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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की विधायकों को सीख "मैं "और "मेरा" से ऊपर उठकर मेरा देश, मेरी जनता, मेरे लोग "हमारे" की रखें सोच

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Published : Jul 14, 2023, 1:31 PM IST

Updated : Jul 14, 2023, 7:45 PM IST

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की विधायकों को सीख "मैं "और "मेरा" से ऊपर उठ कर मेरा देश, मेरी जनता, मेरे लोग "हमारे" कि रखें सोच, उसने क्या किया नहीं बल्कि मैंने अपने दायित्वों का क्या किया इस पर ध्यान देने की जरूरत है. विस्तार से जानने के लिए पढ़िए पूरी खबर...

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का स्वागत करते स्पीकर सीपी जोशी
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का स्वागत करते स्पीकर सीपी जोशी

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का विधानसभा में संबोधन

जयपुर.राजस्थान विधानसभा में आज का दिन एक ऐसे इतिहास का साक्षी बना जो आने वाले समय में हमेशा याद रखा जाएगा. आजादी के बाद राजस्थान विधानसभा के विधायकों को देश की राष्ट्रपति ने पहली बार संबोधित किया. राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने राजस्थान के स्वाभिमान के प्रतीक महाराणा प्रताप महाराणा सांगा को तो याद किया ही इसके साथ ही उन्होंने राणा पूंजा और गोविंद गुरु को भी याद किया.

अपने भाषण के दौरान राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने प्रदेश के विधायकों को सीख भी दी. उन्होंने कहा कि 7 करोड़ जनता जिन 200 विधायकों पर भरोसा करती है, उन्हें अपनी जनता के विकास के लिए नियम बनाने और "मैं" की जगह "हमारा" की भावना रखनी चाहिए. यह कभी नहीं सोचना चाहिए कि "उसने क्या किया" बल्कि यह सोचना चाहिए कि जनता ने हमें चुनाव जीता कर विधानसभा में भेजा है. तो मैंने और हम सब ने संगठित होकर जनता के लिए क्या किया ?

राष्ट्रपति ने विधायकों से कहा कि राजस्थान की जनसंख्या 7 करोड़ से ज्यादा है और केवल 200 विधायक हैं. उन्होंने कहा कि जनता कभी एक बार, कभी दो बार, तो कभी जिंदगी भर जनप्रतिनिधि बनाकर आपको इस विधान सभा में भेजती है. आप भी इस विधानसभा को गौरवान्वित करते हैं मतलब साफ है कि जनता आपसे कितना प्यार करती है. राष्ट्रपति ने कहा कि जनता जनप्रतिनिधियों से इतनी प्रभावित होती है कि कभी-कभी उनकी हर बात को फॉलो करती है. उनकी हेयर स्टाइल, चाल चलन, चेहरा, उनके ड्रेस तो कभी-कभी जनता को हमने देखा है कि जनप्रतिनिधियों के हाथ में बंधे हुए धागे को भी वह फॉलो करते हैं.

ऐसे में उम्मीद करते हैं कि संविधान के प्रस्तावना के अनुसार जो आर्थिक, सामाजिक, शिक्षा लेने की आजादी का दायित्व जनसाधारण ने अपने जनप्रतिनिधि को दिया उसे आप पूरा करेंगे. उन्होंने कहा कि यह युग कंप्यूटर युग है, मॉडर्न टेक्नोलॉजी से चलता है जबकि एक युग था जब जनप्रतिनिधि क्या बोलते हैं? वो पेपर भी कभी-कभी नहीं पहुंचता था लेकिन आज घर-घर तक विधानसभा में क्या चल रहा है, जनप्रतिनिधि जनता के लिए, मेरे परिवार के लिए, समाज के लिए, देश के लिए राज्य की महिलाओं, युवाओं के लिए क्या कर रहे हैं. वह देखते हैं ओर समझते हैं, इसीलिए मैं सभी जनप्रतिनिधियों को गुजारिश करना चाहती हूं कि चाल चलन के साथ ही आचार विचार से हमें जनता के लिए सोचना चाहिए.

