरएसई के एक अधिकारी के अनुसार, P17A जहाज निर्देशित मिसाइल फ्रिगेट हैं, जिनमें से प्रत्येक 149 मीटर लंबा है. इसका वजन लगभग 6,670 टन और 28 समुद्री मील की गति है. ये वायु, सतह और उप-सतह तीनों आयामों में खतरों को बेअसर करने में सक्षम हैं.
क्या है स्टेल्थ तकनीक : स्टेल्थ तकनीक (stealth ship) एलओ तकनीक भी कहते हैं, इसमें विमानों, जहाजों, पनडुब्बियों और प्रक्षेप्नास्त्रों को कई तकनीकों का उपयोग करके रडार, इन्फ्रारेड, सोनार और अन्य पकड़ने वाले तरीकों से लगभग अदृश्य बनाया जाता है. सूत्रों का कहना है कि इसमें इजराइल में मिला बराक मिसाइल सिस्टम भी है, जो लेजर गाइडेट अटैक करता है. साथ ही स्वदेशी ब्रह्मोस मिसाइल से भी लैस किया गया है.
दरअसल भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में विस्तारवादी चीन द्वारा बढ़ते खतरे का मुकाबला करने के लिए अपनी नौसैनिक शक्ति को बढ़ा रहा है. चीन के पास 355 युद्धपोतों और पनडुब्बियों के साथ दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना है. वह आईओआर में अपनी क्षमता बढ़ा रहै है. यह पाकिस्तान को अरब सागर में भारत को चुनौती देने के लिए एक मजबूत समुद्री ताकत बनाने में भी मदद कर रहा है. यही वजह है कि भारत ने कई युद्धपोतों, पनडुब्बियों और 35 से अधिक विमानों के साथ अपने विमान वाहक तैनात करके क्षेत्र में अपनी शक्ति-प्रक्षेपण क्षमताओं का प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है.