बेंगलुरु:राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को कहा कि प्राचीन काल में ऋषि-मुनियों की खोज की एकमात्र परिभाषित विशेषता बहुलता है जिसने अन्य के साथ समाज को प्रेरित किया है. कोविंद यहां इस्कॉन श्री राजाधिराज गोविंद मंदिर के लोकार्पण कार्यक्रम में शामिल हुए और कहा कि धार्मिक प्रेरणा भारत की संस्कृति के केंद्र में है. राष्ट्रपति ने कहा, 'प्राचीन काल में ऋषि-मुनियों की ज्ञान-पिपासा ने राजाओं एवं विद्वानों एवं शिल्पियों के साथ-साथ हमारे समाज को भी प्रेरणा दी है. यदि इस ज्ञान-पिपासा की एकमात्र परिभाषित विशेषता कोई है तो वह बहुलवाद है.'
उन्होंने कहा, 'प्रतिस्पर्धी वैश्विक नजरिया होने के बावजूद अद्वैतवाद से लेकर विशिष्टाद्वैतवाद तक, सभी एक छत के नीचे फले-फूले हैं. वैष्णववाद, शैववाद और शाक्त संप्रदाय जैसे विभिन्न संप्रदाय हैं.' इस मौके पर कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत और मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई भी उपस्थित रहे. इस्कॉन (इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्ण कॉन्शियसनेस) के अनुसार, कनकपुरा रोड पर वैकुंठ पहाड़ी स्थित श्री राजाधिराज गोविंद मंदिर पारंपरिक, पत्थर की नक्काशीदार संरचना और आंध्र प्रदेश के तिरुमला में मशहूर श्री वेंकटेश्वर मंदिर की प्रतिकृति है. इसका आकार, पत्थरों की नक्काशी और स्वरूप भी एक समान हैं.
इस्कॉन ने कहा, 'भगवान श्रीनिवास की प्रतिमा तकरीबन एक ही ऊंचाई की है और इसका नाम श्री राजाधिराज गोविंद रखा गया है जिसका मतलब है कि वह राजाओं के राजा हैं.' राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि यह मंदिर एक आधुनिक तीर्थस्थल के रूप में उभरेगा और बड़ी संख्या में भक्तों को आकर्षित करेगा. उन्होंने कहा कि यह देखकर अच्छा लगता है कि यह इस तरह की व्यवस्था की गई है कि करीब पांच हजार भक्त आराम से अपनी बारी की प्रतीक्षा कर सकते हैं.
उन्होंने कहा कि इसके अलावा, यहां एक 'अन्नदान' हॉल है जहां सभी भक्तों को मुफ्त भोजन परोसा जाएगा. कोविंद ने कहा कि इस परियोजना में दान देने वालों का उनके उदार योगदान के लिए धन्यवाद दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस्कॉन बेंगलुरु ने पिछले 25 वर्षों में लाखों लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव किया है. कोविंद ने कहा कि भक्तों की कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के कारण हरे कृष्ण पर्वत पर एक बंजर पहाड़ी को शानदार इस्कॉन श्री राधाकृष्ण मंदिर में बदल दिया गया है.