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राष्ट्रपति ने भाईचारे, सद्भाव की भावना के साथ आगे बढ़ने, वंचितों को प्राथमिकता देने का किया आह्वान

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 77वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर सोमवार को राष्ट्र को संबोधित किया. राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि भारत ने विश्व मंच पर अपना उचित स्थान फिर से हासिल कर लिया है और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में अपनी स्थिति बढ़ाई है. राष्ट्रपति ने भाईचारे, सद्भाव की भावना के साथ आगे बढ़ने, वंचितों को प्राथमिकता देने का आह्वान किया.पीएम मोदी ने राष्ट्रपति मुर्मू के राष्ट्र के नाम संदेश को 'प्रेरणादायक' बताया.

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Published : Aug 14, 2023, 7:15 PM IST

Updated : Aug 14, 2023, 10:43 PM IST

नई दिल्ली : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को कहा कि अलग-अलग पहचान होने के बावजूद सभी भारतीय समान नागरिक हैं जिन्हें समान अवसर, अधिकार और कर्तव्य हैं, ऐसे में राष्ट्र निर्माताओं के सपनों को साकार करने के लिए सद्भाव और भाईचारे की भावना के साथ आगे बढ़ना चाहिए.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 77वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा, 'जब हम स्वतंत्रता दिवस समारोह मनाते हैं तो वास्तव में हम एक महान लोकतंत्र के नागरिक होने का उत्सव भी मनाते हैं. हममें से हर एक की अलग-अलग पहचान है. जाति, पंथ, भाषा और क्षेत्र के अलावा हमारी अपने परिवार और कार्य क्षेत्र से जुड़ी पहचान भी होती है.'

उन्होंने कहा, 'लेकिन हमारी एक पहचान ऐसी है जो इन सबसे ऊपर है और वह है भारत का नागरिक होना. हम सभी समान रूप से इस महान देश के नागरिक हैं. हम सब को समान अवसर और अधिकार उपलब्ध हैं और हमारे कर्तव्य भी समान हैं.'

मुर्मू ने कहा कि भारत लोकतंत्र की जननी है और प्राचीन काल में भी यहां जमीनी स्तर पर लोकतांत्रिक संस्थाएं विद्यमान थीं किन्तु लंबे समय तक चले औपनिवेशिक शासन ने उन लोकतांत्रिक संस्थाओं को मिटा दिया था.

उन्होंने कहा कि 15 अगस्त 1947 को राष्ट्र ने एक नया सवेरा देखा जब देश ने विदेशी शासन से तो आजादी हासिल की, साथ ही अपनी नियति का निर्माण करने की भी स्वतंत्रता प्राप्त की.

राष्ट्रपति ने कहा कि स्वाधीनता के बाद विदेशी शासकों द्वारा उपनिवेशों को छोड़ने का दौर शुरू हुआ और उपनिवेशवाद समाप्त होने लगा. उन्होंने कहा, 'हमारे लिए स्वाधीनता के लक्ष्य को प्राप्त करना तो महत्वपूर्ण था ही लेकिन उससे अधिक उल्लेखनीय है हमारे स्वाधीनता संग्राम का अनोखा तरीका.'

स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि महात्मा गांधी तथा कई अन्य असाधारण और दूरदर्शी विभूतियों के नेतृत्व में राष्ट्रीय आंदोलन अद्वितीय आदर्शों से अनुप्रमाणित था. उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी तथा अन्य महानायकों ने भारत की आत्मा को फिर से जगाया और देश की महान सभ्यता के मूल्यों का जन-जन में संचार किया.

सत्य और अहिंसा को पूरी दुनिया ने अपनाया :राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के ज्वलंत उदाहरण का अनुसरण करते हुए स्वाधीनता संग्राम की अधारशिला 'सत्य और अहिंसा' को पूरी दुनिया के अनेक राजनीतिक संघर्ष में सफलतापूर्वक अपनाया गया है.

उन्होंने कहा, 'स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर मैं भारत के नागरिकों के साथ एकजुट होकर सभी ज्ञात और अज्ञात स्वतंत्रता सेनानियों को कृतज्ञतापूर्वक श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं. उनके असंख्या बलिदानों से भारत ने विश्व समुदाय में अपना स्वाभिमानपूर्ण स्थान फिर से प्राप्त किया.'

राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में लोकतंत्र के आयामों, महिला सशक्तीकरण, जलवायु परिवर्तन एवं ग्लोबल वार्मिंग की चुनौती, अंतरिक्ष कार्यक्रम, चंद्रयान-अभियान, भारतीय अर्थव्यवस्था सहित विभिन्न विषयों का उल्लेख किया. मुर्मू ने कहा कि आज की महिलाओं ने ऐसे अनेक क्षेत्रों में अपना विशेष स्थान बना लिया है जिनमें कुछ दशकों पहले उनकी भागीदारी की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी.

