कोलकाता : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को यहां हुगली नदी के तट पर 'गार्डन रीच शिपबिल्डर्स इंजीनियर्स लिमिटेड' (जीआरएसई) केंद्र में भारतीय नौसेना के 'प्रोजेक्ट 17 अल्फा' के तहत निर्मित छठे नौसैन्य युद्धपोत 'विंध्यगिरि' का जलावतरण किया. उन्होंने इस युद्धपोत के जलावतरण को 'आत्मनिर्भर भारत' का एक प्रतीक बताया. राष्ट्रपति ने कहा कि उन्नत युद्धपोत का उत्पादन 'आत्मनिर्भर भारत' और देश की तकनीकी प्रगति का नमूना है.
राष्ट्रपति ने एक कार्यक्रम में कहा, 'मैं विंध्यगिरि के जलावतरण के मौके पर यहां आकर बहुत खुश हूं. यह आयोजन भारत की समुद्री क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ने का भी प्रतीक है.' उन्होंने भारतीय नौसेना और इस पोत के निर्माण में शामिल सभी लोगों को बधाई दी. मुर्मू ने कहा, 'मुझे बताया गया है कि ‘गार्डन रीच शिपबिल्डर्स इंजीनियर्स’ ने विंध्यगिरि जैसे युद्धपोत सहित सौ से अधिक युद्धपोतों का निर्माण किया है और आपूर्ति की है. आपके कौशल और अथक प्रयासों ने हमें इस मुकाम तक पहुंचाया है, जिसके लिए मैं जीआरएसई की पूरी टीम की सराहना करती हूं.'
उन्होंने कहा, 'प्रोजेक्ट 17 के तहत निर्मित विंध्यगिरि आत्मनिर्भरता और तकनीकी उन्नति के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है. यह परियोजना अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी विकसित करने के लिए स्वदेशी नवाचार को प्रदर्शित करती है. मुझे बताया गया है कि इस श्रृंखला के पोत हमारे समुद्री हितों के लिए सभी प्रकार के खतरों से निपटने में सक्षम होंगे.' पिछले साल राष्ट्रपति चुने जाने के बाद मुर्मू का पश्चिम बंगाल का यह दूसरा दौरा है. इससे पहले उन्होंने मार्च में राज्य का दौरा किया था.
मुर्मू ने कहा, 'कोलकाता का उसके समृद्ध इतिहास और संस्कृति के कारण हमारे देश के दिल में एक विशेष स्थान है. कोलकाता की रणनीतिक स्थिति इसे हमारी नौसैनिक तैयारियों, हमारे समुद्री हितों की सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण बनाती है.' राष्ट्रपति ने कहा कि पोत का नाम 'विंध्य' पर्वतमाला के नाम पर रखा गया है, जो दृढ़ता का प्रतीक है. उन्होंने कहा, 'हम अब दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं और हम भविष्य में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का प्रयास कर रहे हैं...हमारी व्यापारिक वस्तुओं के एक बड़े हिस्से का समुद्री मार्ग से परिवहन होता है.'