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केवल मैं नहीं, मैं और मेरा को छोड़कर "हमारा" की सोच होनी चाहिए. मैं और मेरा सोचने से देश, समाज, राज्य की उन्नति नहीं हो सकती. इसलिए जनप्रतिनिधि को हमेशा जनता ओर राज्य के लिए सोचना चाहिए. मैं और मेरा से उठकर मेरा देश, मेरी जनता, मेरे लोग होने चाहिए. उन्होंने कहा कि आपका दायित्व है कि जनता की जरूरतों के आधार पर नियम बनाएं, क्योंकि नियम बनाने का काम आपके हाथ में है. राष्ट्रपति ने विधायकों से कहा कि मैं चाहूंगी कि आगे चलकर यह "एक्स वाई जेड" ने तो यह काम नहीं किया कहने की जगह खुद को पूछना चाहिए कि मैंने क्या किया ? और जो मुझे दायित्व जनता ने दिया उसका मैन किया क्या? हम सब ने मिलकर संगठित रूप में क्या किया?

उन्होंने कहा कि आज राजतंत्र नहीं है और लोकतंत्र में 7 करोड़ जनता के हिसाब से 200 विधायकों का प्रतिशत निकाला जाए तो पता नहीं क्या होगा. इससे यह साफ है कि जनता आप पर कितना भरोसा करती है. जिस पर आपको खरा उतरना चाहिए. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राजस्थान के समग्र विकास और राज्य के सभी निवासियों के स्वर्णिम भविष्य की मंगल कामना करते हुए उम्मीद जताई कि राजस्थान की विधानसभा जन कल्याण और राज्य के विकास के लिए निरंतर कार्य करेगी. राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने अपने भाषण का समापन संसद हिंद, जय भारत ओर जय राजस्थान के उद्घोष के साथ किया.

राजस्थानी में की शुरुआतः राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राजस्थान विधानसभा में अपनी बात की शुरुआत राजस्थानी भाषा में "मान-सम्मान और बलिदान सु रंगी राजस्थान की धोरा री धरती रा निवासियां ने घनी शुभकामनाएं" कहकर और राजस्थान विधानसभा की पावन धरती को नमन करने के साथ की. उन्होंने आजादी के राजस्थान के गौरवशाली इतिहास के साक्षी रहे सभी मुख्यमंत्रियों, राज्यपालों और विधानसभा अध्यक्षों के योगदान को सराहा. साथ ही कहा कि राजस्थान के लिए विशेष गौरव की बात है की उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ,राजस्थान में विधानसभा सदस्य रह चुके हैं. उन्होंने कहा कि 1952 में विधानसभा अस्तित्व में आई और सभी सामाजिक वर्गों तथा भौगोलिक क्षेत्र के लोगों की उपस्थिति के कारण यह विधानसभा राजस्थान की विभिन्नता के सुंदर प्रारूप को प्रकट करती है. उन्होंने राजस्थान में जैसलमेर के मरुस्थल से लेकर सिरोही के माउंट आबू, उदयपुर की जिलों तथा रणथंभौर के वनांचल में प्रकृति की इंद्रधनुषी छटा की चर्चा कर राजस्थान विधानसभा को स्थापत्य कला का सुंदर उदाहरण बताते हुए जयपुर को यूनेस्को द्वारा वर्ल्ड हेरिटेज का दर्जा देने की बात भी गई.

खाटू श्यामजी में बाबा श्याम के दर्शन करती राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू.

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राष्ट्रपति भवन में अधिकांश पत्थर राजस्थान केःराष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि विशेषज्ञों का कहना है कि जयपुर नगर के निर्माण में कई शैलियों का सुंदर समावेश है. राजस्थान के शिल्पकार और कारीगर बेजोड़ निर्माण कार्यों, हैंडीक्राफ्ट के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति भवन जिसे देश के सबसे प्रभावशाली भवनों में से एक माना जाता है उस भवन के निर्माण में अधिकांश पत्थर राजस्थान से ही गए थे. राष्ट्रपति भवन के निर्माण में राजस्थान के अनेक कारीगरों का का परिश्रम और कौशल शामिल है. राष्ट्रपति भवन का जयपुर कॉलम प्रांगण की शोभा बढ़ाता है जो वहां काम करने वाले लोगों के मन मस्तिष्क में बनी रहती है. उन्होंने राजस्थान के लोकप्रिय गीत "पधारो म्हारे देश "का जिक्र करते हुए कहा कि इस गीत को यहां के लोगों ने अपने व्यवहार में भी डाला है. यहां के लोगों के मधुर व्यवहार, प्रकृति और कलाकृतियों के मनमोहक आकर्षण के कारण देश विदेश के लोग यहां बार बार आना चाहते हैं.

