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राष्ट्रपति ने न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ को मुख्य न्यायाधीश के तौर पर किया नियुक्त

भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त शक्ति का प्रयोग करते हुए, राष्ट्रपति ने 9 नवंबर 2022 से भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश, न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ की नियुक्ति की है. इस बात की जानकारी केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने ट्वीट कर दी है.

न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़
न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़

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Published : Oct 17, 2022, 6:56 PM IST

Updated : Oct 17, 2022, 9:05 PM IST

नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ को भारत का अगला प्रधान न्यायाधीश नियुक्त किया है. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ 9 नवंबर को भारत के 50वें सीजेआई के रूप में शपथ लेंगे. कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने एक ट्वीट में कहा कि 'राष्ट्रपति ने भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त शक्ति का उपयोग करते हुए 9 नवंबर, 22 से भारत के प्रधान न्यायाधीश के रूप में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति डॉ. डी.वाई. चंद्रचूड़ की नियुक्ति की.'

भारत के निवर्तमान प्रधान न्यायाधीश यू.यू. ललित ने 11 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज जस्टिस चंद्रचूड़ को अपना उत्तराधिकारी नामित किया था. सीजेआई ललित 8 नवंबर को सेवानिवृत्त होंगे. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों की मौजूदगी में जस्टिस चंद्रचूड़ को अगले सीजेआई पद के लिए सिफारिश का पत्र सौंपा था. जस्टिस चंद्रचूड़ 10 नवंबर, 2024 तक सीजेआई का पद संभालेंगे.

डी.वाई. चंद्रचूड़ के पिता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश वाई.वी. चंद्रचूड़ सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले सीजेआई रहे थे. वह 1978 से 1985 के बीच लगभग सात साल, चार महीने इस पद पर रहे. उनके कार्यकाल के दौरान जज बेटे न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ ने अपने पिता के दो फैसलों को पलट दिया था, जो व्यभिचार और निजता के अधिकार से संबंधित थे. हार्वर्ड लॉ स्कूल से पीएचडी कर चुके जस्टिस चंद्रचूड़ को नॉन-कन्फर्मिस्ट जज के तौर पर जाना जाता है. उन्होंने कोविड के समय में वर्चुअल सुनवाई शुरू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

वर्चुअल सुनवाई, जो अब एक स्थायी विशेषता बन गई है. जस्टिस चंद्रचूड़ अयोध्या भूमि विवाद, समलैंगिकता के अपराधीकरण, व्यभिचार, गोपनीयता, सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश आदि पर ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे हैं. जस्टिस चंद्रचूड़ ने बॉम्बे हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी प्रैक्टिस की है. उन्होंने सेंट स्टीफंस कॉलेज, नई दिल्ली से अर्थशास्त्र में ऑनर्स के साथ बीए पास किया और कैंपस लॉ सेंटर, दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की.

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उन्होंने 1998 से 2000 तक भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के रूप में भी कार्य किया. उन्हें पहली बार 29 मार्च, 2000 को बॉम्बे हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने 31 अक्टूबर, 2013 से इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में भी कार्य किया है. उनकी पदोन्नति 13 मई, 2016 को सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में हुई थी. जस्टिस चंद्रचूड़ मुंबई विश्वविद्यालय और ओक्लाहोमा यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ लॉ, यूएसए में तुलनात्मक संवैधानिक कानून के विजिटिंग प्रोफेसर भी रहे हैं.

जून 1998 में उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया था. मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर के तहत केंद्र निवर्तमान प्रधान न्यायाधीश से सेवानिवृत्ति के एक महीने पहले उत्तराधिकारी का नाम बताने को कहता है. कानून मंत्री रिजिजू ने 7 अक्टूबर को प्रधान न्यायाधीश ललित को अपने उत्तराधिकारी की नियुक्ति के लिए सिफारिश करने के लिए एक पत्र भेजा था.

Last Updated : Oct 17, 2022, 9:05 PM IST

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