नई दिल्ली : देश के 15वें राष्ट्रपति के तौर पर द्रौपदी मुर्मू ने आज (सोमवार) शपथ ली. वे देश की पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति हैं. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एन. वी. रमना ने द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. इसके बाद द्रौपदी मुर्मू के बगल में बैठे पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कुर्सी बदली और इसके साथ ही वह राष्ट्रपति के पद को ग्रहण कीं. इस मौके पर वहां मौजूद पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित अन्य कई वरिष्ठ नेता व हस्तियों ने गर्मजोशी के साथ द्रौपदी मुर्मू का स्वागत किया. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने संबोधन की शुरुआत जोहार ! नमस्कार ! से की. द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि राष्ट्रपति के पद तक पहुंचना उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है बल्कि भारत के प्रत्येक गरीब की उपलब्धि है और उनका इस शीर्ष संवैधानिक पद पर निर्वाचन इस बात का सबूत है कि भारत में गरीब सपने देख भी सकता है और उन्हें पूरा भी कर सकता है.
राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा, "मुझे राष्ट्रपति के रूप में देश ने एक ऐसे महत्वपूर्ण कालखंड में चुना है जब हम अपनी आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं. आज से कुछ दिन बाद ही देश अपनी स्वाधीनता के 75 वर्ष पूरे करेगा." उन्होंने कहा कि ये भी एक संयोग है कि जब देश अपनी आजादी के 50वें वर्ष का पर्व मना रहा था तभी उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई थी और आज आजादी के 75वें वर्ष में उन्हें यह नया दायित्व मिला है.
राष्ट्रपति ने कहा, "मैं देश की ऐसी पहली राष्ट्रपति भी हूं जिसका जन्म आजाद भारत में हुआ है. हमारे स्वाधीनता सेनानियों ने आजाद हिंदुस्तान के हम नागरिकों से जो अपेक्षाएं की थीं, उनकी पूर्ति के लिए इस अमृतकाल में हमें तेज गति से काम करना है." मुर्मू ने कहा, "राष्ट्रपति के पद तक पहुंचना, मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, ये भारत के प्रत्येक गरीब की उपलब्धि है. मेरा निर्वाचन इस बात का सबूत है कि भारत में गरीब सपने देख भी सकता है और उन्हें पूरा भी कर सकता है."
राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने अपनी जीवन यात्रा ओडिशा के एक छोटे से आदिवासी गांव से शुरू की थी और वह जिस पृष्ठभूमि से आती हैं, वहां उनके लिये प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करना भी एक सपने जैसा ही था. उन्होंने कहा, "लेकिन अनेक बाधाओं के बावजूद मेरा संकल्प दृढ़ रहा और मैं कॉलेज जाने वाली अपने गांव की पहली बेटी बनी. मैं जनजातीय समाज से हूं, और वार्ड पार्षद से लेकर भारत की राष्ट्रपति बनने तक का अवसर मुझे मिला है. यह लोकतंत्र की जननी भारतवर्ष की महानता है."