उन्होंने कहा, 'मुझे यह देखकर प्रसन्नता होती है कि हमारे देश की महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. आर्थिक सशक्तीकरण से परिवार और समाज में महिलाओं की स्थिति मजबूत होती है.'

राष्ट्रपति ने कहा, 'मैं सभी देशवासियों से आग्रह करती हूं कि वे महिला सशक्तीकरण को प्राथमिकता दें. मैं चाहूंगी कि हमारी बहनें और बेटियां साहस के साथ हर तरह की चुनौतियों का सामना करें और जीवन में आगे बढ़ें. महिलाओं का विकास, स्वाधीनता संग्राम के आदर्शों में शामिल है.'

उन्होंने कहा कि मातंगिनी हाजरा और कनकलता बरूआ जैसी वीरांगनाओं ने भारत माता के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए. उन्होंने कहा कि मां कस्तूरबा, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ कदम मिलाकर सत्याग्रह के मार्ग पर चलती रहीं.

उन्होंने कहा कि सरोजिनी नायडू, अम्मू स्वामीनाथन, रमा देवी, अरुणा आसफ अली और सुचेता कृपलानी जैसी महिला विभूतियों ने अपने बाद की सभी पीढ़ियों की महिलाओं के लिए आत्म विश्वास के साथ देश तथा समाज की सेवा करने के प्रेरक आदर्श प्रस्तुत किए हैं.

नए संकल्पों के साथ 'अमृत काल' में प्रवेश किया :राष्ट्रपति ने कहा, 'हमारे देश ने नए संकल्पों के साथ 'अमृत काल' में प्रवेश किया है तथा हम भारत को वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. आइए हम सभी अपने संवैधानिक मूल कर्तव्यों को निभाने का संकल्प लें.'

उन्होंने कहा, 'हम व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत प्रयास करें ताकि हमारा देश निरंतर उन्नति करते हुए कर्मठता तथा उपलब्धियों की नई ऊंचाइयां हासिल करे.' मुर्मू ने कहा कि हमारा संविधान हमारा मार्गदर्शक दस्तावेज है, संविधान की प्रस्तावना में हमारे स्वाधीनता संग्राम के आदर्श समाहित हैं.

जी-20 देशों की अध्यक्षता पर ये बोलीं :उन्होंने कहा, 'हम अपने राष्ट्र निर्माताओं के सपनों को साकार करने के लिए सद्भाव और भाईचारे की भावना के साथ आगे बढ़ें.' जी-20 समूह की भारत की अध्यक्षता का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारत ने न केवल विश्व मंच पर अपना यथोचित स्थान बनाया है बल्कि अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में अपनी प्रतिष्ठा को भी बढ़ाया है.

उन्होंने कहा, 'अपनी यात्राओं और प्रवासी भारतीयों के साथ बातचीत के दौरान मैंने अपने देश के प्रति उनमें एक नए विश्वास और गौरव का भाव देखा है.' मुर्मू ने कहा कि भारत पूरी दुनिया में विकास लक्ष्यों और मानवीय सहयोग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है तथा उसने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अग्रणी स्थान बनाया है एवं जी-20 देशों की अध्यक्षता का दायित्व भी संभाला है.

उन्होंने कहा, 'चूंकि जी-20 समूह दुनिया की दो तिहाई जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए यह हमारी वैश्विक प्राथमिकताओं को सही दिशा में ले जाने का अद्वितीय अवसर है.' उन्होंने कहा कि जी-20 की अध्यक्षता के माध्यम से भारत, व्यापार और वित्त क्षेत्र में हो रहे निर्णयों को न्याय संगत प्रगति की ओर ले जाने को प्रयासरत है.

भारतीय अर्थव्यवस्था :भारतीय अर्थव्यवस्था, वैश्विक चुनौतियों और सरकार के प्रयासों के संदर्भ में राष्ट्रपति ने कहा, 'विश्व की अधिकांश अर्थव्यवस्थाएं नाजुक दौर से गुजर रही हैं। वैश्विक महामारी के कारण हुए आर्थिक संकट से विश्व समुदाय पूरी तरह बाहर नहीं आ पाया था कि अंतरराष्ट्रीय पटल पर हो रही घटनाओं से अनिश्चितता का वातावरण और गंभीर हो गया.'

उन्होंने कहा, 'फिर भी सरकार कठिन परिस्थितियों का अच्छी तरह से सामना करने में सक्षम रही हैं. देश ने चुनौतियों को अवसरों में बदला है और प्रभावशाली सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि भी दर्ज की है.'

राष्ट्रपति ने कहा, 'हमारे अन्नदाता किसानों ने हमारी आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. राष्ट्र उनका ऋृणी है.' उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर मुद्रास्फीति चिंता का कारण बनी हुई है लेकिन सरकार और रिजर्व बैंक इस पर काबू पाने में सफल रहे हैं.

