नरक चतुर्दशी 2022 (Narak Chaturdashi 2022) दीपावली के त्योहारों की श्रृंखला का दूसरा त्यौहार है. इसे छोटी दीपावली, नरक चौदस या नरक चतुर्दशी या नर्का पूजा व रूप चौदस या काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है. इसके बारे में मान्यता है कि कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्दशी के दिन प्रातःकाल तेल लगाकर अपामार्ग (चिचड़ी) की पत्तियाँ जल में डालकर स्नान करने से नरक से मुक्ति मिलती है. साथ ही इस दिन विधि-विधान से पूजा करने से व्यक्ति सभी पापों से मुक्ति मिलती है और स्वर्ग की प्राप्ति होती है.
नरक चतुर्दशी के दिन शाम को दीपदान की परंपरा है. यह दीपक यमराज के लिए जलाया जाता है. इस दिन भगवान कृष्ण, यमराज और बजरंगबली व भगवान सूर्य की पूजा करने का विधान है. ऐसी पौराणिक मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से मनुष्य नरक में मिलने वाली यातनाओं से बच जाता है. साथ ही साथ अकाल मृत्यु से रक्षा होती है.
आइए जानते हैं नरक चतुर्दशी के बारे में अन्य खास बातें क्यों कहते हैं छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी...
क्यों कहते हैं छोटी दीपावली
नरक चतुर्दशी को छोटी दीपावली के रुप में जाना जाता है. इसे छोटी दीपावली इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इस दिन दीपावली से एक दिन पहले उसी तरह से पूरे घर की सजावट व रोशनी से जगमग करने की तैयारी की जाती है. इस रात में दीपक जलाने की प्रथा के संदर्भ में कई पौराणिक कथाएं और लोकमान्यताएं चर्चित हैं, जिसके कारण यह त्योहार मनाया जाता है.
इसलिए मनाते हैं रूप चौदस