दरभंगा:बिहार के दरभंगा में तालाब गायबहो गया है. ये मामला शहर के विश्वविद्यालय थाना क्षेत्र के वार्ड संख्या चार स्थित नीम पोखर का है. जहां करीब 36 डिस्मिल तालाब को भू माफिया ने रातों-रात चोरी-छुपे मिट्टी भरकर समतल बना दिया. इस जमीन पर अब अपना कब्जा जमाने के लिए वहां एक झोपड़ी और बांस की चाहरदीवारी भी बना दिया है. लोगों का आरोप है कि प्रशासन की मिलीभगत से तालाब को भरा गया है.
क्या कहना है लोगों का?:स्थानीय निवासी सत्तो कुमार सहनी ने बताया कि आज से 10-15 साल पहले मछुआ समिति के कुछ लोग इस तालाब में मछली पालन करते थे लेकिन बाद में किसी कारण से मछली पालन नहीं हुआ. जिसके चलते पोखर कचरा हो गया. पूरा पोखर दलदल हो गया. इसके बाद आदमी सब थोड़ा-थोड़ा भरना शुरू कर दिया. करीब 6 महीने पहले एक आदमी ने आधा कट्ठा जमीन को भर लिया.
'चाय पत्ती व्यवसायी ने ठोका था दावा':आज से 2 साल पहले भी जब काम हो रहा था, तब एक चाय पत्ती के व्यवसायी ने इस पोखर पर दावा ठोका था. उस समय विश्वविद्यालय की थाना यहां आई थी और कागज मांगा गया था। इसके बाद अगला आदमी वहां पेपर जमा किया, उसके बाद कोर्ट में मामला चल गया. कोर्ट से अगली पार्टी डिग्री लेकर बोल रहा है कि हमारा जमीन है. वहीं उन्होंने बताया कि मिट्टी भराई का काम आज से ठीक आठ नौ दिन पहले हुआ है.
'पुलिस की भी मिलीभगत':स्थानीय लोगों का कहना है कि जिस तालाब को अब मिट्टी से भर दिया गया है, उसमें मछुआरों द्वारा मछली, पानी फल सिंघहारा होता था. तालाब का टेंडर संबंधित विभाग से होता था. लोगों की मानें तो एक हफ्ते के अंदर देखते ही देखते तालाब गायब हो गया. पुलिस-प्रशासन को भी पता था लेकिन कभी कोई रोकने नहीं आया, जबकि दिन-रात यहां मिट्टी भरने का काम होता था.
"हम यहां पिछले 35 सालों से रह रहे हैं. यहां सरकारी डबरा (तालाब) था. इसे एक सप्ताह के अंदर मिट्टी से भर दिया गया है. भू माफिया के द्वारा दिन-रात हर वक्त मिट्टी से भरा जाता था. भरने के समय यहां भीड़ रहती थी लेकिन पुलिस भी नहीं आती थी"- सुनील कुमार, स्थानीय निवासी
क्या कहते हैं जानकार?:वहीं तालाब बचाओ अभियान के संयोजक नारायण चौधरी ने कहा कि पटना लेवल पर इन लोगों ने सिस्टम नहीं डेवलप किया है, जिससे ऐसी घटनाओं को रोका जा सके. वह कहते हैं कि स्थानीय लोगों की भागीदारी से ही तालाब को बचाया जा सकता है. मैं पिछले 12-13 सालों से चिट्ठी लिख रहा हूं लेकिन किसी ने एक भी धन्यवाद पत्र भी मुझे नहीं दिया है. अगर हम शिकायत भी करते हैं कि तालाब भरा जा रहा है तो भी 15 से 20 दिन या महीनों के अंदर उस पर कार्रवाई नहीं होती.
डीएम ने क्या बोला?:वहीं तालाब चोरी होने के मामले सामने आने के बाद प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मच गया है. दरभंगा डीएम राजीव रौशन ने जांच के आदेश दिए हैं. उन्होंने बताया कि पोखर से संबंधित मामला अपर उप समाहर्ता न्यायालय में चल रहा था. जमाबंदी रद्द करने के संबंध में वहां से परिवादी के संबंध में जो आदमी है, उनके पक्ष में निर्णय हुआ. उन्होंने कहा कि सदर अंचलाधिकारी को सुझाव दिया गया है कि इस मामले को शीघ्र मेरे न्यायालय में अपील दायर करे और तत्काल स्थल सभी तरह की गतिविधि पर रोक लगाई जाए.
"सदर अंचलाधिकारी को मैंने कहा है कि इस मामले को शीघ्र मेरे न्यायालय में अपील दायर करें. साथ ही तत्काल उस स्थल पर कोई भी आदमी उसको भरने या उसमें निर्माण की कोई गतिविधि ना करें, ये सुनिश्चित करें. जहां तक तालाब की सुरक्षा का सवाल है तो हमारे जितने भी सार्वजनिक तालाब और पोखर हैं, वह जलजीवन हरियाली का हिस्सा है. इसके तहत उसे अतिक्रमण मुक्त कराना है. निजी पोखर या तालाब के स्वामित्व पर कोर्ट का डिसीजन है कि उसके स्वरूप में कोई परिवर्तन नहीं करना है"- राजीव रौशन, जिलाधिकारी, दरभंगा