मुर्मू ने कहा कि मुश्किल दौर में भारत की अर्थव्यवस्था न केवल समर्थ सिद्ध हुई है बल्कि दूसरों के लिए आशा का स्रोत भी बनी है. उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर मुद्रास्फीति चिंता का कारण बनी हुई है लेकिन सरकार और रिजर्व बैंक इस पर काबू पाने में सफल रहे हैं.

उन्होंने कहा कि सरकार ने जन सामान्य पर मुद्रास्फीति का अधिक प्रभाव पड़ने नहीं दिया है और गरीबों को व्यापक सुरक्षा कवच भी प्रदान किया है. नई शिक्षा नीति का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि वह स्वयं एक शिक्षक रही हैं, इस नाते उन्होंने समझा है कि शिक्षा समाजिक सशक्तीकरण का सबसे प्रभावी माध्यम है. उन्होंने कहा कि 2020 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति से बदलाव आना शुरू हो गया है.

चंद्रयान-3 अभियान का जिक्र :उन्होंने कहा कि विभिन्न स्तरों पर विद्यार्थियों और शिक्षाविदों के साथ उनकी बातचीत से यह पता चला कि अध्ययन की प्रक्रिया अधिक लचीली हो गई है. राष्ट्रपति ने कहा कि इस दूरदर्शी नीति का एक प्रमुख उद्देश्य प्राचीन मूल्यों को आधुनिक कौशल के साथ जोड़ना है. इससे आने वाले वर्षों में शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व परिवर्तन होंगे और परिणामस्वरूप देश में एक बहुत बड़ा बदलाव दिखाई देगा. अंतरिक्ष कार्यक्रम और चंद्रयान-3 अभियान का जिक्र करते हुए मुर्मू ने कहा कि आज के नए भारत की महत्वाकांक्षाओं के नए क्षितिज असीम हैं. उन्होंने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) नई ऊंचाइयों को छू रहा है और उत्कृष्टता के नए आयाम स्थापित कर रहा है. उन्होंने कहा कि इस वर्ष इसरो ने चंद्रयान-3 प्रक्षेपित किया है जो चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर चुका है.

उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के अनुसार उसका ‘विक्रम’ नामक लैंडर तथा ‘प्रज्ञान’ नामक रोवर अगले कुछ ही दिनों में चंद्रमा पर उतरेंगे.

राष्ट्रपति ने कहा, 'हम सभी के लिए वह गौरव का क्षण होगा और मुझे भी उस पल का इंतजार है. चंद्रमा का अभियान अंतरिक्ष के हमारे भावी कार्यक्रमों के लिए केवल एक सीढ़ी है. हमें बहुत आगे जाना है.'

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को दुनियाभर के वैज्ञानिकों एवं नीति निर्माताओं से जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग पर विशेष ध्यान देने की अपील की, जिसके कारण अचानक बाढ़, सूखे जैसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है. इसके साथ ही उन्होंने आगाह किया कि लोभ की संस्कृति दुनिया को प्रकृति से दूर कर रही है.

राष्ट्रपति मुर्मू ने 77वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा कि ज्ञान एवं विज्ञान में उत्कृष्टता प्राप्त करना ही हमारा लक्ष्य नहीं है, बल्कि हमारे लिए वे मानवता के विकास के साधन हैं. उन्होंने कहा कि एक क्षेत्र जिस पर पूरे विश्व के वैज्ञानिक और नीति निर्माताओं को और अधिक तत्परता से ध्यान देना चाहिए वह है-जलवायु परिवर्तन.

उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में बड़ी संख्या में बेहद विषम मौसम की घटनाएं हुई हैं, देश के कुछ हिस्सों में असाधारण बाढ़ का सामना करना पड़ा है, कुछ स्थानों को सूखे की मार झेलनी पड़ी है.

राष्ट्रपति ने कहा, 'इन सबका एक प्रमुख कारण ग्लोबल वार्मिंग को भी माना जाता है. अत: पर्यावरण के हित में स्थानीय, राष्ट्रीय तथा वैश्विक स्तर पर प्रयास करना अनिवार्य है.'

पीएम मोदी ने राष्ट्रपति मुर्मू के राष्ट्र के नाम संदेश को 'प्रेरणादायक' बताया :पीएम मोदी ने 77वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्र के नाम संदेश को 'प्रेरणादायक' बताया और कहा कि उन्होंने जहां भारत के विकास को रेखांकित किया वहीं आने वाले समय में देश की सर्वांगीण प्रगति के लिए एक दृष्टिकोण भी प्रस्तुत किया.

राष्ट्रपति के संबोधन पर प्रतिक्रिया देते हुए मोदी ने सोशल नेटवर्किंग साइट 'एक्स' पर लिखा, 'राष्ट्रपति जी का एक बहुत ही प्रेरणादायक संबोधन. उन्होंने भारत के विकास के विभिन्न आयामों को रेखांकित किया और आने वाले समय में देश के सर्वांगीण विकास के लिए एक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया.'

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(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Aug 14, 2023, 10:43 PM IST

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