नई दिल्ली : आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के रहने वाले न्यायमूर्ति एनवी रमना देश के 48वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में 24 अप्रैल को शपथ ग्रहण करेंगे. इससे उनके पैतृक गांव में खुशी की लहर है.
पाेन्नावरम में खुशी की लहर
एनवी रमन्ना का जन्म 27 अगस्त 1957 को आंध्र प्रदेश के कृष्ण जिले के पोन्नवरम गांव में एक कृषि परिवार में हुआ था. उन्हाेंने स्थानीय कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ाई की. जिस स्कूल से न्यायमूर्ति एनवी रमना ने पढ़ाई की थी उस स्कूल के बच्चे आज इस खबर से फुले नहीं समा रहे हैं. न्यायमूर्ति रमन्ना ने दस फरवरी 1983 में वकालत शुरू कर दी थी. उन्होंने विज्ञान और वकालत में स्नातक किया है. 27 जून 2000 को जस्टिस रमन्ना आंध प्रदेश हाई कोर्ट के स्थाई जज के तौर पर नियुक्त हुए.
बचपन के दाेस्ताें में दिखी खुशी
न्यायमूर्ति एनवी रमना के सुप्रीम काेर्ट के मुख्य न्यायाधीश बनने की खबर से उनके बचपन के दाेस्ताें में गजब की खुशी देखने काे मिली.
उनके बचपन के एक दाेस्त ने बताया कि न्यायमूर्ति एनवी रमना के वे बहुत करीब थे. दाेनाें ने कक्षा 1 से 5 तक की पढ़ाई पाेन्नावरम स्कूल से की थी. उन्हाेंने उम्मीद जताई कि वे उनसे मिलने जरूर आएंगे.
उनके बचपन के एक अन्य दाेस्त भरतवाज ने बताया कि यह उन्हें यह जानकर बहुत खुशी हुई कि उनके बचपन का दाेस्त सुप्रीम काेर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनने जा रहा है, उन्हाेंने कहा कि जब भी वे गांव आते थे उनसे मिलकर उनका हाल चाल जरूर पूछते थे, उन्हाेंने उम्मीद जताई कि न्यायमूर्ति एनवी रमना गांव स्थित शंकर भगवान के मंदिर में जरूर दर्शन करने आएंगे.
वहीं उनके बचपन के एक अन्य मित्र साईराजा ने कहा कि न्यायमूर्ति एनवी रमना में शुरू से ही लीडरशिप क्वालिटी रही है. हालांकि, उस समय न्याय के क्षेत्र में जाने की काेई याेजना नहीं थी, लेकिन ये जरूर था कि उन्हें राजनीति के क्षेत्र में जाना है. इतना ही नहीं वे उस वक्त 'स्वतंत्र पार्टी' के समर्थन में भी थे. वे उस वक्त नेहरू जी के समकालीन आचार्य एनजी रंगा की लेखनी काे बहुत पढ़ा करते थे. कक्षा 6 में वे कक्षा 10वीं की किताबें भी पढ़ते थे.