कोरबा :छत्तीसगढ़ के साथ ही देश के अन्य राज्यों को बिजली प्रदाय करने वाली ऊर्जाधानी कोरबा में स्थापित पावर प्लांट इन दिनों कोयले की कमी की समस्या से जूझ रहे हैं. लगभग सभी पावर प्लांट (power plant) के पास इन दिनों कोयले की कमी बनी हुई है. अधिक बारिश और अन्य कारणों से एसईसीएल (SECL) की कोयला खदानों में कोयला उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ा है. कम कोयला उत्पादन का असर यह हुआ कि बिजली संयंत्रों को आवश्यक मात्रा में कोयले की आपूर्ति नहीं हो पा रही है.
नियमत: पावर प्लांट के पास कम से कम 15 दिनों का कोयले का स्टॉक होना चाहिए, लेकिन वर्तमान में यह स्टॉक महज 2-3 दिनों का ही है. कोयले की कमी की वजह से कोरबा ईस्ट पावर प्लांट (Korba East Power Plant) की 210 मेगावाट की एक विद्युत उत्पादन इकाई को बंद करना पड़ा है.
यदि समय रहते कोयले का उत्पादन बढ़ा कर विद्युत संयंत्रों को इसकी आपूर्ति का ठोस इंतजाम नहीं किया गया, तो बिजली संकट और ऊर्जा संकट (power crisis) के हालात पैदा हो सकते हैं. इससे न सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि अन्य राज्यों में भी कोयले की समस्या खड़ी हो सकती है.
उत्पादन लक्ष्य से पिछड़ा एसईसीएल
एसईसीएल की कोयला खदानों को मौजूदा वित्तीय वर्ष में 176 मिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. लेकिन पिछली तिमाही में ही निर्धारित लक्ष्य का केवल 76 फीसदी उत्पादन ही पूरा हो सका है. पिछली तिमाही में एसईसीएल को 12.03 मिलियन टन कोयले का उत्पादन (Coal production) करना था, लेकिन इस लक्ष्य के विरुद्ध सिर्फ 9.18 मिलियन टन कोयले का उत्पादन ही किया जा सका. कम उत्पादन के कारण ही अब विद्युत संयंत्रों को निर्धारित मात्रा में कोयले की आपूर्ति नहीं हो पा रही है.
बिजली संयंत्रों में कोयला संकट
कोयले की कमी के साथ ही बरसात में खराब क्वालिटी के कोयले की भी आपूर्ति एसईसीएल द्वारा विद्युत संयंत्रों को की जा रही है. अधिकारियों का यहां तक कहना है कि इस तरह से कोयले की आपूर्ति के कारण ही पावर प्लांट से बिजली उत्पादन प्रभावित हो रहा है. एचटीपीपी कोरबा वेस्ट पावर प्लांट की 210 मेगावाट की एक यूनिट को कोयले की कमी की वजह से बंद करना पड़ गया है. एचटीपीपी में अब महज 55 हजार टन कोयले का स्टॉक है, जोकि तीन दिन तक ही चलेगा.