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रूस-यूक्रेन युद्ध का उत्तराखंड पर असर, अंधेरे में डूब सकते हैं लाखों परिवार, जानिए कारण - उत्तराखंड में बिजली संकट

रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे भीषण युद्ध से पैदा हुए भू-राजनीतिक जोखिम से खनिज, तेल, गैस, खाद्य तेल और उर्वरक जैसी वस्तुओं के दाम बढ़े हैं. वहीं, इससे कई चीजों की आपूर्ति भी बाधित हुई है. प्राकृतिक गैस को लेकर भी दुनियाभर के साथ ही भारत में भी दिक्कतें दिखाई दे रही हैं. उत्तराखंड के गैस आधारित 2 पावर प्लांट भी इसकी कमी से पूरी तरह बंद हो गए हैं. जिससे आने वाले समय में ऊर्जा संकट बढ़ सकता है.

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रूस-यूक्रेन युद्ध का उत्तराखंड पर असर

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Published : Apr 9, 2022, 4:49 PM IST

देहरादून: यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध (RUSSIA UKRAINE WAR) ने वैश्विक बाजारों को अस्त-व्यस्त कर दिया है. ये जंग भले ही 2 देशों के बीच हो, लेकिन इसका व्यापक असर दुनियाभर पर पड़ रहा है. भारत भी इसके असर से अछूता नहीं है. हालात ये हैं कि देश के छोटे से राज्य उत्तराखंड को भी इस अंतरराष्ट्रीय समस्या का सामना करना पड़ रहा है. प्रदेश के लाखों घर अंधेरे में डूबने की तरफ बढ़ रहे हैं. संकट ऊर्जा का है. लिहाजा कोई भी विकल्प ढूंढने से भी नहीं मिल रहा है.

उत्तराखंड में बिजली संकट: उत्तराखंड के सामने एक बड़ा बिजली संकट खड़ा हो गया है. राज्य में फिलहाल इसकी चर्चाएं कुछ खास नहीं हैं, लेकिन ऊर्जा निगम से जुड़े अधिकारी बताते हैं कि हकीकत में राज्य कितनी बड़ी समस्या से गुजर रहा है. स्थिति यह है कि तमाम कोशिशों के बावजूद भी प्रदेश में 3 घंटे की बिजली कटौती शुरू कर दी गई है. वैसे तो राज्य में गढ़वाल और कुमाऊं के सभी क्षेत्रों में बिजली कटौती को बराबर किया जा रहा है, लेकिन सबसे ज्यादा कटौती ग्रामीण क्षेत्रों में ही देखने को मिल रही है. राष्ट्रीय स्तर पर देखें तो उत्तराखंड में यह बिजली कटौती कुछ खास नहीं है, लेकिन ऊर्जा प्रदेश के नाते राज्य के लिए यह खतरे की घंटी है. अब जानिए कि मौजूदा ऊर्जा संकट को हम क्यों बड़ा खतरा कह रहे हैं.

रूस यूक्रेन संकट का असर

2200 मेगावाट हर दिन है खपत:दरअसल, उत्तराखंड इस समय बिजली की मांग अचानक बढ़ने और आपूर्ति पूरी न होने की समस्या से जूझ रहा है. प्रदेश में करीब 2200 मेगावाट बिजली की हर दिन जरूरत पड़ रही है. इसके सापेक्ष राज्य को करीब 1900 मेगावाट बिजली की ही आपूर्ति हो पा रही है. वैसे बिजली की जरूरत और आपूर्ति हर दिन बदलती रहती है, लेकिन औसतन देखें तो करीब 300 मेगावाट हर दिन बिजली कम पड़ रही है. राज्य में फिलहाल 538 मेगावाट बिजली का हर दिन उत्पादन हो रहा है, जबकि केंद्रीय पूल से करीब 1400 मेगावाट बिजली मिल रही है.

रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण नहीं मिल रही प्राकृतिक गैस: माना जा रहा है कि अचानक तापमान बढ़ने से बिजली की मांग भी बढ़ गई है. उधर इस लिहाज से बिजली का उत्पादन नहीं हो पा रहा है. उधर यूक्रेन और रूस के युद्ध के बाद प्राकृतिक गैस को लेकर भी दुनियाभर की तरह भारत में भी दिक्कतें दिखाई दे रही हैं. हालत यह है कि उत्तराखंड के 2 पावर प्लांट पूरी तरह से बंद हो गए हैं. दरअसल, काशीपुर में स्थापित यह दोनों ही प्लांट गैस आधारित हैं. देश में गैस की भारी कमी के कारण यह प्लांट नहीं चल पा रहे हैं. यही नहीं देश में प्लांट चलाने के लिए कोयले की भी कमी हो गई है. यही कारण है कि पूरे देश में ही ऊर्जा संकट गहराने लगा है और ग्रिड से बिजली नहीं मिल पा रही है.

सामान्य से कई गुना ऊंचे हुए बिजली के दाम: सामान्यतया उत्तराखंड करीब ₹4 से ₹5 यूनिट के हिसाब से बिजली खरीदता है, लेकिन अब कई गुना कीमत पर भी बिजली नहीं मिल पा रही है. उधर जो बिजली खरीदी भी जा रही है वह करीब 3 गुना ज्यादा दामों पर उत्तराखंड खरीद रहा है. फिलहाल करीब ₹12 प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली खरीदी जा रही है. केंद्रीय विद्युत एजेंसी की तरफ से अधिकतम कीमत ₹20 रखी गई है, लेकिन कई बार इस कीमत पर भी बिजली नहीं मिल पा रही है. जानकारी के अनुसार उत्तराखंड 5000 करोड़ से भी ज्यादा की बिजली हर महीने खरीद रहा है.

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