नई दिल्ली:राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को हिंसा प्रभावित मणिपुर में राहत शिविरों के लोगों की दुर्दशा पर चिंता व्यक्त की. ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वूमेन एसोसिएशन (एआईडीडब्ल्यूए) के तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने उनसे राष्ट्रपति भवन में मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने इस घटना पर दुख व्यक्त किया.
प्रतिनिधिमंडल की एक सदस्य ने ईटीवी भारत को बताया कि 'उन्होंने कहा कि वह कई बार गवर्नर से बात कर चुकी हैं. वह राहत शिविरों की दुर्दशा को लेकर चिंतित थी.'
एआईडीडब्ल्यूए सदस्यों ने वर्तमान स्थिति और राज्य में प्रभावित लोगों, विशेषकर महिलाओं और बच्चों की दुर्दशा पर प्रकाश डालते हुए एक विस्तृत रिपोर्ट भी प्रस्तुत की.
सदस्य ने कहा कि 'राष्ट्रपति ने यौन उत्पीड़न और अन्य हिंसा के पीड़ितों पर की गई क्रूरताओं का विवरण सुना.'
गौरतलब है कि AIDWA के एक प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में मणिपुर में हिंसा प्रभावित स्थानों का दौरा किया था और हिंसा प्रभावित लोगों से मुलाकात के बाद वर्तमान स्थिति पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की थी.
अलग प्रशासन की मांग का विरोध :एआईडीडब्ल्यूए सदस्यों ने राष्ट्रपति मुर्मू को राज्य की खराब कानून व्यवस्था की स्थिति से भी अवगत कराया. इससे पहले ईटीवी भारत से बात करते हुए प्रतिनिधिमंडल की सदस्य और पूर्व सांसद बृंद्रा करात ने मणिपुर में एन बीरेन सिंह सरकार को तत्काल बर्खास्त करने की मांग की है. इस बीच, यूनाइटेड मैतेई पंगल कमेटी (यूएमपीसी) मणिपुर ने मणिपुर में कुकियों के लिए एक अलग प्रशासन की मांग का विरोध किया है.
यूएमपीसी के प्रवक्ता रईस अहमद ने कहा, 'हम मणिपुर में शांति चाहते हैं. हम पहले ही राज्य के कई मूल निवासियों को खो चुके हैं. हम मणिपुर में कोई अलग प्रशासन नहीं चाहते.' यूएमपीसी मणिपुर में मैतेई पंगल (मैतेई मुस्लिम) समुदाय की 8.5 प्रतिशत आबादी का प्रतिनिधित्व करती है.
अहमद ने कहा कि 'हम मैतेई पोंगल-प्रमुख स्वदेशी समुदाय में से एक हैं, जिसका मणिपुर में 400 से भी ज्यादा वर्षों से अस्तित्व है. हमने दौरा किया और स्थिति को ठीक करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं, लेकिन महिलाओं और बच्चों सहित लोगों द्वारा सामना की जाने वाली अत्यधिक तबाही और कठिनाइयों के कारण, हमारी ओर से वास्तविक प्रयास उतने फलदायी नहीं होंगे. हालांकि, स्थिति को ठीक करने के लिए हमारे निरंतर प्रयास जारी हैं.'