कासरगोड (केरल) : राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि एनईपी एक सुविचारित रोडमैप है. उन्होंने कहा कि एनईपी से देश की युवा पीढ़ी की प्रतिभा को निखारने वाला पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने में मदद मिलेगी. कोविंद ने केरल के पेरिया परिसर में केरल केंद्रीय विश्वविद्यालय के पांचवें दीक्षांत समारोह में अपने संबोधन में कहा कि एनईपी का उद्देश्य छात्रों को कल की दुनिया के लिए तैयार करना है और साथ ही उन्हें भारत की अपनी परंपराओं से भी युक्त करना है.
मंगलवार को राष्ट्रपति ने कहा, 'आखिरकार, भारत नालंदा और तक्षशिला, आर्यभट्ट, भास्कराचार्य और पाणिनी की भूमि है. गांधीजी ने स्वदेशी शिक्षा प्रणाली की तुलना एक सुंदर पेड़ से की थी, जो उपनिवेशवाद के तहत नष्ट हो गया. इसके सर्वोत्तम पहलुओं को फिर से खोजने का प्रयास किया जा रहा है ताकि भारत दुनिया के लिए एक ऐसा योगदान दे, जो इसे अकेले ही करना है.'
राष्ट्रपति ने कहा कि एनईपी की सबसे उत्कृष्ट विशेषता यह है कि इसका उद्देश्य समावेश और उत्कृष्टता दोनों को बढ़ावा देना है. कोविंद ने कहा कि अपने विविध पाठ्यक्रम के माध्यम से एनईपी उदार और व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देती है, क्योंकि ज्ञान की प्रत्येक धारा की समाज और राष्ट्र निर्माण में भूमिका होती है. उन्होंने कहा, 'इस तरह, एनईपी भारत के लिए जनसांख्यिकीय लाभांश का दोहन और लाभ उठाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है.'
राष्ट्रपति ने कहा कि देश की बढ़ती आबादी 'अगली पीढ़ी की प्रतिभा को पोषित करने के लिए हम पर निर्भर है.' उन्होंने कहा, 'जब युवा पीढ़ी को 21वीं सदी की दुनिया में सफलता के लिए आवश्यक कौशल और ज्ञान प्रदान किया जाए, तो वह चमत्कार कर सकती है.'
केरल की प्रशंसा करते हुए, कोविंद ने कहा कि इसने साक्षरता और शिक्षा के महत्वपूर्ण मानकों पर अन्य राज्यों का नेतृत्व किया है, जिससे यह उत्कृष्टता के कई अन्य मानकों पर भी अग्रणी राज्य बन गया है.
राष्ट्रपति ने यह भी रेखांकित किया कि केंद्र सरकार ने यूनेस्को के वैश्विक अध्ययन नेटवर्क में सूचीबद्ध होने के लिए पूरे देश के तीन शहरों के नामों की सिफारिश की है और उनमें से दो (त्रिशूर और नीलांबुर) केरल से हैं. उन्होंने कहा कि जहां तक लैंगिक समानता का सवाल है, तो केरल में न केवल अनुकूल लिंगानुपात है, बल्कि महिला सशक्तीकरण में भी यह आगे रहा है.