अमृतसर:राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आज अमृतसर दौरे पर हैं. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू श्री गुरु रामदास अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे पर पहुंचीं, जहां उनका स्वागत राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने किया. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच सचखंड श्री हरमंदिर साहिब में मत्था टेका, मुर्मू पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के प्रमुख हरजिंदर सिंह धामी के साथ स्वर्ण मंदिर पहुंचीं, वहां मत्था टेका और ‘कीर्तन’ सुना. उन्होंने वहां ‘कड़ाह प्रसाद’ भी ग्रहण किया. मत्था टेकने के बाद वह ‘लंगर हॉल’ में गईं तथा वहां उस हिस्से को देखने पहुंचीं जहां बर्तन धोए जाते हैं. बाद में, वह स्वर्ण मंदिर के सूचना केंद्र गईं, जहां उन्हें सम्मानित किया गया. उन्हें सिखों की धार्मिक पुस्तकें, स्वर्ण मंदिर की एक प्रतिकृति और कुछ ऊनी शॉल भी भेंट की गईं. इस अवसर पर सचखंड श्री हरमंदिर साहिब आने वाले तीर्थयात्रियों को सुरक्षा कारणों से बाहर रोके जाने के कारण काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. राष्ट्रपति बनने के बाद अमृतसर की उनकी यह पहली यात्रा है. राष्ट्रपति का जलियांवाला बाग, दुर्गियाना मंदिर और भगवान वाल्मीकि राम तीर्थ स्थल जाने का भी कार्यक्रम है.
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के महासचिव गुरचरण सिंह ग्रेवाल ने बताया कि स्वर्ण मंदिर की यात्रा के दौरान राष्ट्रपति को सिखों के सर्वोच्च धार्मिक निकाय द्वारा दो ज्ञापन दिये गए, जिनमें से एक सिख राजनीतिक कैदियों की रिहाई से संबंधित है. एसजीपीसी उन सिख कैदियों की रिहाई की मांग कर रही है, जिनके बारे में उसका दावा है कि ये कैदी सजा पूरी होने के बावजूद जेलों में बंद हैं. ज्ञापन में हरजिंदर सिंह धामी ने कहा, ‘‘एसजीपीसी लंबे समय से लोकतांत्रिक तरीकों से ‘बंदी सिखों’ की रिहाई की मांग कर रही है.’
उन्होंने कहा, ‘‘हम महसूस करते हैं कि सिख कैदियों को रिहा न करके उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में उनके मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन किया जा रहा है.’’
धामी ने राष्ट्रपति को लिखा है, ‘‘हम आपसे सिख कैदियों की रिहाई के इस महत्वपूर्ण मुद्दे का संज्ञान लेने और भारत सरकार एवं संबंधित राज्य सरकारों को उनकी रिहाई के लिए आवश्यक निर्देश देने की मांग करते हैं.’’
एक अन्य ज्ञापन हरियाणा में गुरुद्वारों के प्रबंधन के लिए एक अलग हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति की स्थापना से संबंधित है.