नई दिल्ली : शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून के तहत सभी छात्रों के लिए आठवीं कक्षा तक अनिवार्य शिक्षा के प्रावधान का उल्लेख करते हुए सरकार ने अब अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और 6 अल्पसंख्यक समुदायों के लिए अपनी प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना को 9वीं और 10वीं कक्षा के विद्यार्थियों तक सीमित कर दिया है. इससे पहले, प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति में पहली कक्षा से 8वीं तक की शिक्षा के साथ-साथ अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों को भी शामिल किया जाता था. 2022-23 से, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप योजना के तहत कवरेज केवल कक्षा 9 और 10 के लिए होगी. प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के तहत अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के छात्रों को केवल कक्षा 9वीं और 10वीं से पूर्णकालिक आधार पर कवर किया जाता है. सरकार ने लोकसभा में गुरुवार को अपने लिखित जवाब के जरिये ये जानकारी दी.
पहली से आठवीं कक्षा तक अल्पसंख्यक छात्रों को नहीं मिलेगी प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप : स्मृति ईरानी - minority minister smriti irani
प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति में पहली कक्षा से 8वीं तक की शिक्षा के साथ-साथ अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों को भी शामिल किया जाता था. 2022-23 से, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप योजना के तहत कवरेज केवल कक्षा 9 और 10 के लिए होगी. प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के तहत अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के छात्रों को केवल कक्षा 9वीं और 10वीं से पूर्णकालिक आधार पर कवर किया जाता है. सरकार ने लोकसभा में गुरुवार को अपने लिखित जवाब के जरिये ये जानकारी दी.
केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री स्मृति ईरानी ने एआईएमआईएम सांसद इम्तियाज जलील और आईएनसी सांसद अदूर प्रकाश के एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि यह संशोधन सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय और जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा लागू समान छात्रवृत्ति योजनाओं के साथ योजना के सामंजस्य के लिए भी किया गया है. इस सवाल पर कि क्या सरकार का आठवीं कक्षा तक प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति बंद करने के फैसले को वापस लेने का प्रस्ताव है. स्मृति ईरानी ने कहा, "आठवीं कक्षा तक प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति को बंद करने के फैसले को वापस लेने का कोई प्रस्ताव नहीं है."
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने पीएम मोदी से कक्षा 1 से 8 के छात्रों के लिए अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति वापस लेने के फैसले पर रोक लगाने का आग्रह किया था, क्योंकि इससे लगभग पांच लाख गरीब छात्र प्रभावित होंगे. केंद्र द्वारा अल्पसंख्यक समुदायों के विद्वानों के लिए मौलाना आजाद फेलोशिप पर रोक लगाने के बाद विपक्षी सदस्यों ने निराशा व्यक्त की है.