उन्नत साहित्य को भी बनाया भाषण का हिस्साः राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने भाषण में राजस्थान के उन्नत साहित्य को भी जगह दी. उन्होंने कहा कि आप सभी विधायक एक समृद्ध परंपरा वाले राज्य में प्रभावशाली और परिश्रमी लोगों के जनप्रतिनिधि हैं. सभ्यता और संस्कृति के मामले में राजस्थान की परंपरा बहुत मजबूत है. राष्ट्रपति ने अपने भाषण में महाकवि माघ के "शिशुपाल वध "महाकाव्य की बात कही, जिसकी तुलना महाकवि कालिदास के काव्य से की जाती है. उन्होंने कहा कि हिंदी का प्रथम कवि का गौरव भी राजस्थान के चंद्रवरदाई को है, जिन्होंने पृथ्वीराज रासो जैसे पहले महाकाव्य की रचना की. उन्होंने राजस्थान की मीरा बाई के भक्ति साहित्य के अमूल्य योगदान की बात कही.

वीर योद्धाओं को किया यादः राष्ट्रपति ने राजस्थान विधानसभा में अपनी बात रखते हुए राजस्थान के आदिवासियों और स्वाभिमान के प्रतीक रहे महाराणा प्रताप समेत स्वाभिमान के प्रतीक रहे प्रमुख योद्धाओं का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि महाभारत में राजस्थान के आदिवासी समुदाय के बृत्तांत मिलते हैं, जिनमे राजस्थान के उत्तरी क्षेत्र में "यौधेय जनजाति "गणतंत्र की सर्वाधिक प्रसिद्ध जनजाति है. वहीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राजस्थान के वीर सपूतों की चर्चा करते हुए कहा कि स्वाभिमान के लिए संग्राम करने की भावना राजस्थान के लोगों में कूट-कूट कर भरी है.

यहां के बारे में वीर योद्धाओं ने जिन राजाओं के नेतृत्व में धरती को अपने रक्त से लाल किया, वो राजा भी अपनी धरती से प्रेम करते थे. राजस्थान के पास पृथ्वीराज चौहान, महाराणा सांगा, महाराणा प्रताप जैसे स्वर्णिम अध्याय हैं. चित्तौड़ का विजय स्तंभ राष्ट्रीय गौरव का एक प्रतीक है. महाराणा प्रताप के साथ कंधे से कंधा मिलाकर युद्ध करने वाले आदिवासी वीर पुंजा भील और वीर बालक दूधा भील की अमर कहानी मेवाड़ का बच्चा-बच्चा जानता है.

जिन्होंने महाराणा प्रताप के आदर्शों को मानते हुए अपने प्राण समर्पित किए. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने समावेशी शिक्षा के प्रति संवेदनशील बनने के लिए प्राणों की आहुति देने वाली डूंगरपुर की वीर बाला काली बाई के विषय में जानकारी सभी देशवासियों तक पहुंचाने की जरूरत बताई. वहीं उन्होंने समाज सुधारक और महान स्वाधीनता सेनानी गोविंद गुरु का जिक्र करते हुए कहा असंख्य देश प्रेमी अनुयाई मानगढ़ नरसंहार में वीरगति को प्राप्त हैं. राजस्थान सहित देश के अन्य क्षेत्रों में गोविंद गुरु का प्रभाव था. मुझे प्रसन्नता है कि आजादी की अमृत महोत्सव में हो रहे कार्यक्रम में देशवासियों को मानगढ़ धाम की गौरव गाथा के बारे में अवगत करवाया जा रहा है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 1929 में बाल विवाह को समाप्त करने के लिए कानून और महिला सशक्तिकरण तथा सामाजिक समावेश का महत्वपूर्ण अधिनियम शारदा एक्ट की भी चर्चा की.

राष्ट्रपति ने किए खाटूश्यामजी के दर्शनःराजस्थान दौरे के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को सीकर के खाटूश्यामजी में पहुंचकर बाबा श्याम के दर्शन किए. राष्ट्रपति ने श्याम दर्शन करके देश की खुशहाली की कामना की. इस दौरान श्री श्याम मंदिर कमेटी के अध्यक्ष प्रताप सिंह चौहान ने राष्ट्रपति का स्वागत किया. इस दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विजीटर बुक में अनुभव साझा किए. साथ ही राष्ट्रपति ने प्रसाद ग्रहण किया. इस दौरान राज्यपाल कलराज मिश्र, सीकर सांसद सुमेधानंद सरस्वती, मंत्री शकुंतला रावत मौजूद रहीं.

Last Updated : Jul 14, 2023, 7:45 PM IST

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