भोपाल:बेटियों को पराया धन कहा जाता है, लेकिन जब यही बेटियां परिवार का हाथ बंटाने के लिए पैसे कमाती है तो परिवार वालों का सर फक्र से ऊंचा हो उठता है. मध्य प्रदेश की बालाघाट जिले की रहने वाली एक ऐसी बेटी दूसरी लड़कियों के लिए मिसाल बन चुकी है. इस लड़की का नाम पूनम मेश्राम है और उसने लॉकडाउन के दौरान ठप हो चुके पिता के ऑटो चलाने के काम को फिर से पटरी पर लाने के लिए खुद पिता का ऑटो चलाने का फैसला लिया. अब पूनम ऑटो चलाने में माहिर है और उसकी इस ऑटो की सवारी में सिर्फ महिलाएं ही नहीं बल्कि पुरुष भी करते हैं.
ऑटो चलाकर पिता का सहारा बनती बालाघाट की यह बेटी
जिला मुख्यालय से तकरीबन 15 किमी दूर ग्राम हट्टा की निवासी पूनम मेश्राम ऑटो चलाकर अपने पिता का हाथ बंटा रही है. पूनम ने बताया कि लॉकडाउन होने के कारण घर की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई थी और कमाने वाले सिर्फ पिता ही थे. जिसके चलते उसने अपने पिता का हाथ बंटाया. ऑटो चलाने के साथ-साथ वह पढ़ाई भी करती है. रोज वह ऑटो में सवारी लेकर लिंगा से बालाघाट और हट्टा जाती है.
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पूनम फराटे से चलाती है ऑटो
18 वर्षीय पूनम लिंगा से हट्टा के बीच ऑटो चलाती है. पूनम की 5 बहनें है. परिवार के गुजारे के लिए वह भी पिता का हाथ बंटाने लगी है. पूनम ने बताया कि वह 12वीं तक की पढ़ाई पूरी कर चुकी है और कंप्यूटर में टेली का काम भी सीख रही है. वह हर दिन लिंगा से हट्टा तक अपने ऑटो में सवारी बैठाकर ले जाती है .हट्टा से वापस सवारी लेकर लिंगा आती है. जरूरी होने पर वह ऑटो लेकर बालाघाट तक भी आती है.